बीएलके अस्पताल के डॉक्टरों ने बिना सर्जरी के महिला के फेफड़े से निकाला हाइडैटिड सिस्ट
डॉ. बीएल कपूर (बीएलके) अस्पताल में चेस्ट एंड रेस्पिरेटरी डिजीज के विभागाध्यक्ष डॉ. संदीप नायर के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम ने यह कार्य किया।
By JP YadavEdited By: Updated: Thu, 17 Sep 2020 11:40 AM (IST)
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। डॉ. बीएल कपूर (बीएलके) अस्पताल के डॉक्टरों ने श्रीनगर की 45 वर्षीय महिला रूही अन निशा के दाहिने फेफड़े से बुधवार को एक टूटे हुए हाइडैटिड सिस्ट (सफेद झिल्लीदार संरचना) को बिना सर्जरी के निकाल दिया। अस्पताल में चेस्ट एंड रेस्पिरेटरी डिजीज के विभागाध्यक्ष डॉ. संदीप नायर के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम ने यह कार्य किया। हाइडैटिड सिस्ट की वजह से मरीज को सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। साथ ही वह करीब दो महीने से सोई नहीं थीं। फिर उन्होंने क्रायोप्रोब (शरीर के ऊतकों को ठंडा कर फ्रीज करने की एक सर्जिकल प्रक्रिया) की मदद से टूटी झिल्ली को बाहर निकाला। झिल्ली को फ्रीज किया गया और मुंह के रास्ते बाहर निकाला गया था। इससे मरीज को तुरंत राहत मिली।
वहीं डॉ. नायर ने बताया कि इसका सामान्य तरीका ओपन सर्जरी के जरिए सिस्ट को हटाना है। इसके साथ ही कीमोथेरेपी भी दी जाती है। सिस्ट इस तरह से टूटा हुआ था कि इसे हटाना एक चुनौती थी। ये झिल्लियां इतनी नाजुक होती हैं कि ताली बजाने पर टूट जाती हैं, लेकिन मरीज सर्जरी करना नहीं चाहती थीं। साथ ही सांस संबंधी परेशानी से तुरंत राहत चाहती थीं, इसलिए हमने सर्जरी करने के बजाय टूटे हुए सिस्ट को फ्रीज किया और छाती को खोले बिना मुंह के रास्ते इसे निकाल दिया। पूरी प्रक्रिया में लगभग 45 मिनट का समय लगा।
अगर हमने सर्जरी का विकल्प चुना होता तो हमें जटिलताओं का सामना करना पड़ता। यह दुनिया में अपनी तरह की पहली प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया के बाद मरीज को तुरंत राहत मिली। अब उसे अगले तीन महीनों के लिए दवाइयां दी जाएंगी। मरीज में इस वर्ष जुलाई में इस समस्या के प्रारंभिक लक्षण प्रकट हुए और बेचैनी हुई। साथ ही खांसते समय खून भी निकल रहा था और मुंह में नमकीन कड़वा स्वाद महसूस हो रहा था। मरीज ने छाती का सीटी स्कैन कराया तब पता चला कि दाएं फेफड़े के निचले हिस्से में टेनिस बॉल के बराबर का सिस्ट है। इसके बाद महिला कश्मीर के अस्पताल में इलाज के लिए गई जहां उन्हें इलाज के लिए दिल्ली जाने की सलाह दी गई।
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