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One Year of Nirbhaya Justice: पढ़िये- दिल्ली की सबसे बड़ी फांसी की पूरी दास्तान, जब बिलख पड़े थे दोषी

One Year of Nirbhaya Justice तिहाड़ जेल की ओर जाने वाले तिहाड़ परिसर के गेट संख्या तीन के बाहर देर रात से लोगों की भीड़ जुटनी शुरू हो चुकी थी। घड़ी की सूई के साथ साथ यहां भीड़ बढ़ती जा रही थी। वहीं अंदर चारों दोषियों की हालत खराब थी।

By Jp YadavEdited By: Updated: Sat, 20 Mar 2021 10:45 AM (IST)
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20 मार्च को सुबह निर्भया के गुनहगारों को तिहाड़ जेल संख्या तीन में फांसी के फंदे पर लटका दिया गया।
नई दिल्ली [गौतम कुमार मिश्रा]। आज के ही दिन यानि 20 मार्च को सुबह ठीक साढ़े पांच बजे निर्भया के गुनहगारों को तिहाड़ जेल संख्या तीन में फांसी के फंदे पर लटका दिया गया। वहीं, इससे पहले 19 मार्च की देर रात तक जब तक यह तय नहीं हो गया कि अब गुनहगारों द्वारा फांसी के फंदे से बचने के उपाय से जुड़े सभी रास्ते बंद हो चुके हैं, तब तक जेल अधिकारी यह मानकर चल रहे थे कि कुछ भी हो सकता है। यानि संभव है फांसी की प्रक्रिया को एक बार फिर से टालना पड़े। लेकिन जब यह तय हो गया कि अब गुनहगारों को फांसी हर हाल में दी जानी है तब जेल के सभी अधिकारी अपने काम में तेज गति से जुट गए। जल्लाद को भी यह समझा दिया गया कि फांसी तय समय पर ही होनी है। अब किंतु- परंतु की कोई गुंजाइश नहीं है।

 तिहाड़ जेल संख्या तीन की ओर जाने वाले तिहाड़ परिसर के गेट संख्या तीन के बाहर देर रात से लोगों की भीड़ जुटनी शुरू हो चुकी थी। घड़ी की सूई के साथ साथ यहां भीड़ बढ़ती जा रही थी। यहां न सिर्फ दिल्ली बल्कि दिल्ली के बाहर से भी लोग जुटने लगे थे। कई परिवार तो रात के अंधेरे को चीरते हुए अपने घरों से निकले और गेट संख्या तीन के बाहर उस वक्त का इंतजार करने लगे जब निर्भया के गुनहगारों को फांसी के फंदे पर लटकाने के लिए तय किया गया था, यानि सुबह साढ़े पांच बजे। लोगों की भीड़ जिस हिसाब से यहां बढ़ रही थी, उसी हिसाब से यहां सुरक्षाकर्मियों की तादाद भी बढ़ती जा रही थी। पहले दिल्ली पुलिस और फिर देखते ही देखते यहां अर्धसैनिक बलों के जवान भी पहुंचने शुरू हो गए थे।

गेट संख्या तीन से थोड़ी दूर पर स्थित जेल संख्या तीन के भीतर करीब 50 जेलकर्मियों की पूरी टीम फांसी की प्रक्रिया से जुड़ी तैयारियों में व्यस्त थी। करीब साढ़े तीन बजे चारों दोषियों अक्षय, विनय, पवन व मुकेश के सेल में जेल अधीक्षक खुद पहुंचे। सभी को जगाया गया। जब सभी जागे तब जेल अधीक्षक ने सभी को बताया कि साढ़े पांच बजे सभी को फांसी दी जाएगी। इसके बाद कड़ी सुरक्षा में चारों दोषियों को नहलाया गया। चिकित्सकों ने सभी के स्वास्थ्य की जांच की।

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कैदियों के सेल से चंद फासले पर स्थित फांसी घर में भी तड़के हलचल शुरू हो चुकी थी। दोषियों को फांसी पर लटकाने वाला जल्लाद फांसी घर के प्लेटफार्म पर पहुंचा। यहां उसने फंदे पर सरसरी निगाह डाली। लीवर को गौर से देखा कि कहीं कोई तकनीकी खामी तो नहीं है। पूरी तरह निश्चिंत होने के बाद सुबह पांच बजे दोषियों को सेल से निकालने की प्रक्रिया शुरू हुई। उन्हें डेथ वारंट पढ़कर सुनाया गया। इसके बाद उनके चेहरे को काले चेहरे से ढककर कड़ी सुरक्षा में फांसी के प्लेटफार्म पर लाया गया। यहां जल्लाद ने चारों दोषियों के गले में फंदा डाला। ठीक साढ़े बांच बजे जेल अधीक्षक से इशारा मिलते ही जल्लाद ने लीवर दबाया और चारों दोषियों को फांसी पर लटका दिया गया।

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चार बजे ही पहुंच गए थे महानिदेशक

जेल महानिदेशक संदीप गोयल 19 मार्च की रात ठीक चार बजे तिहाड़ पहुंच चुके थे। इसके बाद सुबह साढ़े पांच बजे तक उनका समय काफी व्यस्त रहा। एक एक पल पर उनकी नजर रही। कभी जेल अधीक्षक तो कभी अतिरिक्त महानिरीक्षक, कभी सुरक्षा अधिकारी से वे बराबर संपर्क में थे। जल्लाद की भी वे पल- पल की खबर ले रहे थे। जेल अधिकारी उन्हें हर छोटी से छोटी बातों की जानकारी दे रहे थे। सु्बह जब दोषियों को फांसी के फंदे पर लटका दिया गया तो इसकी अधिकारिक जानकारी स्वयं महानिदेशक ने लोगों को दी थी।

 फांसी की प्रक्रिया के वो दो घंटे

3.30 बजे-  दोषियों को जगाने पहुंचे जेल अधीक्षक

3.45 बजे - जल्लाद पहुंचा फांसी घर

4 बजे - स्नान के बाद चारो दोषियों की हुई स्वास्थ्य जांच

4.15 बजे- चारों दोषियों को नया कपड़ा पहनाया गया

4.45 बजे- दोषियों से पूछी गई उनकी आखिरी इच्छा

5 बजे- दोषियों के बांधे गए हाथ

5.05 बजे- सिर को काले कपड़े से ढंका गया

5.15 बजे-  फांसी घर में दोषियों को ले जाया गया

5.17 बजे-  दोषियों को ले जाया गया फांसी के प्लेटफॉर्म पर

5.20 बजे-  जल्लाद ने दोषियों के बांधे पैर

5.25 बजे-  दोषियों के गले में डाला गया फंदा

5.28 बजे-  जल्लाद ने जेल अधीक्षक को पूरी तैयारी का किया इशारा

5.30 बजे-  जेल अधीक्षक के इशारे के साथ ही दबाया गया लीवर

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