ऐसे ही नहीं बिभव कुमार के पीछे खड़ी है पूरी आम आदमी पार्टी, जानिए क्यों हैं अरविंद केजरीवाल के सबसे खास
केजरीवाल ने इंडिया अगेंस्ट करप्शन के बैनर तले वर्ष 2011 में भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन शुरू किया तो विभव केजरीवाल के करीब होने के कारण मैगजीन के काम से इतर एनजीओ के दूसरे कामों के साथ ही केजरीवाल के प्रतिदिन के कार्यक्रम भी देखने लगे। केजरीवाल का उनमें जैसे जैसे भरोसा बढ़ता गया वैसे वैसे वो सर्वाधिक विश्वस्त हो गए।
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा वर्षों पूर्व बनाई गई संस्था इंडिया अगेंस्ट करप्शन के बैनर तले वर्ष 2011 में शुरू हुए भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के पहले से ही विभव कुमार केजरीवाल के संपर्क में आ गए थे और उनके विश्वस्त बन गए थे। उसके बाद से अब तक विभव केजरीवाल के निजी सहायक, निजी सचिव, अत्यंत विश्वस्त, बेहद करीबी दोस्त और राजदार रहे हैं।
मूलतः बिहार के रोहतास जिला निवासी विभव कुमार के पिता महेश्वर राय बिहार मिलिट्री पुलिस में सिपाही थे, लेकिन स्वैच्छिक अवकाश ले चुके हैं। दो भाइयों में बड़े विभव वाराणसी में बीएचयू से स्नातक करने के बाद पत्रकारिता की पढ़ाई के लिए दिल्ली आए। पढ़ाई के बाद विभव का करियर दिल्ली में वीडियो जर्नलिस्ट के तौर पर शुरू हुआ। वह इंडिया अगेंस्ट करप्शन की मैगजीन में वीडियो एडिटर के तौर पर काम करते थे। वहीं उनकी पहली बार केजरीवाल से मुलाकात हुई थी।
आंदोलन में केजरीवाल के करीबी साथी थे
केजरीवाल ने इंडिया अगेंस्ट करप्शन के बैनर तले वर्ष 2011 में भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन शुरू किया तो विभव केजरीवाल के करीब होने के कारण मैगजीन के काम से इतर एनजीओ के दूसरे कामों के साथ ही केजरीवाल के प्रतिदिन के कार्यक्रम भी देखने लगे। केजरीवाल का उनमें जैसे जैसे भरोसा बढ़ता गया, वैसे वैसे वो सर्वाधिक विश्वस्त हो गए और एक तरीके से उनके निजी सहायक (पीए) की तरह काम करने लगे।सीएम के निजी सचिव पद से किए गए थे बर्खास्त
वर्ष 2015 में आप की सरकार बनने पर केजरीवाल मुख्यमंत्री बने तो विभव को उनका निजी सचिव (पीएस) नियुक्त कर दिया गया। इसके बाद उन्हें सरकार से वेतन मिलने लगा और वो उसके बाद के कार्यकाल में भी अब से कुछ सप्ताह पहले तक मुख्यमंत्री के निजी सचिव रहे। विगत 10 अप्रैल को सतर्कता विभाग ने उनकी नियुक्ति को नियमों का उल्लंघन कर की गई नियुक्ति बताते हुए उन्हें बर्खास्त कर दिया था, जिसके बाद पीडब्ल्यूडी ने उन्हें सिविल लाइंस स्थित सरकारी आवास भी खाली करने को कहा था।
बर्खास्तगी के बाद भी केजरीवाल के लिए काम करते रहे
इसके बाद उन्हें सरकार से वेतन मिलना बंद हो गया, लेकिन केजरीवाल के निजी सहायक के तौर पर मुख्यमंत्री आवास में और केजरीवाल के साथ उनका काम करना जारी रहा। यहां तक कि आबकारी घोटाले से जुड़े मनी लांड्रिंग मामले में केजरीवाल के न्यायिक हिरासत में जेल में रहने के दौरान भी विभव का प्रतिदिन सीएम की पत्नी सुनीता केजरीवाल के साथ जेल जाकर केजरीवाल से मुलाकात करना जारी रहा।नोएडा में मारपीट के लगे थे आरोप
वर्ष 2007 में नोएडा अथॉरिटी में कार्यरत महेश पाल ने विभव समेत चार लोगों पर उनसे गाली गलौज, मारपीट, धमकी देने और सरकारी काम में बाधा डालने के आरोप लगाए थे। इसी आपराधिक मामले के लंबित रहने के कारण मुख्यमंत्री के निजी सचिव के रूप में उनकी नियुक्ति को सतर्कता विभाग ने अवैध बताया था।
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