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दिल्ली-एनसीआर से हटाए जाएंगे डीजल से चलने वाले लाखों आटो, बन रहा है प्लान

दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण को लेकर बड़ा कदम उठाया गया है। इसके असर कुछ सालों में दिखाई देगा। कार्य योजना में पुराने वाहनों को चरणबद्ध तरीके से हटाना शामिल है। इसके तहत डीजल से चलने वाले आटो रिक्शा हटाए जाएंगे।

By Jp YadavEdited By: Updated: Thu, 14 Jul 2022 08:10 AM (IST)
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दिल्ली-एनसीआर से हटाए जाएंगे डीजल से चलने वाले लाखों आटो, बन रहा है प्लान
नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]।  वायु प्रदूषण में वाहनों का दूसरा सबसे बड़ा योगदान है। सीएक्यूएम ने देश में वाहनों व परिवहन क्षेत्र से वायु प्रदूषण को कम करने के लिए भी व्यापक कार्य योजना बनाई है। यह कार्ययोजना दिल्ली-एनसीआर सहित आसपास के राज्यों के लिए होगी।

इसके तहत दिल्ली-एनसीआर से डीजल से चलने वाले आटो रिक्शा को चरणबद्ध तरीके से बाहर किया जाएगा। इसके साथ साथ ही वाहनों से होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए एनसीआर की सड़कों और राजमार्गो पर सीएनजी और एलएनजी ईंधन का नेटवर्क विकसित किया जाएगा।

सीएक्यूएम की कार्ययोजना में वैध प्रदूषण अंडर कंट्रोल (पीयूसी) प्रमाणपत्रों के साथ 100 प्रतिशत अनुपालन सुनिश्चित करना, उन्नत उत्सर्जन निगरानी के लिए रिमोट-सेंसिंग उपकरणों के साथ आन-रोड वाहनों की निगरानी के लिए मानदंड तैयार करना और पुराने वाहनों को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करना इत्यादि पहलू शामिल किए गए हैं।

आन-रोड उत्सर्जन निरीक्षण और निगरानी के लिए नीति में उल्लेख किया गया है कि प्रभावी फ्लीट स्क्रीनिंग अभी भी एक कठिन चुनौती बनी हुई है और अधिक उन्नत निरीक्षण और निगरानी प्रणाली शुरू करने की आवश्यकता है। आगे कहा गया है कि सभी वाणिज्यिक वाहनों को केंद्रीय मोटर वाहन नियम (सीएमवीआर) के तहत वार्षिक सड़क योग्यता और फिटनेस परीक्षण की आवश्यकता होती है।

एनसीआर के अधिकांश हिस्सों में पर्याप्त परीक्षण सुविधाओं के अभाव में सीएमवीआर परीक्षण मैन्युअल रूप से किए जाते हैं और इस क्षेत्र के लिए अधिक पूर्ण-स्वचालित, उच्च क्षमता वाले केंद्रीकृत परीक्षण केंद्र स्थापित करने की आवश्यकता है। नीति में दूर से उत्सर्जन को मापने के लिए रिमोट-सेंसिंग सुविधाएं शुरू करने की योजना भी शामिल है।

नीति में कहा गया है कि इस रणनीति से उत्सर्जन लाभ को अधिकतम करने के लिए और जंक वाहनों के असुरक्षित निपटान से पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने के लिए, राज्य सरकारें जीवन के अंत वाले वाहनों के लिए राज्य-स्तरीय स्क्रैपेज नीतियों को अतिरिक्त रूप से लागू कर सकती हैं जिनका अब और उपयोग नहीं किया जा सकता है।

नीति में कहा गया है कि एनसीआर योजना बोर्ड ने अपने मसौदा क्षेत्रीय योजना 2041 में जमीन की उपलब्धता के साथ आसपास के एनसीआर जिलों में ऐसे क्षेत्रीय स्क्रैप केंद्र स्थापित करने का प्रस्ताव दिया है। इसमें ट्रकों जैसे भारी शुल्क वाले वाहनों से उत्सर्जन को नियंत्रित करने और प्राकृतिक गैस नेटवर्क के शीघ्र विस्तार का भी उल्लेख है। वाहनों के स्क्रैप का भी प्रदूषण में बड़ा हाथ है। दिल्ली के कई क्षेत्रों में वाहन स्क्रैप का बड़ा कारोबार है।

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