Delhi: 'पिता की संपत्ति की हकदार नहीं तलाकशुदा बेटी...', महिला की याचिका खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने की टिप्पणी
मां और भाई से भरण-पोषण की मांग के तलाकशुदा महिला के दावे को ठुकराते हुए दिल्ली HC ने महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया है। अदालत ने कहा कि पिता की संपत्ति पर अविवाहित या विधवा बेटी तो दावा है लेकिन तलाकशुदा बेटी भरण-पोषण की हकदार नहीं है। भरण-पोषण का दावा हिंदू दत्तक ग्रहण एवं भरण-पोषण अधिनियम (HAMA) की धारा 21 के तहत किया गया है।
नई दिल्ली, विनीत त्रिपाठी। Delhi High Court: मां और भाई से भरण-पोषण की मांग के तलाकशुदा महिला के दावे को ठुकराते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया है। अदालत ने कहा कि पिता की संपत्ति पर अविवाहित या विधवा बेटी तो दावा है, लेकिन तलाकशुदा बेटी भरण-पोषण की हकदार नहीं है।
अदालत ने कहा कि भरण-पोषण का दावा हिंदू दत्तक ग्रहण एवं भरण-पोषण अधिनियम (एचएएमए) की धारा 21 के तहत किया गया है, जो उन आश्रितों के लिए प्रविधान करता है, जो भरण-पोषण का दावा कर सकते हैं। अदालत ने स्पष्ट किया कि इसमें रिश्तेदारों की नौ श्रेणियों का प्रविधान है, लेकिन इसमें तलाकशुदा बेटी शामिल नहीं है।
तलाकशुदा महिला की याचिका खारिज करते हुए न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत और नीना बंसल कृष्णा की पीठ ने कहा कि एक अविवाहित या विधवा बेटी को मृतक की संपत्ति में दावा करने के लिए मान्यता दी गई है, लेकिन एक तलाकशुदा बेटी भरण-पोषण के हकदार आश्रितों की श्रेणी में शामिल नहीं है। महिला ने पारिवारिक अदालत के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उसने अपनी मां और भाई से भरण-पोषण देने का दावा किया था।
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ये है पूरा मामला
महिला के पिता की वर्ष 1999 में मृत्यु हो गई थी। महिला का मामला था कि उसे कानूनी उत्तराधिकारी के रूप में कोई हिस्सा नहीं दिया गया था। महिला ने दलील दी थी कि उसकी मां और भाई उसे इस आश्वासन पर गुजारा भत्ता के रूप में प्रति माह 45 हजार रुपये देने पर सहमत हुए कि वह संपत्ति में अपने हिस्से के लिए दबाव नहीं डालेगी।
महिला ने कहा कि उसे नवंबर 2014 तक नियमित रूप से भरण-पोषण दिया गया, लेकिन इसके बाद नहीं दिया गया। महिला ने कहा कि उसके पति ने उसे छोड़ दिया और सितंबर 2001 में तलाक दे दिया था।
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पति का अता-पता नहीं- महिला
महिला ने कहा कि पति का पता नहीं चल रहा है, इसलिए वह उससे कोई गुजारा भत्ता या भरण-पोषण नहीं मांग सकती। हालांकि, महिला के तर्क को ठुकराते हुए अदालत ने कहा कि चाहे कितनी भी कठिन परिस्थिति क्यों न हो, लेकिन एचएएमए के तहत वह अधिनियम के तहत आश्रित नहीं है और इस प्रकार वह अपनी मां और भाई से भरण-पोषण का दावा करने की हकदार नहीं है।
रिपोर्ट इनपुट- विनीत