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DUSU चुनाव में एक साथ आ सकते हैं वाम छात्र संगठन, 15 सितंबर को होगी उम्मीदवारों की घोषणा

दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) चुनाव में इस बार वामपंथी संगठन एक साथ चुनाव लड़ सकते हैं। संगठनों ने एनएसयूआई से गठबंधन की गुजारिश की थी लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया है। ऐसे में वाम संगठन अब दूसरे छोटे संगठनों के साथ मिलकर एक गठबंधन बनाने की योजना बना रहे हैं। पिछली बार दोनों छात्र संगठनों ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था और उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा था।

By uday jagtap Edited By: Abhishek Tiwari Updated: Mon, 09 Sep 2024 08:03 AM (IST)
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डूसू चुनाव को लेकर तैयारियां हुई तेज। फाइल फोटो- जागरण

उदय जगताप, नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) चुनाव की घोषणा हो चुकी है। डूसू में अपनी जगह बनाने के लिए संघर्ष कर रहे वाम संगठन इस साल एक साथ चुनाव लड़ सकते हैं।

संगठनों ने आइएनडीआइ गठबंधन की तर्ज पर भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (एनएसयूआई) से गबंधन की गुजारिश की थी, लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया है और अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा की है। डूसू में लंबे वक्त से अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) का कब्जा रहा है। ऐसे में आम चुनावों में आइएनडीआई गठबंधन के बेहतर प्रदर्शन से उत्साहित वाम संगठनों ने गठबंधन करने की कोशिश कर रहे हैं।

छोटे संगठनों के साथ गठबंधन की योजना

डूसू में प्रमुख वाम छात्र संगठनों में स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) और ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) हैं। दोनों ही संगठन एबीवीपी और एनएसयूआई के मुकाबले अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव और संयुक्त सचिव पदों पर अपने प्रत्याशी उतारते रहे हैं, लेकिन इस बार दोनों संगठन दूसरे छोटे संगठनों के साथ मिलकर एक गठबंधन बनाने की योजना बना रहे हैं।

पिछली बार लड़ा था अलग-अलग चुनाव

पिछले वर्ष तीन वर्ष बाद हुए चुनावों में दोनों छात्र संगठनों ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था। दोनों को ही करारी हार का सामना करना पड़ा था। उन्हें नोटा से भी कम वोट हासिल हुए थे। आइसा को अध्यक्ष पद पर 3,335 वोट हासिल हुए थे। उनकी प्रत्याशी तीसरे स्थान पर रहीं थीं।

उपाध्यक्ष की प्रत्याशी को 3,492 वोट मिले थे, जबकि उपाध्यक्ष पद पर 3,914 वोट नोटा को ही डाले गए थे। सचिव प्रत्याशी को 3,884 वोट मिले थे, यहां नोटा को 5,108 वोट दिए गए। संयुक्त सचिव पद पर आइसा को 4,195 वोट मिले थे। यहां भी नोटा को उनसे अधिक रहा था और उसे 4,786 वोट हासिल हुए थे।

एसएफआई के अध्यक्ष पद प्रत्याशी को 1,838 वोट मिले थे, यहां नोटा को 2,751 वोट पड़े थे। उपाध्यक्ष पद पर 2,906 वोट मिले थे, जबकि इस पद पर नोटा को 3,914 वोट मिले थे। संयुक्त सचिव पद पर भी नोटा को अधिक वोट हासिल हुए थे।

गठबंधन को लेकर चल रही चर्चा

इस स्थिति से बचने के लिए दोनों संगठन इस बार साथ आने की योजना बना रहे हैं। एसएफआई दिल्ली की अध्यक्ष आइशी घोष ने कहा, गठबंधन को लेकर चर्चा चल रही है। हम एक साथ लड़ेंगे या नहीं इस पर अंतिम रूप से कुछ तय नहीं हुआ है।

आइसा के महासचिव प्रसन्नजीत ने कहा, हम विचार कर रहे हैं और एनएसयूआई से बात करने की कोशिश की थी, लेकिन अभी तक बात नहीं बनी है। एनएसयूआई के दिल्ली प्रभारी हनी बग्गा ने कहा, संगठन अकेले चुनाव लड़ेगा। हम किसी के साथ गठबंधन नहीं कर रहे हैं। चुनाव को लेकर तैयारी तेज हो गई है और 15 सितंबर को उम्मीदवारों की घोषणा हो जाएगी।

27 सितंबर को पड़ेंगे वोट

आम आदमी पार्टी की छात्र इकाई छात्र युवा संघर्ष समिति ने खुद को डूसू चुनाव से अलग कर लिया है। संगठन के प्रदेश सचिव कमल तिवारी ने कहा कि हमारा ध्यान दिल्ली विधानसभा चुनाव पर है और हम डूसू चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। बता दें कि डीयू की ओर से 27 सितंबर को डूसू के लिए चुनाव की घोषणा की गई है। 28 सितंबर को परिणाम घोषित किए जाएंगे। वाम संगठनों को डूसू में कभी जीत हासिल नहीं हुई है।