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हार्मोन में खराबी से बच्चों में होती है DSD, नहीं पता चलता लड़का है या लड़की; AIIMS ने कहा- सिर्फ दवा से ठीक हो सकती है यह बीमारी

डीएसडी भी जन्मजात विकार की ऐसी बीमारी है जिससे पीड़ित बच्चा लड़का है या लड़की जन्म के समय यह पता नहीं चल पाता। ऐसे बच्चों को कई लोग छोड़ देते हैं या पहले किन्नर अपने साथ ले जाते थे। हार्मोन में खराबी के कारण गुप्तांग के जन्मजात विकार की इस बीमारी से पीड़ित बच्चों का यदि शुरूआत में ही इलाज हो तो उन्हें दवा से ठीक किया जा सकता है।

By Ranbijay Kumar Singh Edited By: Geetarjun Updated: Mon, 08 Apr 2024 10:09 PM (IST)
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हार्मोन में खराबी से बच्चों में होती है DSD, नहीं पता चलता लड़का है या लड़की।
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। डीएसडी (लिंग विकास में अंतर) भी जन्मजात विकार की ऐसी बीमारी है, जिससे पीड़ित बच्चा लड़का है या लड़की, जन्म के समय यह पता नहीं चल पाता। ऐसे बच्चों को कई लोग छोड़ देते हैं या पहले किन्नर अपने साथ ले जाते थे।

हार्मोन में खराबी के कारण गुप्तांग के जन्मजात विकार की इस बीमारी से पीड़ित बच्चों का यदि शुरूआत में ही इलाज हो तो उन्हें दवा से ठीक किया जा सकता है। जो बच्चे दवा से ठीक नहीं हो पाते उसे सर्जरी कर ठीक किया जा सकता है। एम्स में बच्चों की सर्जरी के विषय पर आयोजित एक कॉन्फ्रेंस में एम्स के डॉक्टर्स ने यह जानकारी दी।

गर्भावस्था के दौरान पता चल सकती हैं बीमारियां

एम्स के पीडियाट्रिक सर्जरी की एडिशनल प्रोफेसर डॉ. शिल्पा शर्मा ने बताया कि बच्चों में जन्मजात विकार एक बड़ी समस्या है। बच्चे कई तरह की जन्मजात विकार की बीमारियों से पीड़ित होते हैं। यदि बच्चों के शरीर का विकास ठीक न हो तो गर्भावस्था के 16 से 20 सप्ताह में अल्ट्रासाउंड जांच से जन्मजात बीमारियों का पता लगाया जा सकता है।

कई बीमारिया जन्मजात से देखी जा सकती हैं

यदि बीमारी ज्यादा गंभीर हो तो माता-पिता गर्भपात का फैसला ले सकते हैं। यदि समस्या बहुत ज्यादा गंभीर न हो तो सर्जरी से ठीक किया जा सकता है। यह देखा जाता है कि कई बच्चों की आंत पेट से बाहर होती है। कुछ बच्चों की आंत फेफड़े की जगह होती है। इसके अलावा स्पाइना बिफिडा (रीढ़ से संबंधित बीमारी) सहित कई जन्मजात बीमारियां बच्चों में देखी जाती है।

डीएसडी एक बड़ा मुद्दा

डीएसडी भी एक बड़ा मुद्दा है और इसका भी इलाज है। इससे पीड़ित एक बच्चे को माता-पिता एम्स में छोड़ गए थे। जिसे किन्नर अपने साथ ले गए थे। बाद में वे बच्चे को वापस एम्स में लेकर पहुंचे। तब बच्चे का इलाज किया गया, जिसे बाद में एक गैर सरकारी संगठन को सौंपा गया। समय बदल रहा है और नजरिया भी बदलना चाहिए।

हार्मोन की होती है गड़बड़ी

इस बीमारी से पीड़ित बच्चों में हार्मोन में गड़बड़ी के कारण जननांग का आकार ठीक से विकसित नहीं होता। सर्जरी से इसे ठीक किया जा सकता है। डीएसडी में एक बीमारी होती है कंजेनिटल एड्रिनल हाइपरप्लेशिया। सामान्य तौर पर ये लड़कियां होती हैं लेकिन हार्मोन में खराबी के कारण पुरुष की तहत भी छोटा गुप्तांग होता है। यदि शुरुआत में ही इसका इलाज हो तो सिर्फ दवाओं से ही ठीक हो सकती है।

जन्म के तुरंत बाद हो इलाज

दवा से किसी को फायदा नहीं होने पर एक छोटी सर्जरी करनी पड़ती है। इसके लिए जरूरी है कि जन्म के तुरंत बाद इसका इलाज हो। एम्स में ऐसे 1100 बच्चों का इलाज हो चुका है। इनमें से कई बड़े हो चुके हैं और उनकी शादी भी हो चुकी है।

बच्चों में जन्मजात विकार की बीमारी के लिए पिता भी जिम्मेदार

बच्चों को स्पाइना बिफिडा जैसी जन्मजात बीमारी से बचाव के लिए गर्भवती महिलाओं को फोलिक एसिड की दवा दी जाती है। इसी तरह पिता के कारण भी बच्चों में कई जन्मजात बीमारियां होती हैं, जिस पर ध्यान नहीं दिया जाता।

एम्स के एनाटमी विभाग की प्रोफेसर डॉ. रीमा दादा ने कहा कि कई शोध में यह पाया गया है कि खराब रहन सहन, गलत खानपान व धूमपान करने वाले पुरुषों के शुक्राणु का डीएनए खराब होता है। यह बच्चों में जन्मजात बीमारियों का करण बनता है। इसलिए स्वस्थ संतान के लिए पुरुषों का भी खानपान व रहन सहन अच्छा होना जरूरी है।

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