किसान आंदोलन: कृषि कानून में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जो किसानों को मजबूर करेः पीयूष गोयल
किसान आंदोलन केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने गुरुवार को प्रेस कांफ्रेंस करके कहा कि किसानों को आंदोलन खत्म करना चाहिए क्योंकि नया कृषि कानून किसानों के हित में है। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी चाहते हैं कि किसानों की आमदनी बढ़े।
By JP YadavEdited By: Updated: Thu, 10 Dec 2020 05:05 PM (IST)
नई दिल्ली, जागरण न्यूज नेटवर्क। किसान आंदोलन: केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने गुरुवार को प्रेस कांफ्रेंस करके कहा कि किसानों को आंदोलन खत्म करना चाहिए क्योंकि नया कृषि कानून किसानों के हित में है। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी चाहते हैं कि किसानों की आमदनी बढ़े। उन्होंने कहा कि प्रदर्शनकारियों की तरफ से कोई सुझाव नही आए। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि कुछ चिंताएं थीं कि किसानों को अपनी उपज को निजी बाजार में बेचने के लिए मजबूर किया जाएगा। यह पूरी तरह से गलत है, कानून में कोई प्रावधान नहीं है जो किसी भी किसान को मजबूर करे।
3 केंद्रीय कृषि कानूनों की खिलाफ पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश समेत आधा दर्जन रा्ज्यों के किसानों का धरना बृहस्पतिवार को 15वें दिन में प्रवेश कर गया है। नोएडा सेक्टर 14 ए स्थित धरने पर बैठे किसानों को पुलिस ने फूल देकर आपसी सौहार्द्र की मिसाल पेश की है। इसके साथ ही दिल्ली पुलिस की ओर से भी किसानों को सफेद फूल और मास्क वितरित किये गए है, जिसे किसानों ने खुशी-खुशी स्वीकार किया है।
इस बीच केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Union Agriculture Minister Narendra Singh Tomar) ने किसानों से अपील की है कि ने अपना आंदोलन समाप्त करें और सरकार के साथ सहयोग करें।
केंद्रीय मंत्री केंद्रीय मंत्री राव साहब दानवे के उस बयान पर किसानों ने नाराजगी जताई है, जिसमें उन्होंने किसान आंदोलन में चीन और पाकिस्तान का हाथ बताया था। अखिल भारतीय किसान सभा के जनरल सेक्रेटरी हन्नान मोहल्ला ने प्रतिक्रिया में कहा कि यह भारतीय किसानों का अपमान है। किसान अपने स्वयं के हितों का नेतृत्व करते हैं।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।- बृहस्पतिवार सुबह प्रदर्शन की कड़ी में यूपी गेट पर जुटे किसानों ने डाबर से आने वाले रोड को किसानों ने बंद कर दिया, जिसके बाद पुलिस ने कड़ी मशक्कत कर उसे खुलवा दिया।
- सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शनकारियों के बीच मौजूद भारतीय किसान यूनियन के नेता मनजीत सिंह (Bharatiya Kisan Union's Manjeet Singh) ने कहा कि सरकार की मंशा किसानों के आंदोलन को कमजोर करने की है, लेकिन कई और किसान आंदोलन में शामिल होने के लिए दिल्ली आ रहे हैं। हम दिल्ली के लोगों से हमारा समर्थन करने की अपील करते हैं।
- किसानों के धरना-प्रदर्शन से दिल्ली से यूपी और हरियाणा के दर्जनभर रास्ते सील हैं, जिससे लोगों को दिक्कत पेश आ रही है। दिल्ली से सटे टीकरी बॉर्डर, सिंघु बॉर्डर के साथ दिल्ली-यूपी गेट पर भी किसान डटे हुए हैं, जिससे लोगों को परेशानी हो रही है। वहीं, जिस तरह से किसानों और केंद्र सरकार के बीच गतिरोध कायम है, उससे लगता नहीं है कि आने वाले कुछ दिनों में हालात में सुधार होगा।
- वहीं, इससे पहले बुधवार को सिंघु बॉर्डर पर किसान संगठनों ने बैठक के बाद केंद्र सरकार की तरफ से भेजे गए प्रस्ताव को खारिज कर दिया है। इतना ही नहीं प्रदर्शन को तेज करने की कड़ी में किसान नेताओं ने घोषणा की है कि कि वे 12 दिसंबर को दिल्ली-जयपुर हाइ-वे और दिल्ली-आगरा हाइ-वे को जाम करेंगे। किसान नेताओं ने कहा कि उनके संगठन के कार्यकर्ता 14 दिसंबर को देशभर में भाजपा के दफ्तरों के सामने विरोध प्रदर्शन करेंगे।
- वहीं, बुराड़ी के निरंकारी समागम मैदान में इकट्ठा हुए किसानों ने सरकारी सुविधाओं के इस्तेमाल से इनकार कर दिया। किसान नेता ने कहा कि संघर्ष हमेशा लोगों की अपनी क्षमताओं पर किया जाता है। हम सहानुभूति रखने वालों से मदद लेते हैं लेकिन सरकारों से नहीं। सरकारें केवल वोट हासिल करने के लिए काम करती हैं।
- केंद्र सरकार की ओर से बुधवार को कानूनों में बदलाव का प्रस्ताव किसानों को भेजा गया था। वहीं, सरकार के प्रस्ताव पर फैसला लेने के लिए सिंघु बॉर्डर पर किसानों से चर्चा हो रही है। बताया जा रहा है कि किसान संगठन तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को रद करने की मांग पर अड़े हैं।
- नोएडा के सेक्टर 95 स्थित दलित प्रेरणा स्थल में कृषि कानून के विरोध में भारतीय किसान यूनियन (लोकशक्ति) के कार्यकताओं ने रस्साकशी के जरिये अपना विरोध प्रकट किया। किसान पिछले आठ दिन से पार्क में बैठे हैं। किसानों की मांग है कि सरकार सभी फसल की एमएसपी दरें निर्धारित करके किसान आयोग का गठन करें।