Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

दिल्ली में बिगड़ रही पर्यावरणीय स्थिति, बढ़ रही हरियाली लेकिन नहीं हो रहा वनीकरण

दिल्ली के पूर्व प्रधान मुख्य वन संरक्षक सीडी सिंह ने बताया कि तीन तरह से पौधरोपण होते हैं इसमें बड़े पेड़ों के बीच में मध्यम ऊंचाई के पेड़ और तीसरा सबसे नीचे ऐसे पौधे या झाड़ियां लगाई जाती है जो धूल को न होने दे और पानी डालने पर जमीन पर मिट्टी न आए। इन तीनों को मिलाकर किसी जगह को हरा भरा बनाया जाता है।

By ajay rai Edited By: Sonu Suman Updated: Sun, 07 Jul 2024 05:44 PM (IST)
Hero Image
दिल्ली में बढ़ रही हरियाली लेकिन नहीं हो पा रहा वनीकरण।

अजय राय, नई दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी में पर्यावरणीय स्थिति लगातार बिगड़ रही है। प्रदूषित हवा लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर डाल रही है। वन विभाग समेत विभिन्न एजेंसियां हर वर्ष लाखों की संख्या में पौधरोपण कर रही हैं। इससे हरियाली तो बढ़ रही है, लेकिन वनीकरण नहीं हो पा रहा है। हरियाली बढ़ाने के नाम पर बड़ी संख्या में झाड़ियां लगाई जा रही हैं।

पिछले साल 74 लाख से अधिक पौधे रोपे गए, इसमें 56 लाख झाड़ियां थीं। विशेषज्ञों के अनुसार, दिल्ली में वनीकरण बढ़ाने पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। झाड़ियों से हरियाली तो दिखती है पर दिल्ली की तेजी सेहत सुधारने के लिए वनीकरण करना होगा।

सेंट्रल वर्ज समेत जहां तहां पौधरोपण के बाद रखरखाव के अभाव में भीषण गर्मी में अधिकांश पौधे खराब हो जा रहे हैं। इस साल भी अप्रत्याशित तरीके से लू चलने के कारण बड़ी संख्या में पौधे सूख गए। तीसरे पक्ष से आडिट कराने के बाद इनके जीवित रहने का प्रतिशत भी महज दस प्रतिशत क्षेत्र का आंकलन करके निकाला जाता है। इस दौरान विभिन्न एजेंसियां अपना काम बेहतर दिखाने के लिए टीम को उन्हीं स्थानों पर ले जाती हैं, जहां पौधों की स्थिति अच्छी होती है।

दिल्ली में सघन या खुला वन क्षेत्र सीमित स्थानों पर

इसी का नतीजा है कि दिल्ली में सघन या खुला वन क्षेत्र सीमित स्थानों पर है। पिछले दस वर्षों में दिल्ली में दो करोड़ 71 लाख से अधिक पौधेरोपण हुआ और 60 लाख से अधिक पौधे आम लोगों में वितरित किए गए। इसमें सबसे बड़ी संख्या झाड़ियों की है। वन विभाग ने भी आठ सालों में 55 लाख से अधिक पौधरोपण किया है।

विशेषज्ञों के अनुसार, दिल्ली में बिगड़े पर्यावरण संतुलन को ठीक करने के लिए ज्यादा पेड़ लगाने की आवश्यकता है। इसके लिए चिह्नित किए गए क्षेत्र में वनीकरण की प्रक्रिया तेज करनी होगी। फिलहाल दिल्ली के कुल भौगोलिक क्षेत्र में सिर्फ 23.6 प्रतिशत हरित क्षेत्र की हिस्सेदारी है। इसे कम से कम 33 प्रतिशत तक होना चाहिए।

पौधरोपण के बाद रखखराव में हीलाहवाली

दिल्ली के पूर्व प्रधान मुख्य वन संरक्षक सीडी सिंह ने बताया कि तीन तरह से पौधरोपण होते हैं इसमें बड़े पेड़ों के बीच में मध्यम ऊंचाई के पेड़ और तीसरा सबसे नीचे ऐसे पौधे या झाड़ियां लगाई जाती है जो धूल को न होने दे और पानी डालने पर जमीन पर मिट्टी न आए। इन तीनों को मिलाकर किसी जगह को हरा भरा बनाया जाता है। शहरी क्षेत्र में इस तरीके को ज्यादा अपनाया जाता है। इसमें ऐसे बड़े पेड़ों को प्राथमिकता दी जाती है जो सालों भर हरा रहे, ये गर्मी सोखने का काम करते हैं। लेकिन, दिल्ली में 50 एकड़ का एक ब्लाक मिले तभी जंगल तैयार हो सकता है, यहां इसका अभाव है।

ऐसे में पार्क या सिटी पार्क जंगल बनाया जा सकता है। इसे विकसित करने पर ज्यादा काम करना चाहिए। वन विभाग के अलावा दिल्ली में अन्य एजेंसियां भी पौधरोपण करती हैं, लेकिन रखरखाव ठीक से नहीं किया जाता है। इसके साथ ही तीसरे पक्ष से आडिट में भी ये एजेंसियां जहां अच्छा पौधरोपण रहता है वही दीखाती हैं। वन विभाग को ये एजेंसियां अपनी जमीन भी नहीं देती हैं ताकि ठीक से वनीकरण किया जा सके।

पौधरोपण के मूल्यांकन की जिम्मेदारी वन विभाग को मिलेः विशेषज्ञ

पूर्व मुख्य वन संरक्षक निशीथ सक्सेना ने कहा कि दिल्ली में जन भागीदारी और बढ़ाने की आवश्यकता है। इसके साथ ही पश्चिमी दिल्ली में बड़ा भूभाग खाली पड़ा है, यहां डीडीए, एमसीडी और राजस्व विभाग की काफी जमीनें हैं, वहां पेड़ लगाने चाहिए या वन विभाग को दे देना चाहिए। नियमों में बदलाव कर दिल्ली में सभी एजेंसियों के पौधरोपण के मूल्यांकन की जिम्मेदारी वन विभाग को दी जाए तो स्थिति में बड़ा परिवर्तन देखने को मिलेगा।

ये भी पढ़ें- 'बालक बुद्धि वाले विपक्ष के नेता को जनता ने नकारा...', बीजेपी नेता पीयूष गोयल ने राहुल गांधी पर बोला हमला

आपके शहर की तथ्यपूर्ण खबरें अब आपके मोबाइल पर