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दिल्ली के शीर्ष नौकरशाहों और सरकार के बीच विवाद एक बार फिर शुरू, इस बार भी नहीं हो सकी NCCSA की बैठक

दिल्ली के शीर्ष नौकरशाहों और निर्वाचित सरकार के बीच विवाद एक बार फिर शुरू हो गया है जिसके चलते राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण (एनसीसीएसए) की बैठक पांचवीं बार शुक्रवार काे फिर नहीं हो सकी। एनसीसीएसए के सदस्य सचिव ने बैठक को स्थगित करने के सीएम अरविंद केजरीवाल के फैसले पर सवाल उठाया।इससे भड़की आप सरकार ने इसे अमर्यादित और खुले विद्रोह के समान बताया है।

By V K ShuklaEdited By: Abhi MalviyaUpdated: Sat, 29 Jul 2023 01:31 AM (IST)
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दिल्ली के शीर्ष नौकरशाहों और निर्वाचित सरकार के बीच विवाद एक बार फिर शुरू हो गया है
नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। दिल्ली के शीर्ष नौकरशाहों और निर्वाचित सरकार के बीच विवाद एक बार फिर शुरू हो गया है, जिसके चलते राष्ट्रीय राजधानी सिविल सेवा प्राधिकरण (एनसीसीएसए) की बैठक पांचवीं बार शुक्रवार काे फिर नहीं हो सकी। एनसीसीएसए के सदस्य सचिव ने बैठक को स्थगित करने के सीएम अरविंद केजरीवाल के फैसले पर सवाल उठाया। इससे भड़की आप सरकार ने इसे अमर्यादित और खुले विद्रोह के समान बताया है।

केजरीवाल ने क्यों की बैठक स्थगित?

शुक्रवार शाम पांच बजे होने वाली एनसीसीएसए बैठक को प्राधिकरण के अध्यक्ष केजरीवाल ने यह तर्क देते हुए स्थगित कर दी कि दिल्ली को केंद्र द्वारा लाए गए अध्यादेश 2023 को बदलने के लिए एक विधेयक संसद में लंबित है और इसके पारित होने तक उसके अनुसार, काम करने के लिए इंतजार करना उचित होगा। इसके कुछ घंटों बाद प्रमुख सचिव (गृह) अश्विनी कुमार ने सीएम कार्यालय को एक संदेश भेजा कि एनसीसीएसए को निष्क्रिय और गैर-कार्यशील नहीं बनाया जा सकता और शेष दो सदस्यों की बैठक आयोजित करने का प्रस्ताव रखा। उन्होंने कहा कि प्रशासन को ठप रहने के लिए नहीं छोड़ा जा सकता है, खासकर तब जब यमुना का स्तर अब तक के सबसे ऊंचे स्तर पर है और जी20 शिखर सम्मेलन और संबंधित कार्यक्रम कुछ ही दिन दूर हैं।मगर मुख्यमंत्री की मंजूरी न मिलने से बैठक नहीं हुई।

एनसीएसएसए के सदस्य सचिव अश्विनी कुमार ने पत्र में लिखा कि इससे पहले 24 जुलाई को यह बैठक आयोजित होनी थी लेकिन उस समय बैठक स्थागित होने के कारण इसको रिशैडयूल करते आज के लिए प्रस्तावित किया गया था लेकिन शुक्रवार (आज) भी यह बैठक नहीं हो सकी।

नहीं बताई कोई नई तारीख

पत्र भी यह भी जानकारी दी गई है कि एनसीएसएसए की अंतिम बैठक 29 जून 2023 को रात के समय सीएम कैंप कार्यालय में हुई थी। इस प्रकार से अब तक कुल पांच बार यह बैठक स्थगित हो चुकी है। पत्र में बताया कि मुख्यमंत्री दफ्तर से प्राप्त हुए पत्राचार में बताया गया कि इस बैठक को फिलहाल स्थगित किया जाता है साथ ही नई बैठक के लिए भी कोई नई तारीख नहीं बतायी गई।

एनसीसीएसए का गठन अध्यादेश के माध्यम से किया गया था, जिसे मई में सेवाओं के मामलों पर कार्यकारी नियंत्रण को निर्वाचित सरकार को सौंपने, दिल्ली सरकार के अधिकारियों के स्थानांतरण और नियुक्ति उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई पर निर्णय लेने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को रद करने के लिए लागू किया गया था।प्राधिकरण के अध्यक्ष मुख्यमंत्री हैं और इसके अन्य दो सदस्य दिल्ली के मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव (गृह) हैं।

उधर इस बारे में अपना पक्ष देते हुए दिल्ली सरकार ने गृह सचिव द्वारा मुख्यमंत्री को लिखे गए पत्र को अमर्यादित और खुले विद्रोह के समान बताया है। दिल्ली सरकार ने कहा है कि क्या कोई कल्पना कर सकता है कि कोई अधिकारी किसी राज्य के मुख्यमंत्री को ऐसा पत्र लिखे? क्या गृह सचिव एलजी को ऐसी ही चिट्ठी लिख सकते हैं?

सरकार के अनुसार, यह एक अलग घटना नहीं है। दिल्ली सरकार में आए दिन ऐसी कई घटनाएं हो रही हैं जिनमें अधिकारी खुलेआम मंत्रियों के आदेशों की अवहेलना कर रहे हैं।

परियोजनाएं हो रही बाधित

अध्यादेश ने दिल्ली सरकार में निर्वाचित सरकार के खिलाफ खुले विद्रोह का कारण बना दिया है। इससे सभी विकासात्मक परियोजनाएं बाधित हो रही हैं और यह दिल्ली के नागरिकों के कल्याण के खिलाफ है। इन कारणों से ही सर्वोच्च न्यायालय ने सही निर्णय लिया कि नौकरशाही सीधे निर्वाचित सरकार के नियंत्रण में होनी चाहिए, अन्यथा सरकार कार्य नहीं कर पाएगी।

बता दें कि 19 मई को अध्यादेश जारी होने के बाद से दिल्ली सरकार में मंत्रियों और वरिष्ठ नौकरशाहों के बीच टकराव की कुछ घटनाएं हुई हैं। इस महीने की शुरुआत में सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण मंत्री सौरभ भारद्वाज ने और फिर लोक निर्माण विभाग मंत्री आतिशी ने मंडलायुक्त अश्विनी कुमार पर अवज्ञा का आरोप लगाया था। इसके जवाब में कुमार ने कहा था कि मंत्री राजनीति कर रहे हैं और झूठे आरोप लगा रहे हैं।इससे पहले सेवा विभाग के दो अधिकारियों ने भारद्वाज पर अपने आधिकारिक कक्ष में उन्हें परेशान करने और डराने-धमकाने का आरोप लगाया था।

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