Delhi Hospital Fire: आग लगने पर डॉक्टर और 3 नर्स अस्पताल से आ गए थे बाहर, समय रहते नवजातों को बाहर नहीं निकाला
हादसे के वक्त अस्पताल का इंचार्ज डॉ. आकाश व तीन नर्स सुरक्षित बाहर आ गए थे। करीब दस मिनट तक वह फोन पर किसी से बात करते रहे। इस बीच उनके पास अस्पताल से बच्चों को निकालने का वक्त था लेकिन उन्होंने नवजातों से ज्यादा खुद को सुरक्षित रखना ज्यादा जरूरी समझा। पुलिस को जांच के दौरान इसका एक सीसीटीवी फुटेज मिला है।
जागरण संवाददाता, पूर्वी दिल्ली। विवेक विहार के बेबी केयर न्यू बोर्न अस्पताल में आग में झुलसकर छह नवजातों की मौत के मामले में दिल्ली पुलिस को जांच के दौरान एक सीसीटीवी फुटेज मिला है।
इस फुटेज में दिख रहा है आग लगने पर हादसे के वक्त अस्पताल का इंचार्ज डॉ. आकाश व तीन नर्स सुरक्षित बाहर आ गए थे। करीब दस मिनट तक वह फोन पर किसी से बात करते रहे। इस बीच उनके पास अस्पताल से बच्चों को निकालने का वक्त था, लेकिन उन्होंने नवजातों से ज्यादा खुद को सुरक्षित रखना ज्यादा जरूरी समझा।
उनके बाहर आने के दस मिनट के बाद अस्पताल में आग से आक्सीजन सिलेंडर फटे, जिससे आग ने विकराल रूप लिया। इस मामले में पुलिस ने अस्पताल संचालक डॉ. नवीन खीची की अस्पताल में पार्टनर व उनकी पत्नी डॉ. जागृति को नोटिस देकर पूछताछ के लिए बुलाया है।
स्पष्ट नहीं हो पाया आग का कारण
पुलिस ने बताया कि आग का कारण स्पष्ट नहीं हो पाया है। आग के कारणों की पड़ताल में पुलिस जुटी है। अस्पताल की छत पर जला हुआ एक एलपीजी सिलेंडर व जनरेटर मिला है। जांच के दौरान पुलिस के हाथ एक फुटेज मिला। जिसमें 10:55 बजे अस्पताल में थोड़ी-थोड़ी आग लगी हुई दिखाई दे रही है।
कुछ देर के बाद अस्पताल के अंदर से डॉ. आकाश व तीन नर्स बाहर आते हैं। उनके पास अस्पताल में भर्ती कोई नवजात नहीं होता। वह अस्पताल के पास ही फोन पर बात करते हुए इधर उधर घूमते हुए दिख रहे हैं। जब तक आग भड़की नहीं थी। 11:30 बजे के आसपास अस्पताल के भू-तल पर रखे एलपीजी सिलेंडर फटने से आग भड़क जाती है। अस्पताल से बाहर निकलने का रास्ता आग से पूरी तरह से बंद हो जाता है।
कॉल रिकॉर्ड खंगाल रही पुलिस
इस मामले में गिरफ्तारी के बाद रिमांड पर लिए गए अस्पताल संचालक नवीन खीची व अस्पताल के डॉ. आकाश का कॉल रिकॉर्ड खंगाल रही है। उन दोनों के मोबाइल फारेंसिक लैब में भेज दिए हैं, पता लगाया जा रहा है गिरफ्तारी से पहले उन्होंने फोन से कुछ डिलीट तो नहीं किया।
पता लगा रही है हादसे के वक्त आकाश किससे फोन पर बात कर रहा था। पुलिस को जांच में यह भी पता चला है कि नवीन पश्चिम विहार स्थित अपने घर पर भी बच्चों का इलाज करता था। पुलिस उसके घर जाकर भी जांच करेगी, वहां किस तरह से वह बच्चों को इलाज करता था।
पांच बेड के अस्पताल में भर्ती हाेते थे 20 से 25 नवजात
पूछताछ में नवीन खीची ने पुलिस को बताया कि उसने पांच बेड का अस्पताल चलाने का लाइसेंस लिया हुआ था। मार्च में उसकी अवधि समाप्त हो गई थी। इससे पहले ही उसने स्वास्थ्य विभाग में अवधि बढ़ाने के लिए कागजात जमा करवा दिए थे। साथ कहा कि पांच से ज्यादा बेड अस्पताल में रखे हुए हैं।
वह 20 से 25 नवजातों को अस्पताल में भर्ती करता था। जो पूरी तरह नियम के खिलाफ था। अस्पताल में नवजातों को भर्ती करवाने वाले अभिभावकों को अस्पताल नियमों की कोई जानकारी नहीं होती है, उनका फायदा वह उठाता था। एक मरीज से 10 से 15 हजार रुपये एक दिन का वसूलता था।
पुलिस ने कर्मचारियों से मांगी डिग्री की कापी
अस्पताल में 20 कर्मचारी नौकरी करते थे। इसमें करीब चार डॉक्टर थे। पुलिस ने सभी कर्मचारियों से शिक्षा की डिग्री की कापी पुलिस में जमा करवाने को कहा है। पुलिस सभी कर्मचारियों से पूछताछ भी करेगी। हादसे के वक्त अस्पताल में बच्चों के पास दो नर्स थी। पुलिस ने उन दोनों नर्स से सीन रिक्रिएट करवाया।
अस्पताल का संचालक बीएएमएस डा. आकाश को 40 हजार रुपये वेतन देता था। वह एमबीबीएस व एमडी डॉक्टर इसलिए नहीं रखता था उन्हें ज्यादा वेतन देना पड़ेगा। सूत्रों का कहना है कि नवीन खीची की पत्नी को भी पुलिस इस मामले में आरोपित बना सकती है, क्योंकि वह अस्पताल में पार्टनर हैं।