DUSU Election 2023: DU को 64 साल में मिलीं सिर्फ 10 महिला अध्यक्ष, आखिरी बार नूपुर शर्मा बनीं थीं प्रेसीडेंट
DU छात्र संघ (डूसू) चुनाव को लेकर छात्र संगठन महिलाओं की समस्याओं को जोर-शोर से उठा रहे हैं। एबीवीपी और एनएसयूआइ ने छात्राओं के लिए अलग से घोषणा पत्र भी जारी किए हैं लेकिन छात्र संगठनों की चिंता टिकट वितरण में दिखाई नहीं देती। डूसू में हमेशा से जीत दर्ज करने वाले छात्र संगठनों एनएसयूआइ और एबीवीपी ने एक-एक छात्रा उम्मीदवार को मैदान में उतारा है।
By Jagran NewsEdited By: Nitin YadavUpdated: Tue, 19 Sep 2023 11:22 AM (IST)
नई दिल्ली, उदय जगताप। DUSU Election 2023: दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) चुनाव को लेकर छात्र संगठन महिलाओं की समस्याओं को जोर-शोर से उठा रहे हैं। एबीवीपी और एनएसयूआइ ने छात्राओं के लिए अलग से घोषणा पत्र भी जारी किए हैं, लेकिन छात्र संगठनों की चिंता टिकट वितरण में दिखाई नहीं देती। डूसू में हमेशा से जीत दर्ज करने वाले छात्र संगठनों एनएसयूआइ और एबीवीपी ने एक-एक छात्रा उम्मीदवार को मैदान में उतारा है। शेष तीन सीटों पर छात्र चुनाव लड़ रहे हैं।
डूसू चुनाव वर्ष 1959 से लड़ा जा रहा है। 64 सालों में 10 महिलाएं ही अध्यक्ष रही हैं। चुनावों में महिलाओं की भागीदारी कितनी कम है, इसको समझा जा सकता है। 2008 में आखिरी बार नुपुर शर्मा अध्यक्ष रहीं थीं।वहीं, तीन साल पहले हुए चुनावों में भी एक ही महिला उम्मीदवार संयुक्त सचिव पद पर जीत दर्ज कर सकी थी। इस बार एबीवीपी और एनएसयूआइ ने चार में से एक पद पर ही छात्रा उम्मीदवार को चुना है।
ABVP और NSUI ने मैदान में उतारी एक-एक छात्रा प्रत्याशी
एबीवीपी ने सचिव पद के लिए अपराजिता को मैदान में उतारा है। एनएसयूआइ ने सचिव पद के लिए यक्षणा शर्मा को चुना है। दोनों ही छात्राओं के बीच जाकर मुद्दे उठा रही हैं, लेकिन जो डूसू कार्यकारिणी चुनी जाएगी, उसमें छात्राओं की भागीदारी काफी कम रहेगी। जबकि सीयूईटी से प्रवेश के बाद एकाएक छात्राओं की संख्या छात्रों की तुलना में काफी ज्यादा हो गई है।यह भी पढ़ें: DUSU Election: कई कॉलेजों में निर्विरोध जीते प्रत्याशी, मतदान पर पड़ेगा असर; छात्र संगठनों की बढ़ी मुश्किलें
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