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मनी लॉन्ड्रिंग मामला: पहले गवाह फिर आरोपी बनाया, ED की प्रक्रिया पर अदालत ने सवाल उठाया

मनी लॉन्ड्रिंग मामले में एक व्यक्ति को पहले गवाह के रूप में पेश किया और फिर उसे आरोपित बनाकर गिरफ्तार करने के ईडी के तरीके पर पटियाला हाउस कोर्ट ने सवाल उठाए हैं। कोर्ट ने ईडी की कार्रवाई की आलोचना करते हुए कहा कि पहले ईडी ने व्यक्ति को गवाह के तौर पर पेश किया और अब उसे आरोपित बनाया जा रहा है।

By Vineet Tripathi Edited By: Abhishek Tiwari Updated: Tue, 03 Sep 2024 08:33 AM (IST)
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गिरफ्तारी व जांच की ईडी की प्रक्रिया पर अदालत ने उठाए सवाल।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। मनी लॉन्ड्रिंग मामले में एक व्यक्ति को गवाह बताने के बाद आरोपित बनाने और गिरफ्तार करने के ईडी के दृष्टिकोण पर पटियाला हाउस की विशेष अदालत ने गंभीर सवाल उठाया है।

ईडी की कार्रवाई की आलोचना करते हुए अदालत ने कहा कि इसी व्यक्ति को पहले ईडी गवाह के तौर पर पेश कर चुकी है और अब उसे आरोपित के तौर पर पेश किया जा रहा है।

न सिर्फ आरोपित बनाया, बल्कि गिरफ्तार भी किया

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एएसजे) धीरज मोर ने कहा कि मामले की पहली जांच करने वाले अधिकारी (आइओ) ने मनी लांन्ड्रिंग मामले में मंगेलाल सुनील अग्रवाल को गवाह के तौर पर पेश किया था। वहीं, उनकी जगह पर आए अधिकारी ने मांगेलाल सुनील अग्रवाल को न सिर्फ आरोपित बनाया, बल्कि गिरफ्तार भी किया गया। गिरफ्तारी के ईडी के मनमाने दृष्टिकोण की निंदा करते हुए अदालत ने कहा कि यह परेशान करने वाला है।

ईडी की गिरफ्तारी प्रक्रिया और जांच पर सवाल उठाते हुए अदालत ने ईडी निदेशक को गिरफ्तारी की निगरानी से जुड़ी मानक संचालन प्रक्रिया पर एक माह में रिपोर्ट दाखिल करने के निर्देश दिए हैं। अदालत ने कहा कि इसमें बताया जाए कि किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने का निर्णय लेते समय उसके अधिकारियों द्वारा अपनाई गई प्रक्रिया के बारे में बताया जाए।

18.88 करोड़ की हेराफेरी

यह भी बताया जाए कि एजेंसी के वरिष्ठ अधिकारी उन गिरफ्तारियों की निगरानी के लिए क्या करते हैं। अदालत ने उक्त निर्देश करीब 18.88 करोड़ की हेराफेरी से जुड़ी मांगेलाल सुनील अग्रवाल की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए उक्त टिप्पणियां व निर्देश पारित किया।

अदालत ने कहा कि जांच की पहचान इसकी निष्पक्षता है और जांच अधिकारी की व्यक्तिपरक व्याख्या की निंदा की जानी चाहिए, क्योंकि इससे निष्पक्ष जांच उसकी अनियंत्रित सनक और कल्पनाओं पर निर्भर हो जाएगी। अदालत ने ईडी निदेशक को दोनों जांच अधिकारियों के खिलाफ जांच करने का आदेश भी दिया।

यह पूरा मामला फीनिक्स इंटरनेशनल एफजेडसी और मांगेलाल सुनील अग्रवाल सहित अन्य आरोपितों के खिलाफ फर्जी चालान का उपयोग करके 18.88 करोड़ रुपये की धनराशि निकालकर लिगेयर एविएशन लिमिटेड को धोखा देने की साजिश से जुड़ा है।

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