DUTA Elections: पुरानी पेंशन, नई नियुक्तियां और विस्थापन के मुद्दे पर होगा डूटा चुनाव
DUTA Elections 2023 डीयू के 2900 तदर्थ शिक्षकों को स्थायी नियुक्ति मिली है। 2018 की स्कीम से पदोन्नति और लंबित पदोन्नति के लिए एपीआइ की कोई आवश्यकता नहीं है। मतदान पर सबसे ज्यादा असर पुरानी पेंशन नई नियुक्तियों और तदर्थ शिक्षकों के विस्थापन का होगा। इसके आधार पर अध्यक्ष पद पर जीत और हार तय होगी। आज बुधवार को इसके लिए मतदान किया जाएगा।
By Edited By: Abhishek TiwariUpdated: Wed, 27 Sep 2023 09:11 AM (IST)
नई दिल्ली, उदय जगताप। दो साल बाद एक बार फिर दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) के चुनाव होने जा रहे हैं। बुधवार को इसके लिए मतदान किया जाएगा। मतदान पर सबसे ज्यादा असर पुरानी पेंशन, नई नियुक्तियों और तदर्थ शिक्षकों के विस्थापन का होगा। इसके आधार पर अध्यक्ष पद पर जीत और हार तय होगी।
18 साल बाद नेशनल डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट (एनडीटीएफ) ने पिछली बार जीत दर्ज कर इतिहास रचा था। इस बार भी एनडीटीएफ जीत को लेकर आश्वस्त है। उन्होंने निवर्तमान अध्यक्ष प्रो. अजय कुमार भागी को मैदान में उतारा है।
एनडीटीएफ के मीडिया संयोजक प्रो. बिजेंद्र कुमार ने कहा, एनडीटीएफ के प्रो. अजय भागी के नेतृत्व में डीयू के 2900 तदर्थ शिक्षकों को स्थायी नियुक्ति मिली है। 2018 की स्कीम से पदोन्नति और लंबित पदोन्नति के लिए एपीआइ की कोई आवश्यकता नहीं है। लंबित पदोन्नति में भी एपीआइ की जरूरत नहीं है।तदर्थ शिक्षकों के लिए मातृत्व अवकाश का प्रविधान कराया गया। डीयू के पाठ्यक्रम से विवादित सामग्री हटाई गई है। उन्होंने कहा, दोबारा जीतने के बाद जितने भी शिक्षक विस्थापित हुए हैं, उनकी नियुक्ति के प्रयास किए जाएंगे। कोर, एसईसी, वीएसी, एईसी के ट्यूटोरियल आकार को कम करना।
भाषा पाठ्यक्रमों और अन्य के लिए कक्षा का आकार 20 से घटाकर पांच करने जैसे कार्य किए जाएंगे। कोर पेपर के लिए न्यूनतम 6 क्रेडिट पाठ्यक्रम लागू किया जाएगा।एकेडमिक्स फार एक्शन एंड डेवलपमेंट दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन (एएडीटीए) के सदस्य प्रो. राजेश झा ने कहा, शिक्षकों की सेवानिवृत्ति की आयु 65 वर्ष प्रो. मिश्रा के प्रयासों से हुई थी। जिसका लाभ डीयू ही नहीं बल्कि सभी केंद्रीय विश्वविद्यालय के शिक्षक उठा रहे हैं।
तदर्थ शिक्षकों को पूरी तनख्वाह उनके प्रयासों से मिलना शुरू हुई थी। इंडियन नेशनल टीचर्स कांग्रेस के चेयरमैन प्रो. पंकज कुमार गर्ग ने कहा, पुरानी पेंशन पर एनडीटीएफ ज्यादा बात नहीं कर रहा है। गैर बीजेपी राज्यों में इसकी बहाली हो रही है। डीयू में इसे बहाल किया जाना चाहिए।इसको लेकर हमारी लड़ाई है। विकास कार्य के लिए हेफा के तहत कालेजों को ऋण लेने पड़ रहे हैं। इसकी कीमत छात्रों को बढ़ी फीस से चुकानी पड़ रही है। अगर प्रो. मिश्रा डूटा में चुनकर आते हैं तो डीयू की ऐसी सभी नीतियों का विरोध किया जाएगा।
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