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Delhi News: तिलक और मेहंदी लगाकर स्कूल आएं बच्चे, तो नहीं दें सजा; NCPCR ने दिए सख्त निर्देश

रक्षाबंधन के त्योहार के दौरान स्कूलों में स्कूलों में तिलक और मेहंदी पहुंचने वाले बच्चों के साथ भेदभाव नहीं किया जाएगा। उन्हें स्कूल में तिलक और मेहंदी लगाकर आने के लिए दंडित भी नहीं किया जाएगा। इस संबंध में राष्ट्रीय बाल अधिकार एवं संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिव को निर्देश दिया है।

By Ritika Mishra Edited By: Abhishek Tiwari Updated: Wed, 14 Aug 2024 10:55 AM (IST)
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स्कूलों में छात्रों के साथ न किया जाए सकेगा भेदभाव। (फाइल फोटो)
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। राष्ट्रीय बाल अधिकार एवं संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिव को निर्देश दिया कि रक्षाबंधन के त्योहार के दौरान स्कूलों में छात्रों के साथ भेदभाव न किया जाए।

आयोग ने सभी स्कूलों से अनुरोध किया कि अगर छात्र राखी बांधकर या तिलक व मेहंदी लगाकर स्कूल आते हैं, तो उन्हें सजा न दें। आयोग के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगों ने स्कूलों में भेदभाव की कुछ घटनाओं के बारे में चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि त्योहारों के उत्सव के कारण छात्रों को स्कूल के शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों द्वारा उत्पीड़न व भेदभाव का सामना करना पड़ता है।

सजा देना आरटीई अधिनियम का होगा उल्लंघन

स्कूल प्रबंधन छात्रों को रक्षाबंधन के त्योहार के दौरान राखी बांधकर या तिलक व मेहंदी लगाकर स्कूल आने की अनुमति नहीं देते हैं और ऐसा करने पर उनको शारीरिक दंड देने के साथ-साथ मानसिक तौर पर भी प्रताड़ित करते हैं। राष्ट्रीय बाल अधिकार एवं संरक्षण आयोग ने कहा कि अगर किसी स्कूल में इस तरह के सजा दी जाती है, तो यह शिक्षा का अधिकार (आरटीई) अधिनियम, 2009 का उल्लंघन होगा।

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एनसीपीसीआर ने सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों को इस संबंध में जारी दिशानिर्देशों का पालन सुनिश्चित करने के लिए संबंधित अधिकारियों को तत्काल निर्देश जारी करने को कहा। राष्ट्रीय बाल अधिकार एवं संरक्षण आयोग ने कहा कि सभी अधिकारी 17 अगस्त तक इस संबंध में अनुपालन रिपोर्ट जमा करें।

वहीं, एनसीपीसीआर के इस निर्देश को लेकर शिक्षा निदेशालय ने सभी सरकारी, सहायता प्राप्त और निजी स्कूलों के प्रधानाचार्यों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि वो अपने स्कूल में ऐसी किसी भी प्रथा का पालन नहीं करें, जो छात्रों के साथ भेदभाव करती हो या उन्हें जिससे शारीरिक दंड दिया जाए।

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