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दिल्ली में एक और घोटाले की ED ने शुरू की जांच, चार शहरों में की छापेमारी; नकदी और आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद

दिल्ली सरकार की भ्रष्ट्राचार निरोधक शाखा द्वारा दर्ज एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि चार निविदाओं में केवल तीन संयुक्त उद्यम कंपनियों (जेवी) ने भाग लिया। जहां 2 जेवी को एक-एक टेंडर मिला वहीं एक जेवी को दो टेंडर मिले। तीनों संयुक्त उद्यमों ने चार एसटीपी निविदाओं में पारस्परिक रूप से भाग लिया। एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि निविदा शर्तों को प्रतिबंधात्मक बना दिया गया था।

By Agency Edited By: Sonu Suman Updated: Fri, 05 Jul 2024 05:55 PM (IST)
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ईडी ने दिल्ली जल बोर्ड के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) भ्रष्टाचार मामले में चार जगहों पर छापेमारी की।

पीटीआई, नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) भ्रष्टाचार मामले में चार जगहों पर छापेमारी की। ईडी ने दिल्ली, अहमदाबाद, मुंबई और हैदराबाद में विभिन्न स्थानों पर चलाए गए तलाशी अभियान के दौरान 41 लाख रुपये की नकदी, विभिन्न आपत्तिजनक दस्तावेज और डिजिटल साक्ष्य जब्त किए हैं। जांच एजेंसी के दिल्ली जोनल कार्यालय ने 3 जुलाई को यह छापेमारी की।

ईडी ने दिल्ली की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा द्वारा यूरोटेक एन्वॉयर्नमेंटल प्राइवेट लिमिटेड और अन्य के खिलाफ भारतीय दंड संहिता, 1860 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज की गई एफआईआर के आधार पर जांच शुरू की, जिसमें डीजेबी में घोटाले का आरोप लगाया गया था। 

निविदा शर्तों को प्रतिबंधात्मक बना दिया गया

एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि चार निविदाओं में केवल तीन संयुक्त उद्यम कंपनियों (जेवी) ने भाग लिया। जहां 2 जेवी को एक-एक टेंडर मिला, वहीं एक जेवी को दो टेंडर मिले। तीनों संयुक्त उद्यमों ने चार एसटीपी निविदाओं में पारस्परिक रूप से भाग लिया। एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि निविदा शर्तों को प्रतिबंधात्मक बना दिया गया था, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि केवल कुछ चुनिंदा संस्थाएं ही चार निविदाओं में भाग ले सकें।

सरकारी खजाने को काफी नुकसान हुआ: ईडी

शुरुआत में तैयार किया गया लागत अनुमान 1,546 करोड़ रुपये था, लेकिन निविदा प्रक्रिया के दौरान इसे संशोधित कर 1,943 करोड़ रुपये कर दिया गया। ईडी ने कहा, "आगे यह आरोप लगाया गया है कि तीन जेवी को बढ़ी हुई दरों पर ठेके दिए गए, जिससे सरकारी खजाने को काफी नुकसान हुआ।"

ईडी की जांच से पता चला कि 1,943 करोड़ रुपये के एसटीपी से संबंधित चार टेंडर डीजेबी द्वारा तीन जेवी को दिए गए थे। सभी चार निविदाओं में, दो जेवी (तीन आम जेवी में से) ने प्रत्येक निविदा में भाग लिया और सभी तीन जेवी ने निविदाएं हासिल कीं। आगे की जांच से पता चलता है कि सभी तीन जेवी ने निविदाएं हासिल करने के लिए ताइवान प्रोजेक्ट से जारी एक ही अनुभव प्रमाण पत्र डीजेबी को जमा किया था और इसे बिना किसी सत्यापन के स्वीकार कर लिया गया था।

'उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना लागत को संशोधित किया गया'

ईडी ने कहा कि सभी तीन जेवी ने यूरोटेक एन्वॉयर्नमेंट प्राइवेट लिमिटेड, हैदराबाद को चार निविदाओं से संबंधित काम का उप-ठेका दिया। जांच एजेंसी ने कहा, "निविदा दस्तावेजों के सत्यापन से पता चलता है कि चार निविदाओं की प्रारंभिक लागत लगभग 1,546 करोड़ रुपये थी, जिसे उचित प्रक्रिया और परियोजना रिपोर्ट का पालन किए बिना संशोधित कर 1,943 करोड़ रुपये कर दिया गया।" 

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