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Delhi: ब्रह्मोस मिसाइल की आकस्मिक लॉन्चिंग के कारण बर्खास्तगी का मामला, दिल्ली HC ने केंद्र से मांगा जवाब

मार्च 2022 में ब्रह्मोस मिसाइल के आकस्मिक लॉन्चिंग के कारण बर्खास्तगी को चुनौती देने वाली एक वायु सेना अधिकारी की याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने रक्षा मंत्रालय वायु सेना प्रमुख और अन्य से जवाब मांगा है। यह मिसाइल पाकिस्तान में गिरा था।

By Vineet TripathiEdited By: Abhi MalviyaUpdated: Tue, 14 Mar 2023 09:52 PM (IST)
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ब्रह्मोस मिसाइल की आकस्मिक लॉन्चिंग के कारण बर्खास्तगी के मामले में हाईकोर्ट ने केंद्र से जवाब मांगा है।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। मार्च 2022 में ब्रह्मोस मिसाइल के आकस्मिक लॉन्चिंग के कारण बर्खास्तगी को चुनौती देने वाली एक वायु सेना अधिकारी की याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने रक्षा मंत्रालय, वायु सेना प्रमुख और अन्य से जवाब मांगा है। यह मिसाइल पाकिस्तान में गिरा था। न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत व न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा की पीठ ने सभी पक्षकारों को नोटिस जारी करते हुए छह सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।साथ ही याचिकाकर्ता को इस पर प्रत्युत्तर दाखिल करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया गया।

याचिका के अनुसार नौ मार्च 2022 को हरियाणा के सिरसा से लांच की गई एक ब्रह्मोस मिसाइल पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के खानेवाल जिले के मियां चन्नू में गिरी थी।रक्षा मंत्रालय ने कहा था कि तकनीकी खराबी के कारण के घटना हुई थी।

2022 में किया था बर्खास्त

इस घटना के बाद याचिकाकर्ता पूर्व विंग कमांडर अभिनव शर्मा को 22 अगस्त 2022 को वायु सेना अधिनियम-1950 की धारा-18 के तहत बर्खास्त कर दिया गया था। सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था। बर्खास्तगी को चुनौती देते हुए शर्मा ने कहा कि घटना के समय वह स्क्वाड्रन में इंजीनियरिंग अधिकारी के रूप में तैनात थे और वह केवल रखरखाव प्रकृति के कार्यों के लिए पेशेवर और व्यावहारिक प्रशिक्षण दे रहे थे।एक इंजीनियरिंग अधिकारी के रूप में उन्होंने कभी भी संचालन का प्रशिक्षण नहीं लिया था और यह कार्य विशुद्ध रूप से कमांडिंग आफिसर का था।

उन्होंने कहा कि उनके पास संचालन करने और परिचालन आपात स्थितियों को संभालने का कोई अनुभव नहीं था और प्रतिवादियों ने उन्हें दुर्भावनापूर्ण तरीके से बर्खास्त किया है। उन्होंने कहा कि वायु सेना अधिनियम की धारा-18 को लागू करके अधिकारियों ने जानबूझकर उन्हें कोर्ट मैरिटल द्वारा मुकदमा चलाने के अवसर से वंचित कर दिया।याचिकाकर्ता की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता एन हरिहरन ने कहा कि कोर्ट मार्शल की प्रक्रिया को समाप्त कर दिया गया है और अगर मामले में सुनवाई होती है तो असली तस्वीर साफ हो जाएगी।

वहीं, केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए एडिशनल सालिसिटर जनरल (एएसजी) चेतन शर्मा ने याचिका पर विचार करने पर प्रारंभिक आपत्ति जताते हुए तर्क दिया कि बर्खास्तगी के आदेश को तब तक चुनौती नहीं दी जा सकती जब तक कि दुर्भावना का कोई आधार नहीं बनता है। उन्होंने कहा कि इस घटना ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने देश को शर्मिंदा किया और पाकिस्तान में मिसाइल के गिरना युद्ध की स्थिति पैदा कर सकती थी। उन्होंने कहा कि बर्खास्त होने के आठ महीने बाद याचिकाकर्ता अदालत आए, जबकि तीन अन्य अधिकारियों के खिलाफ भी इसी तरह की कार्रवाई की गई थी।

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