Delhi Safdarjung Hospital: सफदरजंग अस्पताल में जल्द शुरू होगा इमरजेंसी मेडिसिन विभाग, इलाज होगा बेहतर
Delhi Safdarjung Hospital News सफदरजंग अस्पताल में जल्द इमरजेंसी मेडिसिन विभाग शुरू होगा। आरएमएल में भी विभाग बनाया गया है। मरीज सिर्फ रेजिडेंट के भरोसे नहीं रहेंगे। इमरजेंसी मेडिसिन के विशेषज्ञ डॉक्टर तैयार होंगे इससे इलाज बेहतर होगा।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। आपातकालीन चिकित्सा व्यवस्था में सुधार के लिए बड़े अस्पतालों और उससे संबद्ध मेडिकल कालेजों में इमरजेंसी मेडिसिन का अलग विभाग शुरू करने पर जोर दिया जा रहा है। इसी क्रम में सफदरजंग अस्पताल और उससे जुड़े वर्धमान महावीर मेडिकल कालेज में जल्द इमरजेंसी मेडिसिन विभाग शुरू किया जाएगा।
इससे एम्स की तर्ज पर सफदरजंग अस्पताल के मेडिकल कालेज में भी इमरजेंसी मेडिसिन के विशेषज्ञ डॉक्टर तैयार होंगे। इससे अस्पताल की इमरजेंसी में मरीजों का इलाज भी बेहतर होगा। आरएमएल अस्पताल में भी इमरजेंसी मेडिसिन का अगल विभाग बनाया गया है।
तैयार किए जाएंगे प्रशिक्षित डॉक्टर
इसलिए इमरजेंसी में गंभीर मरीज सिर्फ रेजिडेंट डॉक्टरों के भरोसे नहीं रहेंगे। हालांकि, आरएमएल अस्पताल से जुड़े मेडिकल कालेज में अभी इमरजेंसी मेडिसिन में स्नातकोत्तर की पढ़ाई के लिए सीटों का सृजन नहीं हुआ है। इस संस्थान के डॉक्टर कहते हैं कि गंभीर मरीजों को जल्दी और बेहतर इलाज के लिए इमरजेंसी मेडिसिन में प्रशिक्षित डॉक्टर तैयार करना जरूरी है। इस दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं।
वहीं सफदरजंग अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक ने बताया कि एनएमसी (नेशनल मेडिकल कमिशन) के निर्देश के अनुसार मेडिकल कालेजों में इमरजेंसी मेडिसिन विभाग होना जरूरी है। इसके मद्देनजर सफदरजंग अस्पताल में यह विभाग शुरू करने के लिए फैकल्टी स्तर के डॉक्टरों के नौ पद स्वीकृत हो चुके हैं।
इस विभाग के माध्यम से अस्पताल के मेडिकल कालेज में इमरजेंसी मेडिसिन में एमडी कोर्स संचालित किया जाएगा। आने वाले समय में इमरजेंसी ब्लाक में ज्यादातर इमरजेंसी मेडिसिन में प्रशिक्षित विशेषज्ञ डॉक्टर नियुक्त होंगे।
आखिर क्यों है इमरजेंसी मेडिसिन विभाग की जरूरत
एम्स की इमरजेंसी और ट्रामा सेंटर को छोड़कर अन्य अस्पतालों की इमरजेंसी वार्ड में इमरजेंसी मेडिसिन के विशेषज्ञ डॉक्टर नहीं होते। नीति आयोग की पहल पर एम्स द्वारा किए गए एक अध्ययन की रिपोर्ट के अनुसार विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी के कारण ज्यादातर अस्पतालों के इमरजेंसी वार्ड में मेडिसिन, सर्जरी, आर्थोपेडिक्स इत्यादि विभागों के डॉक्टर रोटेशन के आधार पर नियुक्त होते हैं।
विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी इलाज में बड़ी बाधा
इमरजेंसी में इलाज की जिम्मेदारी ज्यादातर जूनियर रेजिडेंट डॉक्टर संभालते हैं। यह भी तब जब अस्पतालों में 13 प्रतिशत मरीज इमरजेंसी में इलाज के लिए पहुंचते हैं और 19 से 24 प्रतिशत मरीज इमरजेंसी के माध्यम से अस्पतालों में भर्ती होते हैं। फिर भी इमरजेंसी मेडिसिन के विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी गंभीर मरीजों के इलाज में बड़ी बाधा है।
इमरजेंसी मेडिसिन में एमडी का कोर्स वर्ष 2009 से स्वीकृत है। फिर भी देश भर में सिर्फ 28 मेडिकल कालेज ही यह कोर्स संचालित करते हैं और उनमें भी कुल 60 सीटें ही हैं। इसके अलावा इमरजेंसी मेडिसिन में डीएनबी (डिप्लोमा आफ नेशनल बोर्ड) की कुल सीटें 120 हैं, जो पर्याप्त नहीं है। इसके मद्देनजर इमरजेंसी मेडिसिन के विशेषज्ञ डॉक्टरों की संख्या बढ़ाने की जरूरत महसूस की जा रही है।
अस्पताल में देश का सबसे बड़ा इमरजेंसी ब्लाक
सफदरजंग अस्पताल में देश का सबसे बड़ा इमरजेंसी ब्लाक हैं। जिसमें 500 बेड की सुविधा है, जिसमें प्रतिदिन करीब एक हजार मरीज इलाज के लिए पहुंचते हैं। इस इमरजेंसी ब्लाक में भी विभिन्न विभागों के रेजिडेंट डॉक्टरों की रोटेशन पर ड्यूटी लगाई जाती है। इमरजेंसी मेडिसिन का अगल विभाग शुरू होने पर इमरजेंसी में वरिष्ठ डॉक्टर भी मौजूद रहेंगे।