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Delhi Pollution: दिल्ली में न तो ठंड ने दी दस्तक और न ही पहुंचा पराली का धुआं, फिर भी राजधानी की हवा हुई दूषित

दिल्ली में अभी तक न तो ठंड का आगमन हुआ है और न ही पराली का धुआं पहुंचा है लेकिन फिर भी राजधानी की वायु गुणवत्ता बिगड़ने लगी है। चिंताजनक बात यह है कि दिल्ली के सभी 13 हॉटस्पॉट की हवा अभी से खराब या बहुत खराब श्रेणी में पहुंच गई है। इस स्थिति में ठंड और पराली के धुएं से स्थिति और भयावह होने की आशंका है।

By sanjeev Gupta Edited By: Sonu Suman Updated: Sat, 05 Oct 2024 07:00 AM (IST)
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राजधानी दिल्ली की हवा अभी से प्रदूषित होनी शुरू हुई।

संजीव गुप्ता, नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी में न अभी जाड़े की दस्तक हुई है और ना ही पराली का धुआं दिल्ली पहुंचा है। लेकिन यहां की वायु गुणवत्ता बिगड़ने लगी है। कमोबेश हर रोज ही एक्यूआइ में कुछ अंकों की वृद्धि देखने को मिल रही है। चिंताजनक यह कि दिल्ली के सभी 13 हॉटस्पॉट की हवा अभी से 'खराब' या 'बहुत खराब' श्रेणी में पहुंच गई है। ठंड व पराली के धुएं संग यह स्थिति और भयावह होना तय है। इस समय आनंद विहार का एक्यूआइ 300 से ऊपर चल रहा है जबकि अन्य सभी हॉटस्पॉट का एक्यूआई 200 से ऊपर है।

विचारणीय पहलू यह कि 25 सितंबर को ही पर्यावरण मंत्री गपाल राय ने 21 सूत्रीय विंटर एक्शन प्लान जारी किया था। इसमें सभी हाट स्पाट के लिए ड्रोन से निगरानी करने एवं ग्रीन वार रूम से भी 24 घंटे निगाह रखने की बात कही गई थी। पूर्व वर्षों में इनके लिए अलग- एक्शन प्लान भी बनते रहे हैं, लेकिन ऐसा लगता है कि अभी भी बहुत कुछ कागजों में ही है।

13 हॉटस्पॉट और वहां पर प्रदूषण के मुख्य स्रोत

1. आनंद विहार: आनंद विहार रेलवे स्टेशन के सामने क्षतिग्रस्त सड़कें, आनंद विहार से अप्सरा बार्डर तक रेलवे स्टेशन के निकास पर भीड़ व दूसरे राज्यों की डीजल बसें।

2. अशोक विहार: कचरा जलाना, वजीरपुर औद्योगिक क्षेत्र में खुदी हुई सड़कें, गुजरांवाला टाउन के पास कच्ची सड़क, सड़कों पर गड्ढे।

3. बवाना: धूलशमन उपायों के बिना बवाना औद्योगिक क्षेत्र के पास चल रही निर्माण परियोजनाएं, महर्षि वाल्मिकी अस्पताल के बाहर अवैध कूड़ा डंपिंग, पूठ खुर्द रोड पर सड़क की धूल।

4. द्वारका: रोड तुला राम चौक और तीन टी-जंक्शनों पर यातायात की भीड़। राष्ट्रीय मलेरिया अनुसंधान केंद्र के पास की सभी तरफ सड़कों पर वाहनों के कारण उड़ती धूल।

5. जहांगीरपुरी: खाना पकाने के लिए लकड़ी और कोयले का उपयोग। सड़कों के डिवाइडर में कूड़े की अवैध डंपिंग, कचरा जलाना। सड़क की धूल।

6. मुंडका: दिल्ली-रोहतक राजमार्ग पर के पास कच्चे रास्ते और गड्ढों के कारण भारी मात्रा में धूल उड़ना। सड़कों पर गडढे।

7. नरेला: नरेला औद्योगिक क्षेत्र में भारी ट्रकों की आवाजाही और यातायात की भीड़। भोरगढ़, नरेला में सड़क के किनारों पर कचरे और मलबे की अवैध डंपिंग।

8. ओखला: मां आनंदमयी मार्ग और ओखला एस्टेट मार्ग पर यातायात भीड़। वाहनों की संख्या बहुत अधिक होना।

9. पंजाबी बाग: फ्लाईओवर निर्माण के कारण मोती नगर फ्लाईओवर के नीचे और पंजाबी बाग क्लब रोड पर पार्क किए गए वाहनों की रुकावट से यातायात जाम। पश्चिमी पंजाबी बाग के विभिन्न हिस्सों में सड़कों पर गड्ढे-धूल।

10. आरके पुरम: सरोजिनी नगर में निर्माण कार्य होना। सड़कों पर धूल और गडढे।

(इसी तरह रोहिणी, विवेक विहार, वजीरपुर भी प्रदूषण के हॉटस्पॉट हैं।)

हॉटस्पाट के मानक

हाट स्पाट की पहचान धूल के महीन कणों पीएम 10 और पीएम 2.5 की हवा में मौजूदगी के सालाना औसत से तय होती है। पीएम 10 और पीएम 2.5 की साल भर में औसत मात्रा अगर किसी जगह पर अगर क्रमश: 300 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर और 100 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के पार रहती है तो वह स्थान प्रदूषण का हाट स्पाट होता है। डीपीसीसी अपने वायु गुणवत्ता निगरानी स्टेशनों से दो किमी के दायरे की हवा की गुणवत्ता की माप करता है।

प्रदूषण की समस्या कागजी एक्शन प्लान से दूर नहीं हो सकती। धरातल पर ठोस कार्रवाई जरूरी है। जब कारण पता है तो फिर निगरानी नहीं, कार्रवाई ही होनी चाहिए।सुप्रीम कोर्ट तक बार बार इसी बात पर फोकस कर रही है। - डॉ अनिल गुप्ता, सदस्य, डीपीसीसी और सीपीसीबी

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