Move to Jagran APP

Delhi: साढ़े तीन वर्ष से बंद पड़ी है कुतबगढ़ गांव की डिस्पेंसरी, जर्जर होने लगी ईमारत

डिस्पेंसरी को अब मवेशियों ने अपना ठिकाना बना लिया है। हर तरफ खरपतवार उग गई है। कहीं से दीवार गिर गई है तो कहीं से टाइल उखड़ रही हैं। मुख्य इमारत में भी कई जगह दरार आ गई है।

By JP YadavEdited By: Updated: Sat, 07 Nov 2020 09:52 AM (IST)
Hero Image
जर्जर हालत में शहीद भगत सिंह एलोपैथिक डिस्पेंसरी।
नई दिल्ली [सोनू राणा]। कुतबगढ़ गांव की शहीद भगत सिंह एलोपैथिक डिस्पेंसरी साढ़े तीन साल से बंद पड़ी है। डिस्पेंसरी शुरू नहीं होने की वजह से ईमारत जर्जर होती जा रही है। ऐसे में कई गांवों के लोगों को परेशानी हो रही है। वर्ष 2014 में एमसीडी की इस डिस्पेंसरी का निर्माण कार्य शुरू हुआ था। फरवरी, 2017 में पूर्व पार्षद देवेंद्र कुमार ने इसका उद्घाटन किया था। दस करोड़ रुपये से ज्यादा की लागत से बनाई गई यह डिस्पेंसरी साढ़े तीन साल से बंद है। डिस्पेंसरी को अब मवेशियों ने अपना ठिकाना बना लिया है। हर तरफ खरपतवार उग गई है। कहीं से दीवार गिर गई है तो कहीं से टाइल उखड़ रही हैं। मुख्य इमारत में भी कई जगह दरार आ रखी है। डिस्पेंसरी के अंदर व बाहर काई जमी हुई साफ दिखाई देती है। अभी गांव में कोई अन्य अस्पताल न होने के कारण लोगों को मजबूरन निजी अस्पतालों में इलाज कराने जाना पड़ता है। इसका सीधा असर उनकी जेब पर पड़ता है।

आसपास के 10-12 गांव हैं डिस्पेंसरी पर निर्भर

गांव के लोगों ने बताया कि इस डिस्पेंसरी पर आसपास के 10-12 गांव निर्भर हैं। वह पहले इलाज कराने यहीं आते थे। ग्रामीणों के अनुसार, पहले हरियाणा के सोहटी, सैदपुर, फिरोजपुर व दिल्ली के कटेवड़ा, जटखोड़, मुंगेशपुर, पंजाब खोड़ समेत 10 से 12 गांवों के लोग यहीं इलाज करवाने आते थे। अब उनको भी परेशानी हो रही है।

गर्भवती महिलाओं और बुजुर्गों को  हो रही है सबसे ज्यादा परेशानी

कुतबगढ़ निवासी शीला खत्री ने कहा कि गांव के लोगो को इलाज के लिए 15-20 किलोमीटर दूर जाना पड़ता हैं। गर्भवती महिलाओं और बुजुर्गों को सबसे ज्यादा परेशानी हो रही है। रात के समय अगर उनकी तबीयत खराब होती है तो उनके लिए एंबुलेंस की भी कोई सुविधा नहीं है। बार-बार फोन करने के बाद भी एंबुलेंस उबलब्ध नहीं हो पाती है।

दयनीय होती जा रही डिस्पेंसरी की हालत

कुतबगढ़ की महेंद्र कॉलोनी निवासी राजबीर सिंह ने बताया कि छह साल से लोगों को परेशानी हो रही है। अब तो बंद पड़ी डिस्पेंसरी की हालत दयनीय होती जा रही है। हर तरफ गंदगी है। कोरोना संक्रमण के समय में भी लोगों को इलाज के लिए निजी अस्पतालों पर निर्भर रहना पड़ता है। अगर डिस्पेंसरी शूरू हो जाए तो लोगों की परेशानी खत्म होगी।

वहीं, (पूनम सहरावत, पार्षद, नांगल ठाकरान) का कहना है कि मुंगेशपुर गांव की डिस्पेंसरी से डॉक्टर व स्टाफ यहां आएंगें। डिस्पेंसरी को शुरू करवाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। डिस्पेंसरी को जल्द ही शुरू करा दिया जाएगा।

Coronavirus: निश्चिंत रहें पूरी तरह सुरक्षित है आपका अखबार, पढ़ें- विशेषज्ञों की राय व देखें- वीडियो

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।