Diwali 2022: बेहद खास रहेगा इस साल दिवाली का त्योहार, जाने अगले दिन सूर्यग्रहण का क्या पड़ेगा असर
Diwali 2022 बड़ी दिवाली को पूजा अर्चना के लिए विशेष दिन माना जाता है। पंडित ने बताया कि बड़ी दिवाली के दिन गणपति महालक्ष्मी कुबेर नवगृह कलश दीपक सरस्वती महाकाली कलम दवात की विशेष पूजा अर्चना होती है। दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा है और सूर्यग्रणह भी है।
By Pradeep Kumar ChauhanEdited By: Updated: Mon, 17 Oct 2022 06:33 PM (IST)
नई दिल्ली, जागरण डिजिटल डेस्क। Diwali 2022: हर साल की भांति इस बार भी कार्तिक माह में अमावस्या के दिन दिवाली का त्योहार धूमधाम से मनाया जाएगा। लेकिन अन्य सालों की अपेक्षा इस बार पूजा पाठ के हिसाब से बड़ी दिवाली बेहद खास रहेगी। क्योंकि दिवाली के अगले दिन गोवर्धन पूजा है और सूर्यग्रणह भी है।
दरअसल, सूर्यग्रहण से 12 घंटे पहले सूतक काल प्रारंभ हो जाता है और इसमें दिवाली की पूजा पर विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है। हालांकि पंडितों का कहना है कि सूर्यग्रहण का भारत में आंशिक प्रभाव देखने को मिलेगा। फिर भी पूजा पाठ पर इसका कोई असर न पड़े इसलिए शुभ मुहूर्त के हिसाब से मां लक्ष्मी और गणेश भगवान की पूजा अर्चना करें।
24 अक्टूबर को होगी दिवाली की विशेष पूजा
बड़ी दिवाली को पूजा अर्चना के लिए विशेष दिन माना जाता है। पंडित ने बताया कि बड़ी दिवाली के दिन गणपति, महालक्ष्मी, कुबेर, नवगृह, कलश, दीपक, सरस्वती, महाकाली, कलम दवात की विशेष पूजा अर्चना होती है। घर में पूजन के लिए बड़ी दिवाली यानी सोमवार शाम को छह बजकर 8 मिनट से रात्रि 8 बजकर 38 तक मां लक्ष्मी और गणेश की विशेष पूजा अर्चना का शुभ मुहूर्त है।
गोवर्धन पूजा के दिन सूर्यगहणबड़ी दिवाली से अगले दिन यानी गोवर्धन पूजा के दिन मंगलवार को सूर्यग्रहण है। पंडित के मुताबिक दोपहर 2 बजकर 38 मिनट से सूर्यग्रहण आरंभ होगा ओर शाम छह बजकर 32 मिनट तक इसकी अवधि रहेगी। हालांकि भारत में इसका आंशिक प्रभाव देखने को मिलेगा। फिर भी बड़ी दिवाली और गोवर्धन भगवान की पूजा अर्चना मुहूर्त के हिसाब से ही करें।
ये भी पढ़ें- Ahoi Ashtami 2022: अहोई अष्टमी का व्रत जारी, जानिये व्रत कथा और पूजा के शुभ मुहूर्त के बारे मेंदरअसल, हिंदू धर्म में दिवाली को सुख-समृद्धि प्रदान करने वाला त्योहार माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन मां लक्ष्मी अपने भक्तों के घर पर पधारती हैं और उन्हें धन-धान्य का आशीर्वाद प्रदान करती हैं। साथ ही कहा जाता है कि दिवाली के दिन ही प्रभु श्रीराम लंकापति रावण पर विजय हासिल कर 14 साल बाद अयोध्या वापस लौटे थे। इसी खुशी में पूरा अयोध्या दीयों की रोशनी से रोशन किया गया था। तभी से पूरे देश में दिवाली का त्योहार मनाया जाता है।
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