सिपाही मोनिका का ही था नाले में मिला कंकाल, मां से DNA मैच... साथी हवलदार ने हत्या कर ऐसे पुलिस और परिजनों को दो साल किया गुमराह
दिल्ली पुलिस की महिला सिपाही मोनिका यादव को अगवाकर हत्या करने के मामले में दो साल बाद नाले से बरामद उनकी हड्डियों के डीएनए जांच में उनकी मां के डीएनए से कराने पर मिलान हो गया है। शुक्रवार को एफएसएल रिपोर्ट आने पर इसकी पुष्टि हुई। विशेष आयुक्त क्राइम ब्रांच रवींद्र सिंह यादव ने इसकी पुष्टि की है। इसके साथ ही आरोपी की सारी सच्चाई भी सामने आ गई।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस की महिला सिपाही मोनिका यादव को अगवा कर हत्या करने के मामले में दो साल बाद नाले से बरामद उनकी हड्डियों के डीएनए जांच में उनकी मां के डीएनए से कराने पर मिलान हो गया है। शुक्रवार को एफएसएल रिपोर्ट आने पर इसकी पुष्टि हुई। विशेष आयुक्त क्राइम ब्रांच रवींद्र सिंह यादव ने इसकी पुष्टि की है।
वर्ष 2018 में बुलंदशहर की रहने वाली सिपाही मोनिका जब दिल्ली पुलिस की पीसीआर यूनिट में तैनात थी, तब उसी यूनिट में काम करने वाले झज्जर निवासी हवलदार सुरेंद्र सिंह से उसका परिचय हुआ था। धीरे-धीरे दोनों एक दूसरे के करीब आ गए।
2020 में मोनिका का यूपी पुलिस में सब-इंस्पेक्टर में होने पर उसने सिपाही पद से इस्तीफा दे दिया था, लेकिन मुखर्जी नगर के एक पीजी में रहकर वह सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करती रही। सुरेंद्र उसके पास आता-जाता था। यहां तक वह मोनिका के गांव भी जाता था। सुरेंद्र पहले से शादीशुदा है, लेकिन मोनिका को उसने अविवाहित होने की बात बताई थी। मॉडल टाउन पुलिस कॉलोनी में सुरेंद्र परिवार के साथ रहता है।
मोनिका की गला घोंटकर हत्या
आठ सितंबर 2021 को घुमाने के बहाने सुरेंद्र, माेनिका को अलीपुर ले गया था। वहां उसने मोनिका पर शादी के लिए दबाव बनाया। तैयार न होने पर उसने कार के अंदर ही माेनिका का गला घोंट हत्या कर दी और शव को पुश्ता के पास सुनसान जगह पर नाले में फेंक दिया। शव को पत्थरों से दबा दिए गए ताकि बह कर कहीं और न चला जाए जिससे शव मिलने पर हत्या का भेद न खुल जाए।
मुखर्जी नगर थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट
हत्या के बाद सुरेंद्र ने मोनिका का मोबाइल अपने कब्जे में ले लिया था, ताकि उससे कोई सुबूत न मिल जाए। उधर करीब एक माह तक सुरेंद्र, मोनिका के स्वजन के साथ मिलकर उसे ढूंढने का नाटक करता रहा। नहीं मिलने पर 20 अक्टूबर 2021 को मुखर्जी नगर थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करा दी गई।
परिजन को गुमराह करते रहे अधिकारी
रिपोर्ट दर्ज कराने से पहले सुरेंद्र ने अपने बहनोई रोविन के जरिए एक फर्जी नाम पता पर लिए गए नंबर से माेनिका के स्वजन को कई बार फोन करवा कर बताया कि वह अरविंद बोल रहा है। मोनिका से उसने शादी कर ली है, वे लोग पंजाब में खुशी खुशी रह रहे हैं।
मोनिका को वे लोग ढूंढने की कोशिश न करें। मोनिका की बहन और अन्य सदस्य जब मुखर्जी नगर थाने और डीसीपी कार्यालय आते थे, तब सुरेंद्र भी उनके साथ जाता था। वह जांच अधिकारी, थानाध्यक्ष से मोनिका के जिंदा होने की बात बता गुमराह करता था। जिससे पुलिस माेनिका के ही चरित्र पर अंगुली उठा स्वजन को खुद भी पता करने की बात कहकर वापस भेज देते थे।
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एक साल बीत जाने जब कुछ नहीं हुआ तब किसी ने मोनिका की मां को पुलिस आयुक्त की जन सुनवाई में पेश होकर गुहार लगाने का सुझाव दिया। पिछले साल अप्रैल में महिला जब आयुक्त से गुहार लगाई जब उनके निर्देश पर साल भर बाद मुखर्जी नगर थाना पुलिस ने गुमशुदगी की रिपोर्ट को अपहरण में बदल तो दिया लेकिन फिर भी कोई कार्रवाई नहीं की।
क्राइम ब्रांच में केस ट्रांसफर
बीते जुलाई में पुलिस आयुक्त के पास दोबारा गुहार लगाने पर केस को क्राइम ब्रांच में ट्रांसफर कर दिया गया। क्राइम ब्रांच ने सबसे पहले उस नंबर को ट्रेस किया, जिससे स्वजन के पास फोन आता था। सिम झज्जर के पवन के नाम से फर्जी दस्तावेज पर लिया गया था, लेकिन दस्तावेज पर फोटो राजपाल का लगा दिया गया था।
रोविन ने खोला सारा राज
राजपाल के फोटो को एक साफ्टवेयर के जरिए पहचान करने की कोशिश की गई। उससे पूछताछ से राेविन के बारे में पता चला। राेविन को पकड़ने पर पूछताछ से सारा राज खुल गया। उसके बाद पुलिस ने सुरेंद्र सिंह को बुलाकर पूछताछ की तो पहले तो वह गुमराह करना शुरू किया।
सख्ती से पूछताछ पर बताई सच्चाई
उसने बताया कि वह मोनिका के साथ अलीपुर में यमुना पुश्ता किनारे गया था। माेनिका का पैर फिसलने पर वह गहने पानी में बह गई थी। इसके बाद क्राइम ब्रांच ने यमुना किनारे इलाके से लगने वाले कई थानों में जाकर मोनिका का शव के बारे में पता लगाने की कोशिश की किंतु जानकारी नहीं मिली। उसके बाद सुरेंद्र से जब फिर सख्ती से पूछताछ की गई तब उसने अलीपुर के उस जगह के बारे में बता दिया, जहां पर शव को दबा दिया गया था। वहां से कंकाल मिल गया।