Delhi: 34वें हफ्ते में जन्मा नवजात हो गया था फेफड़ों की दुर्लभ बीमारी का शिकार, ऐसे मिला जीवनदान
पर्सिस्टैंट पल्मोनरी हाईपरटेंशन (Persistent Pulmonary Hypertension) के साथ समय पूर्व जन्मे नवजात शिशु की जान बचाने में द्वारका सेक्टर-6 स्थित मणिपाल अस्पताल के चिकित्सकों ने सफलता हासिल की है। शिशु का जन्म 34वें हफ्ते में हो गया था।
नई दिल्ली [मनीषा]। पर्सिस्टैंट पल्मोनरी हाईपरटेंशन (Persistent Pulmonary Hypertension) के साथ समय पूर्व जन्मे नवजात शिशु की जान बचाने में द्वारका सेक्टर-6 स्थित मणिपाल अस्पताल के चिकित्सकों ने सफलता हासिल की है। यह फेफड़ों की एक दुर्लभ बीमारी है। शिशु का जन्म 34वें हफ्ते में हो गया था और जन्म के बाद ही उसे सांस की इस बीमारी ने जकड़ लिया था।
फेफड़ों की रक्त नलिकाएं सिकुड़ गई थीं
शिशु गंभीर निमोनिया से पीड़ित था और उसके फेफड़ों की रक्त नलिकाएं सिकुड़ चुकी थीं, जिसके कारण उसके खून में आक्सीजन नहीं पहुंच पा रहा था। नियोनैटोलाजिस्ट डा. विनय कुमार राय ने हाईफ्रीक्वेंसी मैकेनिकल वेंटिलेशन और नाईट्रिक आक्साइड इन्हेलेशन की मदद से शिशु की स्थिति को सफलतापूर्वक संभाला। जिससे उसके फेफड़ों में सिकुड़ी हुई रक्त नलिकाओं को खोलने में मदद मिली।
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100% आक्सीजन के साथ वेंटिलेटर पर रखा
डा. विनय ने बताया कि शिशु को उच्च सपोर्ट और 100 प्रतिशत आक्सीजन के साथ वेंटिलेटर पर रखा गया, लेकिन इसके बाद भी, उसके खून में सैचुरेशन स्तर 50 प्रतिशत से कम था। सामान्य रूप से खून में सैचुरेशन 90 प्रतिशत से ज्यादा होना चाहिए।
यह हमारे लिए बहुत चुनौतीपूर्ण स्थिति थी, क्योंकि उस शिशु के शरीर में आक्सीजन का स्तर आठ घंटों से ज्यादा समय तक बहुत कम रहा। जन्म से पहले, जन्म के दौरान और जन्म के बाद आक्सीजन की कमी से जन्म संबंधी गंभीर विकृतियां, खासकर न्यूरोलाजिकल विकृतियां हो सकती हैं।
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फेफड़े पड़ गए थे सफेद
असल में शिशु के फेफड़े निमोनिया के कारण पूरी तरह से सफेद पड़ गए थे। सामान्य रूप से खून में आक्सीजन पहुंचाने के लिए फेफड़ों को काला होना चाहिए। फेफड़ों के कुछ हिस्से काम कर रहे थे, लेकिन उन हिस्सों में रक्त नलिकाएं बंद थीं, जिसके कारण उसके खून में आक्सीजन नहीं पहुंच पा रहा था। पर अब शिशु पूर्ण रूप से स्वस्थ है। कुछ दिन अवलोकन में रखने और न्यूरोलाजिकल परीक्षण के बाद उसे छुट्टी दे दी गई है।