अक्षय ऊर्जा से जगमग होगी दिल्ली, इमारतों की छतों पर सोलर पैनल लगाने को दिया जा रहा बढ़ावा
राजधानी में बिजली की बढ़ रही मांग को पूरी करने के लिए अक्षय ऊर्जा पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। बिजली वितरण कंपनियां (डिस्काम) कोयला आधारित संयंत्रों की जगह सौर ऊर्जा संयंत्रों व पवन ऊर्जा को प्राथमिकता दे रही हैं इससे सस्ती व पर्यावरण अनुकूल बिजली मिलती है।
By Santosh Kumar SinghEdited By: Mangal YadavUpdated: Sun, 27 Mar 2022 06:27 PM (IST)
नई दिल्ली [संतोष कुमार सिंह]। राजधानी में बिजली की बढ़ रही मांग को पूरी करने के लिए अक्षय ऊर्जा पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। बिजली वितरण कंपनियां (डिस्काम) कोयला आधारित संयंत्रों की जगह सौर ऊर्जा संयंत्रों व पवन ऊर्जा को प्राथमिकता दे रही हैं, इससे सस्ती व पर्यावरण अनुकूल बिजली मिलती है। साथ ही दिल्ली में इमारतों की छतों पर सोलर पैनल लगाने को बढ़ावा दिया जा रहा है। इन प्रयासों से आने वाले कुछ माह में दिल्ली को 25 सौ मेगावाट से ज्यादा अक्षय ऊर्जा मिलने लगेगी।
दिल्ली में अधिकतम मांग 74 सौ मेगावाट से ऊपर पिछले दस वर्षों में दिल्ली में बिजली की अधिकतम मांग में लगभग 14 सौ मेगावाट की वृद्धि हुई है। वर्ष 2011-12 में अधिकतम मांग 5028 मेगावाट थी। पिछले वर्ष गर्मी में अधिकतम मांग 74 सौ मेगावाट से ऊपर पहुंच गई है। इस मांग को पूरा करने के लिए दिल्ली दूसरे राज्यों में स्थित बिजली संयंत्रों पर निर्भर है। अधिकांश बिजली कोयला आधारित संयंत्रों से मिलती है, लेकिन अब यह हिस्सेदारी कम करने की कोशिश शुरू हो गई है। डिस्काम हरित ऊर्जा पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं।
कोयला संयंत्रों से मिलती है महंगी बिजली डिस्काम अधिकारियों का कहना है कि लंबी अवधि के लिए बिजली खरीद समझौते से महंगी बिजली मिलती है। कई समझौतों की अवधि खत्म हो गई है। उन्हें आगे बढ़ाने की जगह सौर ऊर्जा व पवन ऊर्जा खरीदने के लिए समझौते किए जा रहे हैं। पुराने कोयला आधारित संयंत्रों से पांच से छह रुपये प्रति यूनिट बिजली मिलती है। वहीं, सौर व पवन ऊर्जा दो से तीन रुपये प्रति यूनिट तक उपलब्ध है।
बीएसईएस ने किया 23सौ मेगावाट अक्षय ऊर्जा के लिए समझौता पिछले चार सालों में बीएसईएस ने भारतीय सौर ऊर्जा निगम (एसईसीआइ) से 23 सौ मेगावाट अक्षय ऊर्जा के लिए समझौता किया है। वर्तमान समय में छह सौ मेगावाट सौर ऊर्जा व तीन सौ मेगावाट पवन ऊर्जा और 31 मेगावाट कचरा से ऊर्जा बनाने के संयंत्रों से बिजली मिल रही है। अगले कुछ माह में 210 मेगावाट सौर ऊर्जा और डेढ़ सौ मेगावाट पवन ऊर्जा और मिलने लगेगी। इस तरह से बीएसईएस के पास इसी वर्ष लगभग अतिरिक्त 13 सौ मेगावाट अक्षय ऊर्जा उपलब्ध होगी। वहीं, डेढ़ वर्षों में समझौते के अनुसार एसईसीआइ से कुल 23 सौ मेगवाट अक्षय ऊर्जा मिलेगी।
टीपीडीएल को मिलती है साढ़े तीन सौ मेगावाट अक्षय ऊर्जा टाटा पावर दिल्ली डिस्ट्रिब्यूशन लिमिटेड (टीपीडीडीएल) को साढे तीन सौ मेगावाट अक्षय ऊर्जा मिल रही है। इसमे से 230 मेगावाट सौर ऊर्जा, 50 मेगावाट पवन ऊर्जा और 70 मेगावाट छोटे हाइड्रो प्रोजेक्ट और कचरे से ऊर्जा बनाने वाले संयंत्रों से बिजली शामिल है।राजधानी में छतों पर लग रहे हैं सोलर पैनल
दिल्ली सरकार सौर ऊर्जा को बढ़ावा दे रही है। घरों व अन्य सरकारी व निजी इमारतों पर सोलर पैनल लगाए जा रहे हैं। दिल्ली सरकार के बजट में दावा किया गया है राजधानी में इस समय नौ सौ मेगावाट सौर ऊर्जा की क्षमता है। बीएसईएस के बिजली वितरण क्षेत्र में 126 मेगावाट और टीपीडीडीएल के क्षेत्र में 47.4 मेगावाट सौर ऊर्जा का उत्पादन हो रहा है।अगले कुछ माह में उपलब्ध अक्षय ऊर्जा का विवरण
बीएसईएस-1291 मेगावाटटीपीडीडीएल-साढ़े तीन सौ मेगावाटदिल्ली में सोलर पैनल से प्राप्त सौर ऊर्जा- नौ सौ मेगावाट
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