Delhi Riots: 'वॉट्सऐप चैट में हथियार उठाने के लिए नहीं कहा था', पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन ने कोर्ट में दी दलील
दिल्ली दंगे की साजिश में शामिल मुख्य आरोपी एवं पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन के वकील ने कड़कड़डूमा कोर्ट में दलील देते हुए कहा कि उनके मुवक्किल के खिलाफ सबूत के तौर पर पेश किए गए वाट्सएप चैट में किसी को सरकार के खिलाफ हथियार उठाने को नहीं कहा था। चक्का जाम करना कोई आतंकवादी घटना नहीं है। इसलिए आतंकवाद विरोधी कानून यूएपीए का प्रविधान लागू नहीं हो सकता है।
जागरण संवाददाता, पूर्वी दिल्ली। दिल्ली दंगे की साजिश के मामले में मुख्य आरोपित एवं पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन ने शुक्रवार को कड़कड़डूमा स्थित कोर्ट में वॉट्सऐप चैट के साक्ष्यों पर पक्ष रखा गया।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश समीर बाजपेयी की कोर्ट में ताहिर (Tahir Hussain) के वकील ने दलील दी कि उनके मुवक्किल के खिलाफ साक्ष्य के रूप में पेश किए गए वाट्सएप चैट लोगों को हिंसा करने के लिए उकसाने वाले नहीं हैं।
13 नवंबर को होगी अगली सुनवाई
किसी वॉट्सऐप चैट में लोगों को हिंसा में शामिल होने के लिए नहीं कहा गया। कहीं भी लोगों को भारत सरकार या उसकी एजेंसियों के खिलाफ हथियार उठाने के लिए भी नहीं कहा था।अब इस मामले में अगली सुनवाई 13 नवंबर को होगी। वकील ने कोर्ट में कहा कि जिन वॉट्सऐप संदेशों पर जांच एजेंसी भरोसा कर रही है, उनमें केवल शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन और चक्का जाम की बात है।
ताहिर के वकील ने पूछे ये सवाल
चक्का जाम कोई आतंकवादी कृत्य नहीं है। ताहिर के वकील ने कहा कि जब तक यह साक्ष्य न मिल जाए कि सशस्त्र विद्रोह या उग्रवाद को बढ़ावा दिया गया था, तब तक आतंकवाद विरोधी कानून यूएपीए (UAPA) का प्रविधान लागू नहीं किया जा सकता। साथ ही प्रश्न पूछा कि क्या लोगों से मिलना और विरोध करना भी जांच एजेंसी के अनुसार आतंकवादी गतिविधि है।वकील ने कहा कि जांच एजेंसी को यह स्पष्ट करना होगा कि इस मामले में साजिश क्या और आरोपितों द्वारा कौन सा अपराध किया गया है। विरोध प्रदर्शन केवल नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ सीमित था।
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