Delhi: जलभराव रोकने के लिए तैयार किया जा रहा है ड्रेनेज मास्टर प्लान, IIT की ली गई है मदद
Delhi Waterlogging Plan दिल्ली सरकार राष्ट्रीय राजधानी में जलभराव की समस्या के स्थायी समाधान के लिए जो ड्रेनेज मास्टर प्लान तैयार किया जा रहा है मुख्य सचिव नरेश कुमार ने इसे दिसंबर तक तैयार करने के निर्देश दिए हैं।इसे देखते हुए लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने पिछले सप्ताह इस पर काम कर रहीं दोनों सलाहकार कंपनियों के साथ बैठक की है और प्रगति रिपोर्ट ली है।
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। दिल्ली सरकार राष्ट्रीय राजधानी में जलभराव की समस्या के स्थायी समाधान के लिए जो ड्रेनेज मास्टर प्लान तैयार किया जा रहा है, मुख्य सचिव नरेश कुमार ने इसे दिसंबर तक तैयार करने के निर्देश दिए हैं।इसे देखते हुए लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने पिछले सप्ताह इस पर काम कर रहीं दोनों सलाहकार कंपनियों के साथ बैठक की है और प्रगति रिपोर्ट ली है।
पीडब्ल्यूडी ने तीनों जल निकासी के प्रमुख नालों नजफगढ़ बेसिन, बारापुला बेसिन व यमुनापार बेसिन को लेकर कंपनियों को 31 दिसंबर तक डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार कर लेने की हिदायत दी।इसी के आधार पर जलभराव की समस्या से समाधान दिलाने के लिए ड्रेनेज मास्टर प्लान पर काम शुरू होगा।
दिल्ली में 201 नाले
दिल्ली में 201 प्राकृतिक नाले हैं, जो तीन प्राकृतिक जल निकासी बेसिन के जरिए यमुना में गिरते हैं। नजफगढ़ नाले में 123 ड्रेन मिलते हैं। वहीं, बारापुला नाले में 44 ड्रेन और ट्रांस यमुना बेसिन में 34 नाले मिलते हैं। नजफगढ़ नाला 63.06 प्रतिशत ड्रेनेज एरिया को कवर करता है।
तीन साल पहले प्लान की घोषणा हुई
बारापुला 24.28 प्रतिशत और ट्रांस यमुना बेसिन 12.66 प्रतिशत ड्रेनेज एरिया को कवर करता है। दिल्ली में जलभराव की समस्या को देखते हुए दिल्ली सरकार ने करीब तीन साल पहले दिल्ली ड्रेनेज मास्टर प्लान-2021 की घाेषणा की थी। इसके तहत नाले-नालियों में जरूरी बदलाव किए जाने हैं।
आईआईटी दिल्ली की मांगी मदद
उस समय सरकार ने इसके लिए प्लान तैयार करने के कार्य में आईआईटी दिल्ली की मदद मांगी थी। लेकिन आइआइटी दिल्ली के सुझाव काम नहीं आए हैं। लोक निर्माण विभाग की योजना ऐसे ड्रेनेज मास्टर प्लान को तैयार करना है, जिस पर काम किया जा सके और इसे लागू करने में जनता को ज्यादा असुविधा न हो। इसे लेकर दिल्ली को तीन भागों में बांटकर काम किया जाएगा।
निश्चित समय में जल निकासी में सुधार
दिल्ली ड्रेनेज मास्टर प्लान का उद्देश्य एक निश्चित समय सीमा के अंदर जल निकासी में सुधार करना है। इसके अनुसार करीब 30-35 वर्षों के लिए जल निकासी के संदर्भ में एक मास्टर प्लान तैयार करना है। प्लान के तहत यह पता लगाया जाना है कि किस नाली का स्लोप खराब है, कौन सी नाली कहां मिलती है और किस नाली को किस नाले से जोड़ना है। इतना ही नहीं, हर नाली और नाले की योजना बनाई जानी है।
3740 किलोमीटर के नाले-नालियां
दिल्ली में छोटे-बड़े करीब 2846 नाले-नालियां हैं और इनकी लंबाई करीब 3740 किलोमीटर है। इसमें नालों का एक बड़ा हिस्सा पीडब्ल्यूडी के पास है और पीडब्ल्यूडी इसका नोडल विभाग भी है। जल निकासी के दिल्ली में तीन बड़े नाले हैं। इसमें ट्रांस यमुना, बारापुला और नजफगढ़ हैं। इसके अलावा कुछ बहुत छोटे नाले अरुणा नगर और चंद्रवाल भी हैं, जो सीधे यमुना में गिरते हैं।
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वर्ष 1911 में दिल्ली का पहला मास्टर ड्रेनेज प्लान तैयार किया गया था। वर्ष 1968 में इसकी समीक्षा हुई और वर्ष 1976 में ड्रेनेज प्रणाली तैयार की गई थी। उस समय दिल्ली की जनसंख्या 60 लाख थी। अब जनसंख्या दो करोड़ से अधिक है। बढ़ी हुई जनसंख्या, आवासीय, व्यावसायिक व औद्योगिक क्षेत्रों की जरूरत के अनुसार इसमें बदलाव की जरूरत है।