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DUSU Election 2024: डूसू चुनाव में रहा है ABVP का वर्चस्व, 11 साल में आठ बार जीत दर्ज की

दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) चुनाव 2024 की सरगर्मियां तेज हो गई हैं। आंकड़ों पर नजर डालें तो एबीवीपी की स्थिति मजबूत दिखती है लेकिन एनएसयूआई भी नई रणनीति के साथ मैदान में है। पिछले 11 वर्षों में एबीवीपी ने 8 बार अध्यक्ष पद जीता है जबकि एनएसयूआई को 3 बार ही जीत मिली है। इस बार किसका पलड़ा भारी रहेगा यह 28 सितंबर के नतीजों के बाद पता चलेगा।

By uday jagtap Edited By: Abhishek Tiwari Updated: Wed, 11 Sep 2024 08:01 AM (IST)
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डीयू में चुनाव को लेकर सरगर्मियां तेज। फाइल फोटो- जागरण
उदय जगताप, नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) चुनाव 27 सितंबर को होंगे। इसके लिए नामांकन की प्रक्रिया जारी है। छात्र संगठनों ने सोमवार से कालेजों में प्रचार तेज कर दिया है।

हर संगठन अपनी ताकत झोंक रहे हैं और जीत का दावा कर रहे हैं। आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) की स्थिति मजबूत दिखती है। भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (एनएसयूआई) नई रणनीति के साथ मैदान में उतरी है।

2017 में एनएसयूआई ने जीता था अध्यक्ष पद 

दोनों ही छात्र संगठनों के बीच सीधी टक्कर है। 28 सितंबर के नतीजों के बाद ही पता चलेगा कि कौन किस पर भारी पड़ा है। पिछले 11 वर्ष के डूसू चुनाव पर एबीवीपी ने सर्वाधिक आठ बार अध्यक्ष पद पर जीत दर्ज की है। एनएसयूआई को तीन बार ही जीत हासिल की है। आखिरी बार एनएसयूआई ने 2017 में अध्यक्ष पद जीता था।

डूसू चुनाव में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव और संयुक्त सचिव को 52 कालेज के छात्र सीधे चुनते हैं। 2010 में एबीवीपी ने तीन पद अपने नाम किए थे। एनएसयूआई के खाते में संयुक्त सचिव का पद आया था।

2011 में एनएसयूआई ने अध्यक्ष पद जीता था। शेष तीन पद एबीवीपी ने जीते थे। 2012 में एनएसयूआई ने क्लीन स्वीप किया था। 2013 में एनएसयूआई को सचिव पद पर जीत हासिल हुई थी।

2014 में एबीवीपी ने की थी क्लीन स्वीप

अध्यक्ष समेत तीन पदों पर एबीवीपी ने जीत दर्ज की थी। 2014 में एबीवीपी ने क्लीन स्वीप की थी। 2015 में भी एबीवीपी ने सभी पद अपने नाम किए थे। 2016 में वापसी करते हुए एनएसयूआई ने संयुक्त सचिव का पद जीता था, लेकिन बाकी तीन पद एबीवीपी के खाते में गए थे। 2017 में मुकाबला कांटे का रहा था।

अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के पद एनएसयूआई ने और सचिव व संयुक्त सचिव पद पर एबवीपी ने जीत दर्ज की थी। 2018 में एबीवीपी ने वापसी की और अध्यक्ष, उपाध्यक्ष व संयुक्त सचिव के पदों पर कब्जा जमाया था, जबकि एनएसयूआई अपना सचिव बनाने में कामयाब रही थी। 2019 में भी एबीवीपी तीन पद और एनएसयूआई सचिव पद जीतने में कामयाब रही थी।

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