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'चांद पर मानव कॉलोनी', कैसे होगी ऑक्सीजन व भोजन की पूर्ति? सपने को साकार करने में व्यस्त है DU की छात्रा

Delhi News डीयू की छात्रा इन दिनों चांद पर मानव कॉलोनी बनाने में व्यस्त है। इस सपने को साकार करने में उनके साथ अन्य छात्र भी लगे हुए हैं। वे मानव कॉलोनी को बनाने के साथ-साथ देख रहे हैं कि चांद पर ऑक्सीजन व भोजन जैसी आवश्यकताओं की पूर्ति कैसे होगी। वहीं इसरो ISRO के प्रमुख डॉ. एस सोमनाथ गुरुवार को छात्रों से मुलाकात करेंगे और उनके सपनों को जानेंगे।

By Nimish Hemant Edited By: Kapil Kumar Updated: Wed, 21 Aug 2024 10:05 PM (IST)
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डीयू की छात्रा प्रांजलि आर्य चांद पर मानव की कॉलोनी बनाने में व्यस्त हैं। जागरण फोटो

नेमिष हेमंत, नई दिल्ली। डीयू DU की छात्रा प्रांजलि आर्य चांद पर मानव की कॉलोनी बनाने में व्यस्त हैं। वह यह देख रही है कि जब मानव वहां रहना शुरू करेंगे तो उनके लिए जल, ऑक्सीजन व भोजन जैसे आवश्यकताओं की पूर्ति कैसे होगी।

इस कॉलोनी को बसाने में उनका साथ लंदन यूनिवर्सिटी London University से पढ़े रिषभ जैन दे रहे हैं। दिल्ली-एनसीआर व विदेश से पढ़े 50 से अधिक छात्रों का यह दल नेहरू तारामंडल में यह असंभवी कॉलोनी बनाने का खुली आंखों से देखा सपना संभव करने में जुटा हुआ है।

23 अगस्त को पहले राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस के रूप में मनाया जाएगा

उनके सपनों को उड़ान पिछले वर्ष चंद्रयान-3 ''शिवशक्ति'' के चंद्रमा पर सफलता पूर्वक उतरने के बाद से मिली है, जिसे एक वर्ष पूरे होने को है और देश उस 23 अगस्त को पहले राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस के रूप में मना रहा है।

वहीं, इसे लेकर नेहरू तारामंडल में भी खास आयोजन हो रहा है। जिसमें उत्साहित छात्रों की भी सहभागिता है। छात्राें के सामने वर्ष 2045 तक में भारत द्वारा चांद पर मानव पहुंचाने का वह लक्ष्य है, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसरो को थमाया है।

अंतरिक्ष को लेकर नए सपनों की उड़ान भरेंगे

इसलिए अभी से मानव कॉलोनी को लेकर उनके द्वारा रूपरेखा तैयार की जाने लगी है। जिसके तहत यह मॉडल तैयार किया जा रहा है, जो बता रहा है कि कैसे चांद पर मानव रहेंगे। यह गुरुवार से दर्शक इसे देख सकेंगे। उम्मीद है कि इससे सैकड़ों छात्र प्रभावित होंगे और अंतरिक्ष को लेकर नए सपनों की उड़ान भरेंगे।

उस परियोजना में सहभागी गुरुकुल अकादमी की विशाखा रंजन बताती हैं कि यह माडल पूरी तरह से शोध आधारित है। काल्पनिक उड़ान नहीं है। इसमें भारत द्वारा चांद पर पानी की खोज करने तथा चंद्रयान-3 और अन्य देश की चंद्र अभियानों से मिली जानकारियों के आधार पर तैयार किया जा रहा है। क्योंकि, कभी न कभी तो हम चांद पर कॉलोनी बनाएंगे।

इस मॉडल को तैयार करने कार्ड बोर्ड, चाक, मिट्टी समेत अन्य सामानों का उपयोग किया गया है, जिसके लिए माहभर से तैयारी चल रही थी।

तैयार मानव कॉलोनी अद्भूत और वैज्ञानिकी है

नेहरू तारामंडल की प्रेरणा चंद्रा बताती है कि छात्रों द्वारा तैयार मानव कॉलोनी अद्भूत और वैज्ञानिकी है। इसी तरह, दिल्ली-एनसीआर के स्कूलों से चयनित 50 से अधिक छात्रों का समूह अपना-अपना मानव कॉलोनी मॉडल भी यहां प्रस्तुत करेगा। इसके लिए बकायदा स्कूलों में प्रतियोगिता कराई गई थी और इन मॉडलाें का चयन किया गया है।

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नेहरू तारामंडल में चंद्रयान-3 की भी हुबहू प्रतिकृति को अंतिम रूप दिया जा रहा है। इसे देखकर दर्शक समझ सकेंगे कि चंद्रयान कैसे उतरा और कैसे काम किया। चांद के दक्षिणी ध्रुव में चंद्रयान के उतरने के स्थल की कई तस्वीरों की प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी। जिसे चंद्रयान ने लिया है।

छात्रों से मिलेंगे इसरो प्रमुख डॉ. एस सोमनाथ

इसरो ISRO के प्रमुख डॉ. एस सोमनाथ Dr. S Somnath गुरुवार को नेहरू तारामंडल में छात्रों से मुलाकात कर उनके सपनों को जानेंगे। साथ ही उनके द्वारा तैयार चांद पर मानव कॉलोनी समेत अन्य मॉडलों का निरीक्षण कर उनका उत्साहवर्धन करेंगे। वह छात्रों द्वारा तैयार चंद्रयान-3 के उतरने वाले स्थान के विशाल नक्शे का अनावरण भी करेंगे।

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