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Delhi NCR Earthquake: दिल्ली-एनसीआर में अभी-अभी लगे भूकंप के तेज झटके, घबराए लोग घरों से बाहर निकले

Earthquake in Delhi NCR News Updates दिल्ली एनसीआर सहित आसपास के इलाकों में अभी भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए हैं। जोर के झटके लगते देख लोग अपने घरों से बाहर निकल आए। यह झटके दिल्ली नोएडा फरीदाबाद गुरुग्राम गाजियाबाद सहित आसपास के शहरों में महसूस किए हैं। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश हरियाणा पंजाब राजस्थान में भी लोगों को भूकंप के झटके लगे हैं।

By Jagran NewsEdited By: GeetarjunPublished: Sat, 05 Aug 2023 09:39 PM (IST)Updated: Sat, 05 Aug 2023 09:39 PM (IST)
दिल्ली और आसपास के शहरों में अभी-अभी लगे भूकंप के तेज झटके, घबराए लोग घरों से बाहर निकले।

नई दिल्ली, जागरण डिजिटल डेस्क। Delhi NCR Earthquake: दिल्ली-एनसीआर सहित आसपास के इलाकों में अभी भूकंप के तेज झटके महसूस किए गए हैं। जोर के झटके लगते देख लोग अपने घरों से बाहर निकल आए। यह झटके दिल्ली, नोएडा, फरीदाबाद, गुरुग्राम, गाजियाबाद सहित आसपास के शहरों में महसूस किए हैं। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश, हरियाणा में भी लोगों को भूकंप के झटके लगे हैं।

न्यूज एजेंसी पीटीआई के अनुसार, रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 5.8 रही। वहीं, भूकंप का केंद्र अफगानिस्तान का हिंदु कुश क्षेत्र था। भूकंप के झटके लगभग 9 बजकर 31 मिनट महसूस किए गए। लोगों ने झटके काफी तेज महसूस किए हैं।

13 जून को भी महसूस हुए थे झटके

दिल्ली-NCR में 13 जून को भी भूकंप आया था। हालांकि लोगों को झटके महसूस नहीं हुए। इससे लोगों को भूकंप का अहसास नहीं हो पाया था। कि उत्तर-भारत के कई इलाकों जैसे पंजाब, जम्मू-कश्मीर, हरियाणा आदि के कई इलाकों में भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 5.4 मापी गई थी और केंद्र जम्मू-कश्मीर का डोडा इलाका था।

रिक्‍टर स्‍केल क्या होता है?

अमेरिकी भू-विज्ञानी चार्ल्‍स एफ रिक्‍टर ने सन 1935 में एक ऐसे उपकरण का इजाद किया, जो पृथ्वी की सतह पर उठने वाली भूकंपीय तरंगों के वेग को माप सकता था। इस उपकरण के जरिए भूकंपीय तरंगों को आंकड़ों में परिवर्तित किया जा सकता है। रिक्‍टर स्‍केल आमतौर पर लॉगरिथम के अनुसार कार्य करता है। इसके अनुसार एक संपूर्ण अंक अपने मूल अर्थ के 10 गुना अर्थ में व्यक्त होता है। रिक्‍टर स्‍केल में 10 अधिकतम वेग को दर्शाता है।

क्यों आता है भूकंप?

धरती मुख्य तौर पर चार परतों से बनी हुई है, इनर कोर, आउटर कोर, मैनटल और क्रस्ट। क्रस्ट और ऊपरी मैनटल को लिथोस्फीयर कहते हैं। ये 50 किलोमीटर की मोटी परत, वर्गों में बंटी हुई है, जिन्हें टैकटोनिक प्लेट्स कहा जाता है। ये टैकटोनिक प्लेट्स अपनी जगह से हिलती रहती हैं लेकिन जब ये बहुत ज्यादा हिल जाती हैं, तो भूकंप आ जाता है। ये प्लेट्स क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर, दोनों ही तरह से अपनी जगह से हिल सकती हैं। इसके बाद वे अपनी जगह तलाशती हैं और ऐसे में एक प्लेट दूसरी के नीचे आ जाती है।


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