AIIMS Cyber Attack के 10 दिनों बाद भी शुरू नहीं हुई डिजिटल सेवाएं, आयुष्मान भारत नंबर से पंजीकरण की तैयारी तेज
एम्स के सर्वर पर रैनसमवेयर अटैक के 10 दिन बाद भी अस्पताल की डिजिटल सेवाएं शुरू नहीं हो पाई है। खास बात यह है कि इस घटना से एम्स की चिकित्सा सुविधाओं को संपूर्ण डिजिटल करने की योजना को धक्का पहुंचा है।
By Ranbijay Kumar SinghEdited By: Abhi MalviyaUpdated: Fri, 02 Dec 2022 10:34 PM (IST)
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। एम्स के सर्वर पर रैनसमवेयर अटैक के 10 दिन बाद भी अस्पताल की डिजिटल सेवाएं शुरू नहीं हो पाई है। खास बात यह है कि इस घटना से एम्स की चिकित्सा सुविधाओं को संपूर्ण डिजिटल करने की योजना को धक्का पहुंचा है और आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अकाउंट (आभा नंबर) और क्यूआर कोड के जरिये ओपीडी पंजीकरण इलाज की सुविधा शुरू करने में भी देर हो गई है। ऐसे में ओपीडी पंजीकरण की लंबी लाइन की समस्या से मरीजों को निजात मिलने में अभी वक्त लग सकता है।
मरीजों को लाइन से मिलेगा छुटकारा
हालांकि, एम्स में आभा नंबर की मदद से ओपीडी पंजीकरण की सुविधा शुरू करने के लिए तैयारी जारी है। यही वजह है कि ओपीडी में इलाज के लिए पहुंचने वाले मरीजों का आभा नंबर बनाया जा रहा है। इस कार्य के लिए एम्स प्रशासन ने अनुबंध पर करीब 10 कर्मचारी नियुक्त किए हैं, जो अपने मोबाइल से मरीजों का आभा नंबर तैयार करते हैं। ताकि एम्स आनलाइन सुविधाएं शुरू होने पर आभा नंबर से ओपीडी पंजीकरण की सुविधा भी शुरू हो सके। इससे मरीजों को ओपीडी पंजीकरण की लाइन से छुटकारा मिल जाएगा।
एम्स के नए ओपीडी ब्लाक में 21 नवंबर से आभा नंबर के जरिये ओपीडी पंजीकरण का ट्रायल और एक दिसंबर से नए ओपीडी ब्लाक में हर मरीज का अनिवार्य तौर पर आभा नंबर से ओपीडी पंजीकरण की सुविधा शुरू होनी थी। इसके मद्देनजर ओपीडी पंजीकरण काउंटर के पास क्यूआर कोड चस्पा दिए गए हैं। लेकिन 23 नवंबर को एम्स के सर्वर पर रैनसमवेयर अटैक के बाद पूरी तैयारी धरी की धरी रह गई।
आभा नंबर से मरीजों का रिकार्ड होगा आनलाइन उपलब्ध
आभा नंबर तैयार करने के बाद मरीज का रिकार्ड आनलाइन उपलब्ध रहेगा। मरीजों को राष्ट्रीय स्वास्थ्य आथोरिटी द्वारा विकसित क्यूआर कोड स्कैन करने के बाद पर्सनल हेल्थ रिकार्ड एप के माध्यम से मरीजों को अपने स्वास्थ्य का रिकार्ड अस्पताल से साझा करने का विकल्प का चयन करना होगा। जिसके बाद मरीज की जानकारी ओपीडी पंजीकरण काउंटर पर कर्मचारी के पास पहुंच जाएगी।
लिहाजा क्यूआर कोड स्कैन करने के बाद मरीज को लाइन में लगने की जरूरत नहीं पड़ेगी। वे क्यूआर कोड स्कैन करने के बाद मरीज वेटिंग एरिया में अपनीं बारी का इंतजार करेंगे। उनकी बारी आने पर उन्हें काउंटर पर जाना होगा, जहां कुछ सेकेंड में उनका ओपीडी पंजीकरण हो सकेगा। इलाज के बाद मरीज के इलाज और जांच का रिकार्ड आनलाइन मौजूद रहेगा। इसलिए मेडिकल रिपोर्ट फाइल में संभालकर रखने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
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