क्या कभी खत्म होंगे दिल्ली में कूड़े के पहाड़? फिर बढ़ी समयसीमा, अब 2028 तक तीनों लैंडफिल साइट खत्म करने का लक्ष्य
दिल्ली के कूड़े के पहाड़ों को खत्म करने की समय-सीमा फिर बढ़ गई है। अब तीनों लैंडफिल साइटों को खत्म करने का लक्ष्य दिसंबर 2028 रखा गया है। स्थायी समिति का गठन न होने और वेस्ट टू एनर्जी प्लांट से लेकर लैंडफिल पर पड़े कूड़े का निस्तारण(बायोमाइनिंग ) करने की मंजूरी न मिलने की वजह से यह देरी हुई है।
निहाल सिंह, नई दिल्ली। राजधानी के कूड़े के पहाड़ों को हटाने की समय-सीमा अपने तय समय से अब पांच से छह साल देरी से हो पाएगी। स्थायी समिति का गठन न होने की वजह से अब कूड़े के पहाड़ों(लैंडफिल साइटों) को खत्म की समय-सीमा बदल गई है।
अब निगम ने तीनों लैंडफिल साइटों को खत्म करने की समय-सीमा दिसंबर 2028 रखी है। जबकि इससे पहले ओखला लैंडफिल की समय-सीमा दिसंबर 2024, भलस्वा की समय-सीमा दिसंबर 2025 और गाजीपुर की समय-सीमा दिसंबर 2026 रखी गई थी।
इसलिए बढ़ाई समय-सीमा
स्थायी समिति का गठन न होने और वेस्ट टू एनर्जी प्लांट से लेकर लैंडफिल पर पड़े कूड़े का निस्तारण (बायोमाइनिंग) करने की मंजूरी न मिलने की वजह से यह देरी हुई है।
इसलिए निगम ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर तीनों लैंडफिल के खत्म करने की समय-सीमा दिसंबर 2028 कर दिया है।
ओखला और भलस्वा पर कूड़ा निस्तारण के लिए लगी एजेंसी का कार्य बीते माह ही पूरा हो गया है। ऐसे में नया कूड़ा निस्तारण का कोई भी कार्य अब भलस्वा लैंडफिल साइटों पर नहीं चल रहा है।
धीमी गति से चल रहा कार्य
बीते पांच वर्षों में भी यह स्थिति पहली बार उत्पन्न हुई है। इसमें सबसे ज्यादा निराशाजनक स्थिति गाजीपुर लैंडफिल साइट पर हैं। जहां पर तय समय-सीमा के मुकाबले बहुत ही कम गति से कार्य चल रहा है।
यह पहली बार नहीं है कि दिल्ली में कूड़े के पहाड़ों को खत्म करने की समय-सीमा को बढ़ाया गया हो। चौथी बार निगम ने ऐसा किया है।
शुरुआती तौर पर 2021 और 2022 में इन लैंडफिल साइटों का खत्म करने का लक्ष्य पूर्वकालिक निगमों ने किया था। यह निगम का ऐसी परियोजना है जिसमें फंड की कोई कमी नहीं है बावजूद इसके निगम विभिन्न कारणों से इसे तय समय पर खत्म नहीं कर पा रहा है।
2022 में टेंडर आमंत्रित किए थे
निगम के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हमने 2022 में तीनों लैंडफिल साइटों को खत्म करने के लिए 30-30 लाख टन कूड़ा निस्तारण के लिए निविदा आमंत्रित की थी लेकिन स्थायी समिति का गठन न होने की वजह से निविदा को मंजूर करने की छह माह की समय-सीमा भी बीत गई।
इसकी वजह से यह कार्य नहीं हो पाया। हमारा कूड़ा निस्तारण का कार्य दो से तीन कार्यों पर तय करता है। इसमें वेस्ट टू एनर्जी प्लांट की स्थापना से लेकर लैंडफिल पर पड़े कूड़े निस्तारण के लिए लगी मशीनरी पर निर्भर करता है।
30-30 लाख मीट्रिक टन कूड़ा निस्तारण की है योजना
साथ ही यह भी तय होता है कि कितना कम कूड़ा लैंडफिल साइटों पर जाता है। चूंकि न तो नए कूड़ा निस्तारण के लिए वेस्ट टू एनर्जी प्लांट स्थापित हो पा रहे हैं और न ही लैंडफिल साइटों के बायोमाइनिंग का काम शुरू हो पा रहा है।
एक वेस्ट टू एनर्जी प्लांट नरेला बवाना में स्थापित होना है। जिससे तीन हजार मीट्रिक टन कूड़ा निस्तारण होगा। जबकि 30-30 लाख मीट्रिक टन कूड़ा निस्तारण की योजना है।
यह परियोजनाएं पहले से ही देरी से हो रही है। इसलिए हमने इसके लिए विशेष अनुमति देने की मांग की थी। अधिकारी ने बताया कि दिल्ली सरकार में यह प्रस्ताव लंबित है।
पहले कैसी थी कूड़े के पहाड़ों को खत्म करने की योजना
लैंडफिल साइट | 25 प्रतिशत खत्म | 50 प्रतिशत खत्म | 100 प्रतिशत खत्म | कुल कूड़ा (लाख टन में) |
गाजीपुर | मार्च 2022 | मार्च 2023 | सितंबर 2024 | 139.9 |
ओखला | अक्टूबर 2021 | अप्रैल 2022 | मार्च 2023 | 56.4 |
भलस्वा | अप्रैल 2021 | अक्टूबर 2021 | जून 2022 | 80 |
(आकड़े: फरवरी 2021 में निगम द्वारा एनजीटी में दिए गए हलफनामे के अनुसार)
छह साल में कितना कूड़ा प्रतिदिन उत्पन्न होने का है अनुमान
वर्ष- कुल कूड़ा- सूखा कूड़ा- गीला कूड़ा
2025-12069-7241-4828
2026-12391-7435-4957
2027-12803-7682-5121
2028-13229-7938-5292
2029-13669-8202-5468
2030-14124-8474-5650