दिल्ली : पूर्व सांसद किशोर लाल समेत सात लोगों पर धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज
कड़कड़डूमा कोर्ट के निर्देश पर 6 फरवरी को मुकदमा दर्ज किया गया है। मामला जमीनी विवाद से जुड़ा हुआ है।
By Edited By: Updated: Thu, 21 Feb 2019 09:12 PM (IST)
नई दिल्ली, जेएनएन। जमीन से जुड़े एक विवाद में दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ने पूर्व सांसद किशोर लाल समेत छह अन्य लोगों ओमप्रकाश सचदेवा, आशीष किशोर, अंकुर सचदेवा, गौरव सचदेवा, नरेंद्र और मनोज बंसल के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। कड़कड़डूमा कोर्ट के निर्देश पर 6 फरवरी को मुकदमा दर्ज किया गया है। मामला जमीनी विवाद से जुड़ा हुआ है। आरोप है कि इन आरोपितों ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर जमीन पर अवैध रूप से मालिकाना हक जमाने की कोशिश की है।
कैलाश नगर कॉलोनी, लोनी रोड, शाहदरा में सत्येंद्र सिंह भोरा समेत अन्य लोगों ने 2006 में कैपिटल लैंड बिल्डर्स प्राइवेट लिमिटेड से प्लाट खरीदे गए थे। इस कंपनी के 560 शेयर में से 500 शेयर शहीद मेमोरियल सोसायटी के नाम पर हैं, जिसकी स्थापना दिल्ली के प्रथम मुख्यमंत्री चौधरी ब्रह्मा प्रकाश ने की थी। जिन लोगों पर एफआईआर दर्ज हुई है उनमें से चार लोग कैपिटल लैंड बिल्डर्स में निदेशक थे जिन्हें बाद में उनके पद से हटा दिया गया था। इन लोगों ने पद से हटने के बाद दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर कर कैपिटल लैंड बिल्डर्स के 560 में से 500 शेयर खरीदने का दावा किया, जो शहीद मेमोरियल सोसायटी के नाम पर है।
कोर्ट ने उन्हें 500 शेयर ट्रांसफर डीड तथा अन्य सभी दस्तावेज जमा करने के लिए कहा। पूर्व निदेशकों ने कोर्ट में केवल 260 शेयर की पांच ट्रांसफर डीड ही जमा कराई। इसके बाद जब इन पांचों ट्रांसफर डीड की जांच इंडियन सिक्योरिटी प्रेस ने की तो उन्होंने पाया कि ट्रांसफर डीड के ट्रांसफर स्टैंप्स 1978-1979 के हैं, जबकि ट्रांसफर डीड 1968 तथा 1974 की थी। पूर्व निदेशकों ने इन्हीं दस्तावेजों के आधार पर बहुत से प्लॉटधारकों के खिलाफ सन् 2006-2007 में मुकदमा दर्ज करवा दिए और प्लॉटधारकों को विभिन्न तरीकों से परेशान करने शुरू कर दिए थे।
जब इन फर्जी दस्तावेजों की जानकारी प्लॉटधारक सत्येंद्र सिंह भोरा व अन्य प्लॉटधारकों को हुई तब उन्होंने 2016 में सभी सुबूतों के साथ थाना ज्योति नगर में पूर्व निदेशकों और उनके मैनेजरों के खिलाफ धोखाधड़ी की शिकायत की, लेकिन थाना पुलिस ने मामला दर्ज करने के बजाय शिकायत को आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) में भेज दिया था। ईओडब्ल्यू ने भी जब कोई कार्रवाई नहीं की तब सत्येंद्र सिंह भोरा ने 2017 में कड़कड़डूमा कोर्ट में अर्जी दायर कर न्याय की गुहार लगाई। उपलब्ध सुबूत के आधार पर शिकायत को सही पाकर कोर्ट ने ईओडब्ल्यू को सातों आरोपितों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए।
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