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जमीन की कमी के बावजूद इस साल दिल्ली में 67 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य, LG की निगरानी में नौ लाख से अधिक पेड़ लगे

राजनिवास के मुताबिक 2022-23 के दौरान दिल्ली में 48 लाख पेड़ और झाड़ियां लगाई गईं वहीं 2023-24 के दौरान यह संख्या बढ़कर 89 लाख हो गई। इनमें से अकेले डीडीए ने इसी अवधि के दौरान 14.61 लाख पेड़ लगाए थे। एलजी ने बैठक में दिल्ली में पौधारोपण मियांवाकी पौधारोपण और जल जंगल या जलीय वनस्पति के पौधारोपण के सभी संभावित तरीकों का पता लगाने का भी निर्देश दिया है।

By sanjeev Gupta Edited By: Sonu Suman Updated: Thu, 18 Jul 2024 09:16 PM (IST)
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एलजी वीके सक्सेना ने बृहस्पतिवार को राजधानी में वनीकरण के कार्य की विस्तृत समीक्षा की।

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। एलजी वीके सक्सेना ने बृहस्पतिवार को राजधानी में वनीकरण, पौधारोपण और विभिन्न स्थानों को हरा-भरा करने के कार्य की विस्तृत समीक्षा की। उन्होंने पिछले दो वर्षों में इस दिशा में किए गए कार्यों की समीक्षा करते हुए आगे की रणनीति के संबंध में अधिकारियों को निर्देश भी दिए। राजनिवास द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि जमीन की कमी के बावजूद 2024-25 में 67 लाख पेड़ों को लगाने का लक्ष्य है।

राजनिवास के मुताबिक 2022-23 के दौरान दिल्ली में 48 लाख पेड़ और झाड़ियां लगाई गईं, वहीं 2023-24 के दौरान यह संख्या बढ़कर 89 लाख हो गई। इनमें से अकेले डीडीए ने इसी अवधि के दौरान 14.61 लाख पेड़ लगाए थे। एलजी ने बैठक में दिल्ली में पौधारोपण, मियांवाकी पौधारोपण और जल जंगल या जलीय वनस्पति के पौधारोपण के सभी संभावित तरीकों का पता लगाने का भी निर्देश दिया है, ताकि राजधानी के हरित क्षेत्र को बढ़ाया जा सके।

एलजी की निगरानी में 9 लाख से अधिक पेड़ लगाए गए

एलजी की निगरानी में नौ लाख से अधिक पेड़ लगाए गए हैं। इनमें से 5.50 लाख पेड़ असोला भाटी माइंस में जुलाई 2023 में लगाए गए, इनमें एमसीडी और डीडीए द्वारा अपने एकाधिकार वाले क्षेत्रों के पार्कों में चलाए गए विशेष वृक्षारोपण अभियान के तहत लगाए गए एक-एक लाख पेड़ भी शामिल हैं। इसके अलावा जी-20 शिखर सम्मेलन से पहले गढ़ीमांडू में 83,500 बांस और फूलों के पेड़ लगाए गए थे और लगभग 20,000 पेड़ जिनमें बांस भी शामिल थे, सड़क के किनारे लगाए गए थे।

दिल्ली में वनस्पतियों की नई किस्मों को लगाने की पहल 

एलजी ने कहा कि पहली बार दिल्ली में वनस्पतियों की नई किस्मों को लगाने की पहल की। पहली बार राजनिवास सहित विभिन्न स्थानों पर चेरी ब्लॉसम, चिनार, ग्रीन एप्पल, वाटर एप्पल और चंदन के पौधे लगाए गए। सितंबर 2022 के आसपास राजनिवास में लगाए गए ग्रीन एप्पल और वाटर एप्पल ने केवल आठ महीनों में पहला फल भी दे दिया। दूसरी ओर, मई 2023 में लगाए गए चेरी ब्लासम, चिनार और चंदन के पौधे भी अच्छी तरह से फल-फूल रहे हैं। इन वनस्पतियों की वृद्धि ने इस मिथक को तोड़ दिया है कि इन पौधों और फलों को दिल्ली में नहीं उगाया जा सकता है।

एलजी ने 11 जून को जिसकी समीक्षा की थी उसे दिल्ली के मौजूदा हरित क्षेत्र में वृद्धि के लिए, ग्रीन लेआउट योजना 2024-25 के तहत निर्धारित लक्ष्यों के साथ भविष्य की लेआउट योजना को और अधिक व्यापक बनाने का निर्देश दिया है। एलजी ने पौधरोपण अभियान को चलाने और बनाए रखने के लिए दिल्ली सरकार के वन एवं पर्यावरण विभाग, डीडीए, एमसीडी और एनडीएमसी के बीच निर्बाध समन्वय का भी निर्देश दिया।

समीक्षा बैठक में इन मुददों पर भी हुई चर्चा

- स्कूलों एवं अन्य संस्थागत परिसरों की चहारदीवारी के किनारे वृक्षारोपण करना।

- नरेला-बवाना क्षेत्र में डीडीए द्वारा विशेष अभियान चलाया जाएगा, जिसमें मास्टर प्लान में ग्रीन बेल्ट के लिए निर्धारित क्षेत्र पर ध्यान दिया जाएगा।

- वन विभाग/डीडीए पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने के लिए रिज और वन क्षेत्रों में फल वाले पेड़ लगाकर पक्षियों और जानवरों की भोजन संबंधी जरूरतों को पूरा करेगा, जिससे उनके आवासीय क्षेत्रों में आ रही भोजन की कमी को पूरा किया जा सके।

- पौधारोपण के लिए आने वाले पौधों को और इन्हें वितरित करने के लिए अब तक उपयोग की जाने वाली प्लास्टिक की थैलियों की जगह, मिट्टी और गाय के गोबर से बने गमलों का उपयोग किया जाएगा। इससे प्लास्टिक के खतरे को कम करने के अलावा यह भी सुनिश्चित किया जा सकेगा कि लगाए जाने वाले पौधों को शुरुआती अवधि के दौरान जैव-उर्वरक के रूप में पोषक तत्व मिलते रहें।

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