Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

'वैवाहिक रिश्ते और एक दूसरे के साथ से वंचित किया जाना अत्यधिक क्रूरता', तलाक की मांग मंजूर करते हुए दिल्ली HC की टिप्पणी

किसी विवाहित जोड़े को वैवाहिक रिश्ते और एक-दूसरे के साथ से वंचित किया जाना अत्यधिक क्रूरता का कार्य है। दिल्ली हाईकोर्ट ने ये टिप्पणी एक पति की तलाक की मांग को लेकर दायर याचिका को मंजूर करते हुए की।पीठ ने हिंदू विवाह अधिनियम 1956 की धारा 13 के तहत पत्नी द्वारा क्रूरता के आधार पर पति को तलाक देने के पारिवारिक अदालत के आदेश को बरकरार रखा।

By Ritika MishraEdited By: Abhi MalviyaUpdated: Sat, 07 Oct 2023 08:12 PM (IST)
Hero Image
पीठ ने कहा कि पत्नी वैवाहिक जीवन में तालमेल बिठाने में असमर्थ थी

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। Delhi High Court: किसी विवाहित जोड़े को वैवाहिक रिश्ते और एक-दूसरे के साथ से वंचित किया जाना अत्यधिक क्रूरता का कार्य है। दिल्ली हाई कोर्ट ने ये टिप्पणी एक पति की तलाक की मांग को लेकर दायर याचिका को मंजूर करते हुए की।

न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा की पीठ ने हिंदू विवाह अधिनियम, 1956 की धारा 13 के तहत पत्नी द्वारा क्रूरता के आधार पर पति को तलाक देने के पारिवारिक अदालत के आदेश को बरकरार रखा।

2012 में हुई थी शादी

पीठ ने पत्नी की अपील को खारिज करते हुए कहा कि दोनों ने 2012 में शादी की थी, लेकिन वह अपनी शादी को बनाए रखने में असमर्थ थे, क्योंकि दोनों केवल दस माह तक ही साथ रह पाए थे और उसके बाद अलग-अलग रह रहे थे।

पीठ ने कहा पत्नी वैवाहिक जीवन में तालमेल बिठाने में असमर्थ थी जिसके कारण दोनों के बीच मतभेद होते थे और पति के मन में असंतोष और आशंका का भाव पैदा होता था। पीठ ने कहा कि उनके परिवारों के बीच हर माह विवाद को सुलझाने के प्रयास किए जा रहे थे, लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद दोनों के बीच विवाद हल नहीं हो सका। ऐसे में कई माह तक पति-पत्नी का बिना वैवाहिक रिश्ते में रहना और विवाद हल न होने को अविश्वास, नाखुशी और अनिश्चितता पैदा करने वाली मानसिक आघात के रूप में ही कहा जा सकता है।

यह भी पढ़ें- Delhi News: पुलिस ने युवक को बेवजह किया परेशान तो HC ने लिया आड़े हाथ, अब पीड़ित को दिया जाएगा इतना मुआवजा

पति रहता था आशंकित

पीठ ने कहा कि पति चाहे घर पर हो या काम पर लगातार आशंकित रहता था कि क्या घर में चीजें ठीक होंगी या उसे किसी प्रतिकूल घटना का सामना करना पड़ेगा। किसी व्यक्ति के मन में इस तरह की लंबी बेचैनी न केवल व्यक्ति को मानसिक शांति से वंचित करती है, बल्कि मानसिक पीड़ा और आघात का एक निरंतर स्रोत भी है। पीठ ने कहा कि पत्नी का खुद को कमरे में बंद करने का कृत्य पति की आशंका को मजबूत करने वाला अंतिम कृत्य था कि वह उसे झूठे मामलों में फंसा सकती है।

रिपोर्ट इनपुट- रीतिका मिश्रा

यह भी पढ़ें- लॉकअप में बिना कारण रहे शख्स को मिलेगा 50 हजार का मुआवजा, दिल्ली HC ने कहा- कानून नहीं बन सकते पुलिस अधिकारी

आपके शहर की तथ्यपूर्ण खबरें अब आपके मोबाइल पर