Delhi Zoo: राष्ट्रीय प्राणी उद्यान में नहीं जेब्रा व जिराफ
Delhi zone News दिल्ली नेशनल जूलॉजिकल पार्क लोग का काफी उत्साह के साथ घूमने आते हैं लेकिन कई वन्य जीव इस चिड़ियाघर में नदारद हैं। चिड़ियाघर में पिछले 13 वर्षों से जेब्रा और आठ वर्ष से जिराफ नहीं है।
By Nitin YadavEdited By: Nitin YadavUpdated: Sun, 15 Jan 2023 11:23 AM (IST)
नई दिल्ली [रमेश मिश्र]। दिल्ली चिड़ियाघर में इन दिनों आने वाले आगंतुक मायूस हैं। वे इस उम्मीद के साथ चिड़ियाघर की सैर करने आते हैं कि उन्हें अपने पसंदीदा वन्यजीवों को देखने का मौका मिलेगा। खासकर चिड़ियाघर आने वाले नौनिहालों की नजर कुछ चिर परिचित वन्यजीवों को देखने की होती है, लेकिन कई वन्य जीव इस चिड़ियाघर में नदारद हैं।
दिल्ली चिड़ियाघर देश का इकलौता राष्ट्रीय प्राणी उद्यान है। यह चिड़ियाघर केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के अधीन है। इसके बावजूद चिड़ियाघर के बाड़े में वन्यजीवों का अभाव है। यहां 13 वर्षों से जेब्रा और आठ वर्ष से जिराफ नहीं है। तीन साल पहले चिंपांजी की मौत हो गई थी। उसका स्थान खाली ही है। 2010 से जेब्रा और 2015 से नहीं है जिराफ दिल्ली चिड़ियाघर में काफी समय से जिराफ, जेब्रा और चिंपांजी की कमी खल रही है।
2010 तक यहां जेब्रा हुआ करता था।
इसी तरह 2015 में यहां आखिरीबार सैलानियों को जिराफ देखने को मिला था। जबकि वर्ष 2019 तक देश की सबसे बूढ़ी मादा चिंपांजी चिड़ियाघर के बाड़े में ही थी। उसे देश की सबसे बूढ़ी माता होने का दर्जा हासिल है। इतना ही नहीं अपनी उम्र के चलते उसका नाम लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड में भी दर्ज है।छोटे बच्चों में जिराफ और जेब्रा के प्रति खास उत्सुकता
हिसार जिसे आए शाहिद मायूस दिखे कि वह अपने तीन वर्ष के बच्चे को यह वादा करके लाए थे कि वह उसकी किताबों में अंकित चित्रों जिराफ और जेब्रा से दीदार करवाएंगे। इसी तरह से दिल्ली केनिजी स्कूल से आया बच्चों का एक समूह भी जिराफ, जेब्रा को देखने के लिए बेताब दिखा। शिक्षिका मालिनी कहती हैं कि बच्चों ने पुस्तकों में जिराफ, जेब्रा को पढ़ा, लेिकन यहां देख नहीं पाए।
जल्द ही शुरू होगा वन्यजीवों का एक्सचेंज प्रोग्राम
उधर, चिड़ियाघर प्रबंधन का दावा है कि वर्ष 2023 में चिड़ियाघर में अनेक वन्यजीवों का आगमन होगा। इसके लिए प्रयास जारी है। चिड़ियाघर निदेशक आकांक्षा महाजन का कहना है कि जल्द ही वन्यजीवों का एक्सचेंज प्रोग्राम शुरू होगा। चिड़ियाघर में लंबे समय से वन्यजीवों की संख्या बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है। इसके लिए देश के विभिन्न चिड़ियाघरों के साथ विदेश के चिड़ियाघरों से भी संपर्क किया जा रहा है। प्रशासन का प्रयास है कि यहां जिराफ और चिंपांजी की कमी को पूरा किया जा सके। ऐसे में कुछ चिड़ियाघरों की ओर से सकारात्मक प्रतिक्रिया भी मिली है।यह भी पढ़ें: Acid Attack: दिल्ली में कुत्ते को लेकर विवाद, पड़ोसियों ने शख्स पर फेंका 'एसिड'; एम्स में भर्ती
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