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दिल्ली में मीटर से हो ऑटो किराया का भुगतान, हाईकोर्ट ने सरकार से फैसला जल्द लेने को कहा

दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि वह यह सुनिश्चित करे कि ऑटो रिक्शा में किराया मीटर लगाने के नियम का पालन हो और लोग मीटर के अनुसार ही किराया दें। याचिकाकर्ता आनंद मिश्रा ने अपनी याचिका में परिवहन विभाग को दिल्ली मोटर वाहन नियम-1993 के नियम 74 को तत्काल प्रभाव से लागू करने का निर्देश देने की मांग की थी।

By Vineet Tripathi Edited By: Geetarjun Updated: Sat, 26 Oct 2024 12:04 PM (IST)
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दिल्ली हाईकोर्ट से सरकार को ऑटो किराया संबंधी नियम पर फैसला लेने का निर्देश दिया।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। ऑटो रिक्शा में किराया मीटर लगाने के नियम को लागू करने की मांग वाली जनहित याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को मौखिक रूप से कहा कि सरकार यह सुनिश्चित करे कि लोग नियम का पालन करें और मीटर के अनुसार ऑटो किराया का भुगतान करें।

मुख्य न्यायाधीश मनमोहन व न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ ने दिल्ली सरकार को साथ ही जमीनी स्तर पर मीटर से भुगतान के संबंध में रैंडम जांच करने का भी निर्देश दिया।

तीन सप्ताह के अंदर सरकार ले फैसला

उक्त टिप्पणी व निर्देश के साथ अदालत ने याचिकाकर्ता आनंद मिश्रा द्वारा दायर याचिका का निपटारा कर दिया। अदालत ने याचिका को प्रतिवेदन के तौर पर लेकर तीन सप्ताह के अंदर निर्णय लेने का दिल्ली सरकार को निर्देश दिया। याचिका में परिवहन विभाग को दिल्ली मोटर वाहन नियम-1993 के नियम 74 को तत्काल प्रभाव से लागू करने का निर्देश देने की मांग की गई है।

2018 से किराया मीटर लागू नहीं

यह नियम ऑटो रिक्शा/टैक्सियों में किराया मीटर लगाने का प्रावधान करता है। याचिका में कहा गया है कि वर्ष 2018 से किराया मीटर चालू नहीं हैं और प्रतिवादियों ने स्थिति को सुधारने के लिए कोई कदम नहीं उठाया है।

मीटर से नहीं चलने पर यात्री कर सकते हैं शिकायत

इस पर पीठ ने दिल्ली सरकार की तरफ से पेश अधिवक्ता से पूछा कि आखिर लोग मीटर का पालन क्यों नहीं कर रहे हैं। जवाब में अधिवक्ता ने का कि हर ऑटो रिक्शा में एक मीटर होता है, लेकिन आम नागरिक दाम करके उसी हिसाब से किराया देते हैं। मीटर से भुगतान होना सुनिश्चित करने के लिए हर ऑटो रिक्शा में शिकायत संख्या दी गई है और ऑटो चालक द्वारा इससे इनकार करने पर यात्री शिकायत दर्ज करा सकता है।

इस पर पीठ ने कहा कि इसे लागू किया जाना चाहिए और ऐसा नहीं होने पर सरकार को इसकी रैंडम जांच करनी चाहिए। पीठ ने कहा कि आपके पास निरीक्षक हैं और उन्हें जमीनी स्तर पर इसकी जांच कर कार्रवाई करनी चाहिए।

मजबूरी देख ऑटो किराये पर चलती है मनमानी

राजधानी दिल्ली में ऑटो से सफर करना हो और ऑटो चालक आसानी से मीटर से चलने के लिए तैयार हो जाए ऐसा बहुत कम ही होता है। अगर, साथ में परिवार और छोटे बच्चे हो तो किराये का दाम और बढ़ जाता है। जब कोई सवारी मीटर से चलने के लिए बोले तो ऑटो चालक यह कहकर कानूनी कार्रवाई से बचने की कोशिश करते हैं कि वह तो घर जा रहे हैं। या अभी वह आराम करेंगे। नहीं तो आम तौर पर ऑटो चालक पहले ज्यादा कीमत बता देते हैं और फिर मोल-भाव करके ज्यादा किराया वसूल करते हैं।

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ज्यादा समस्या उन लोगों के साथ होती है जो या तो दूसरे राज्यों से आए हैं या फिर वह एप आधारित टैक्सियों का उपयोग करना नहीं जानते हैं। रेलवे स्टेशनों और बस अड्डों पर कहने तो ट्रैफिक टैक्सी बूथ हैं लेकिन लोगों को जानकारी नहीं है और न ही सरकार इस संबंध में कोई जागरुकता अभियान चलाती है कि कैसे ऑटो ट्रैफिक टैक्सी बूथ से बुक करा सकते हैं।

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