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दिल्ली सरकार के बजट में दिख सकता है उपचुनाव का असर, बैठकों का दौर जारी

सरकार का ध्यान इस समय आगामी कुछ माह बाद दिल्ली में 20 सीटों पर होने वाले उपचुनाव पर है। योजना विभाग और वित्त विभाग के अधिकारी इसी आधार पर बजट तैयार करने में जुटे हैं।

By Amit MishraEdited By: Updated: Sun, 04 Feb 2018 11:24 AM (IST)
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दिल्ली सरकार के बजट में दिख सकता है उपचुनाव का असर, बैठकों का दौर जारी

नई दिल्ली [राज्य ब्यूरो]। दिल्ली की 'आप' सरकार के चौथे बजट में दिल्ली में 20 सीटों पर होने वाले उपचुनाव के असर की झलक दिखाई दे सकती है। इस उपचुनाव के चलते सरकार इस बार का भी बजट पब्लिक फ्रेंडली लाने की तैयारी में है। दिल्ली सरकार बजट के माध्यम से जनता को लुभाने का फिर से प्रयास करेगी।

उपचुनाव पर 'आप' की नजर 

सरकार का ध्यान इस समय आगामी कुछ माह बाद दिल्ली में 20 सीटों पर होने वाले उपचुनाव पर है। योजना विभाग और वित्त विभाग के अधिकारी इसी आधार पर बजट तैयार करने में जुटे हैं। सभी मंत्रियों के स्तर पर समीक्षा बैठकें हो रही हैं। जिसमें विभागों से उनके कार्यों के बारे में जानकारी ली जा रही है। नई योजनाओ पर भी चर्चा हो रही है।

टैक्स लगाए जाने की संभावना नहीं

सूत्रों की मानें तो इस बार भी जनता पर किसी प्रकार का टैक्स लगाए जाने की संभावना नहीं है। बिजली पानी पर सब्सिडी जारी रहेगी। जनता को लुभाने के लिए कुछ अन्य घोषणाएं होने की संभावना है। तैयार किए जा रहे बजट को इस माह के अंत तक पेश कर इसे पास किए जाने की तैयारी है। बजट की तैयारी में किसी तरह की कोई कमी रहती है तो इसे मार्च के पहले सप्ताह तक पेश कर इसे पास किया जाएगा। सरकार का मुख्य फोकस इस बार भी शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन के साथ साथ अनधिकृत कॉलोनियों के विकास पर रहने की संभावना है।

बदल चुके हैं हालात 

दिल्ली हाई कोर्ट की अनुमति मिलने के बाद दिल्ली में अगले कुछ माह में 20 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं। यह वो सीटें हैं जिन से कुछ समय पहले ही 'आप' के विधायकों की सदस्यता गई है। रामलीला मैदान में भ्रष्टाचार के खिलाफ शुरू हुए आंदोलन से बनी आम आदमी पार्टी की आंधी में 2015 में इन सभी सीटों पर 'आप' के प्रत्याशी जीते थे लेकिन अब हालात ऐसे नहीं हैं। भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरी 'आप' सरकार को अपनी राजनीतिक जमीन धंसती दिखाई दे रही है। ऐसे में सरकार के पास बजट ही एक ऐसा माध्यम है, जिसमे तरह तरह की घोषणाएं कर अपना हित साधने का प्रयास कर सकती है। 

निराश हुई केजरीवाल सरकार 

बता दें कि एक फरवरी को केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा संसद में पेश बजट से केजरीवाल सरकार मायूस हुई थी। बजट से उम्मीद लगाए बैठी केजरीवाल सरकार को उस वक्त निराशा हाथ लगी  जब गत वर्ष चालू वित्त वर्ष के लिए दिल्ली सरकार को अलग-अलग मदों के लिए कुल 757.99 करोड़ रुपये आवंटित किया गया था। इस वर्ष अप्रैल से शुरू होने वाले नए वित्त वर्ष में केंद्र सरकार ने कुल 790 करोड़ रुपये फंड आवंटित किया है। इसमें 325 करोड़ रुपये वह हैं जो वर्ष 2002 से लगातार दिल्ली को केंद्रीय कर संग्रह में से दिल्ली को दिया जाता है।

दिल्ली के साथ धोखा 

वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा संसद में पेश बजट पर दिल्ली के उपमुख्यमंत्री व वित्त मंत्री मनीष सिसोदिया ने प्रतिक्रिया देते हुए ट्वीट किया था कि केंद्र सरकार ने दिल्ली के साथ धोखा किया है। संसद में पेश बजट में दिल्ली के विकास के लिए एक पैसा भी अतिरिक्त प्रावधान नहीं किया। उन्होंने लिखा कि 'सार्वजनिक परिवहन सेवा को बेहतर करने के लिए दो हजार इलेक्ट्रिक बसें खरीदने के लिए विशेष पैकेज की मांग की थी। लेकिन यह मांग नहीं मानी गई। इस वर्ष भी केंद्रीय करों के हिस्से में से दिल्ली को वंचित किया गया है। केंद्रीय करों में दिल्ली की हिस्सेदारी 18 वर्षों से 325 करोड़ रुपये स्थिर बनी हुई है।'

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