Delhi Courts: कोर्ट के मामले में आत्मनिर्भर बनेगा यमुनापार, तीन जिलों में होगा भवन
कड़कड़डूमा कोर्ट में 1.66 लाख मामले लंबित है। सबसे अधिक लंबित मामले शाहदरा जिला कोर्ट में है और सबसे कम उत्तर पूर्वी जिले में हैं। पूर्वी व उत्तर पूर्वी जिला कोर्ट को नया भवन मिलने से लंबित मामलों का बोझ कम होगा या नहीं यह आने वाला वक्त बताएगा। अभी शास्त्री पार्क व न्यू उस्मानपुर एक ही भवन में चलते हैं।
शुजाउद्दीन, पूर्वी दिल्ली। धीरे-धीरे ही सही कोर्ट के मामले में यमुनापार आत्मनिर्भर बनने वाला है। यहां की तीनों जिला पूर्वी, शाहदरा और उत्तर पूर्वी कोर्ट का वर्ष 2026 तक अपने जिले में अपना भवन होगा। दिल्ली के बाकी जिला कोर्ट के अपने-अपने भवन नहीं है।
नए भवनों के बन जाने से कड़कड़डूमा कोर्ट में वादियों की भीड़ कम होगी। कोर्ट भवन अलग-अलग होने से सुरक्षा करने में पुलिस भी आसानी होगी। शास्त्री पार्क में उत्तर पूर्वी व कड़कड़डूमा क्षेत्र में पूर्वी जिले की कोर्ट स्थानांतरित होेगी।
सोनिया विहार से 15 किमी दूर है कड़कड़डूमा कोर्ट
आम लोगों की बात करें तो ज्यादा लाभ उत्तर पूर्वी जिले के लोगों को मिलेगा। इस जिले के लोगों को कड़कड़डूमा कोर्ट दूर पड़ता है। सोनिया विहार से कड़कड़डूमा कोर्ट 15 किलोमीटर दूर है, शास्त्री पार्क में कोर्ट बन जाने यह दूरी आठ किलोमीटर की रह जाएगी।
पीडब्ल्यूडी की कानून विंग के एक्सईएन रोबिन ने बताया कि शास्त्री पार्क कोर्ट 120.25 कराेड़ रुपये की लागत से बनेगी। लोगों को पार्किंग की समस्या का सामना न करना पड़े, इस कोर्ट के भवन में पार्किंग के लिए दो बेस्मेंट भी होंगे। कैदियों को रखने के लिए लाकअप भी रहेगा।
कड़कड़डूमा क्षेत्र में बन रही पूर्वी जिला कोर्ट 200 करोड़ रुपये की लागत से बन रही है। यहां वाटर हार्रेवेस्टिंग सिस्टम भी बनाया जाएगा।
शास्त्री पार्क और न्यू उस्मानपुर में बदलेंग हालात
शास्त्री पार्क व न्यू उस्मानपुर एक ही भवन में चलते हैं। दोनों ही थाना क्षेत्रों में अपराध अधिक हैं। थाने के पास डीडीए की सड़कें हैं, रात होते ही खास तौर से दोनों थानों के पास अंधेरा छा जाता है। पास में झुग्गि बस्ती है। जहां आपराधिक वारदात आए दिन हाेती रहती है।
थाने के पास ही आसामाजिक तत्व दिन व रात के वक्त सड़क पर चाेरी के तारों को जलाकर उसमें से कापर निकालते हैं और कबाड़ी काे बेचकर रुपये कमाते हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि कोर्ट के बन जाने से क्षेत्र में पुलिस की सक्रियता बढ़ने की उम्मीद है।
पुलिस का गश्त बढ़ेगा तो थाने के आसपास होने वाली आपराधिक वारदात रूकेंगी। अभी डीडीए भी सड़कों की बदहाली पर कोई ध्यान नहीं देता, कोर्ट बन जाने से स्थिति में निश्चित रूप से सुधार देखने को मिल सकता है।
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1993 में बनी थी कड़कडूमा कोर्ट
वर्ष 1993 में कड़कड़डूमा कोर्ट बनी थी। यह कड़कड़डूमा गांव की जमीन पर बनी है, इसलिए इसका नाम कड़कड़डूमा पड़ गया। इससे पहले यह कोर्ट शाहदरा में थी। उस वक्त यमुनापार में 18 थाने हुआ करते थे। कड़कड़डूमा में नया भवन बनने पर शाहदरा से कोर्ट यहां स्थानांतरित कर दी गई थी।
यहां करीब 122 कोर्ट रूम है और 672 स अधिक वकीलों के चैंबर हैं। नए भवन बन जाने के बाद कड़कड़डूमा कोर्ट में शाहदरा जिला की कोर्ट चलेगी। अभी कड़कड़डूमा कोर्ट में वकीलों की शाहदरा बार एसोसिएशन प्रतिनिधित्व करती है।
पूर्वी व उत्तर पूर्वी का नया भवन बनने के बाद वहां नई एसोसिएशन बनेगी।मौजूदा समय में यमुनापार में 39 थाने हैं। उत्तर पूर्वी जिले में सबसे अधिक 15 थाने हैं। इसी जिले में मंडोली जेल भी बना हुआ है।
लंबित मामले
कोर्ट | आपराधिक केस | सिविल केस | कुल |
शाहदरा | 52503 | 14430 | 66933 |
पूर्वी | 49676 | 13243 | 62919 |
उत्तर पूर्वी | 30288 | 6299 | 36587 |
नोट : यह डाटा एनजीडीजी कोर्ट की वेबसाइट से लिया गया है।