'ढाई लाख करोड़ टैक्स देने के बाद भी दिल्ली को नहीं मिली चवन्नी', मंत्री आतिशी ने केंद्र पर लगाया भेदभाव का आरोप
आप नेता ने कहा कि दिल्लीवालों की केंद्र सरकार से मांग है कि दो लाख करोड़ दिए हुए टैक्स में से 10 हजार करोड़ रुपये दिल्ली को मिलने चाहिए। यह केंद्र सरकार के पूरे बजट का मात्र 0.25 प्रतिशत है। दिल्ली के लोगों ने पिछले वर्ष टैक्स के रूप में 35 हजार करोड़ रुपए दिए। इस पैसे को अरविंद केजरीवाल जी की सरकार ने दिल्लीवालों पर खर्च किया।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। दिल्ली सरकार में मंत्री आतिशी ने केंद्र सरकार पर दिल्ली के साथ सौतेला व्यवहार करने का आरोप लगाया। उन्होंने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि दिल्ली के लोग मेहनत से अपनी नौकरी और बिजनेस करते हैं और ईमानदारी से ढाई लाख करोड़ का टैक्स केंद्र सरकार को देते हैं तो उसमें से एक भी रुपया दिल्ली को क्यों नहीं मिलता है? उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार सारा पैसा अपने पास रख कर दिल्ली से सौतेला व्यवहार कर रही है।
आप नेता ने कहा कि दिल्लीवालों की केंद्र सरकार से मांग है कि दो लाख करोड़ दिए हुए टैक्स में से 10 हजार करोड़ रुपये दिल्ली को मिलने चाहिए। यह केंद्र सरकार के पूरे बजट का मात्र 0.25 प्रतिशत है। दिल्ली के लोगों ने पिछले वर्ष टैक्स के रूप में 35 हजार करोड़ रुपए दिए। इस पैसे को अरविंद केजरीवाल जी की सरकार ने दिल्लीवालों पर खर्च किया। इस पैसे ने दिल्ली के लोगों को 24 घंटे फ्री बिजली, मुफ्त इलाज, सड़कें और फ्लाई ओवर जैसी सुविधाएं देने का काम किया।
दिल्ली ने केंद्र सरकार को 2.07 लाख करोड़ रुपए दिए
उन्होंने कहा कि इसके साथ ही दिल्ली ने केंद्र सरकार को 2.07 लाख करोड़ रुपए इन्कम टैक्स के रूप में दिया। वहीं GST के रूप में दिल्लीवालों ने 25 हजार करोड़ रुपए केंद्र को दिए। यह कुल 2.32 लाख करोड़ रुपए हुए। केंद्र सरकार को 2.32 लाख करोड़ रुपए देने के बाद भी केंद्र सरकार ने दिल्ली के ऊपर एक भी रुपया खर्च नहीं किया। मुंबई से केंद्र सरकार को 5 लाख करोड़ का टैक्स जाता है। इसके बदले में केंद्र ने महाराष्ट्र सरकार को 54 हजार करोड़ रुपए दिए जाते हैं।दिल्ली को अपना हक मिलना चाहिए: आतिशी
उन्होंने कहा कि बेंगलुरु से भी लगभग 2 लाख करोड़ रुपए का इन्कम टैक्स केंद्र को जाता है। उसके बदले केंद्र 33 हजार करोड़ रुपए मिलते हैं। दिल्ली से भी 2 लाख करोड़ से ज्यादा का टैक्स केंद्र को जाता है, लेकिन बदले में उन्हें कुछ नहीं मिलता है। इस बार के बजट में दिल्लीवालों की मांग है कि दिल्ली को अपना हक मिलना चाहिए। जैसा दिल्ली के साथ हो रहा है, वैसा दुनिया में कहीं और होता होगा?
दुनिया में कहीं भी ऐसा व्यवहार नहीं होता होगा: आतिशी
क्या अमेरिका की सरकार न्यूयार्क से पैसा लेती होगी और बदले में एक पैसा भी नहीं देती होगी? जापान की सरकार टोक्यो और ब्रिटेन की सरकार लंदन के साथ ऐसा करती होगी? मुझे नहीं लगता कि ऐसा होता होगा। आज केंद्र सरकार भी दिल्ली के साथ भी सौतेला व्यवहार कर रही है। वह दिल्ली वालों से पैसा ले रही है लेकिन उनपर एक पैसा भी खर्च नहीं कर रही है।दिल्ली को मिले 10 हजार करोड़ रुपये: आतिशी
दिल्लीवालों की केंद्र सरकार से मांग है कि वह जो इन्कम टैक्स के रूप में 2 लाख करोड़ रुपए देते हैं, उसमें से 10 हजार करोड़ रुपए मिलने चाहिए। यह रकम केंद्र के बजट का मात्र 0.25% है। वहीं यह रकम दिल्लीवालों के Income tax का मात्र 5% है। केंद्र दिल्ली द्वारा दिए गए पैसे का बाकी हिस्सा देश में सड़कें और अस्पताल जैसे कामों पर खर्च करे लेकिन दिल्ली को भी उनके हक का पैसा दिया जाये।
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