'नागरिकों की स्वतंत्रता से जुड़े मामलों में हर एक दिन अहम', दिल्ली HC से आग्रह करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने की अहम टिप्पणी
जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ को अमनदीप की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने बताया कि याचिकाकर्ता की नियमित जमानत याचिका पर हाई कोर्ट ने 40 बार सुनवाई की है और अब मामले को आठ जुलाई तक के लिए स्थगित कर दिया गया है। उन्होंने कहा ऐसा नहीं हो सकता कि 40 सुनवाई के बाद भी आप नियमित जमानत पर फैसला न करें।
पीटीआई, नई दिल्ली। दिल्ली की अब रद हो चुकी आबकारी नीति से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में दिल्ली हाई कोर्ट से एक कारोबारी अमनदीप सिंह ढल्ल की नियमित जमानत याचिका पर फैसला करने का आग्रह करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि नागरिकों की स्वतंत्रता से जुड़े मामलों में हर एक दिन की अहमियत होती है।
जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ को अमनदीप की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने बताया कि याचिकाकर्ता की नियमित जमानत याचिका पर हाई कोर्ट ने 40 बार सुनवाई की है और अब मामले को आठ जुलाई तक के लिए स्थगित कर दिया गया है। उन्होंने कहा, "ऐसा नहीं हो सकता कि 40 सुनवाई के बाद भी आप नियमित जमानत पर फैसला न करें।"
इस पर पीठ ने कहा कि यह सूचित किया गया है कि उनकी जमानत याचिका पिछले वर्ष जुलाई में दायर की गई थी। साथ ही कहा, "नागरिकों की स्वतंत्रता से जुड़े मामलों में हर एक दिन की अहमियत होती है। लगभग 11 महीनों के बाद भी नियमित जमानत के मामले को लंबित रखना याचिकाकर्ता को उसकी स्वतंत्रता से वंचित करना है। हम हाई कोर्ट से ग्रीष्मकालीन अवकाश से पहले जमानत याचिका पर फैसला करने का अनुरोध करते हैं।"
उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट में ग्रीष्मकालीन अवकाश तीन जून से प्रारंभ होता है और उससे पहले 31 मई अंतिम कार्य दिवस होगा। ढल्ल आबकारी नीति से जुड़े अलग मामले में आरोपित हैं जिसकी जांच सीबीआई और ईडी कर रहे हैं। ईडी का मनी लॉन्ड्रिंग का मामला सीबीआई की एफआईआर पर आधारित है।इससे पहले सीबीआई द्वारा दर्ज भ्रष्टाचार के एक मामले में ट्रायल कोर्ट ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी। जांच एजेंसियों के मुताबिक, ढल्ल ने कथित रूप से अन्य आरोपितों के साथ मिलकर साजिश रची थी और वह आबकारी नीति बनाने, आम आदमी पार्टी को रिश्वत देने व विभिन्न माध्यमों से दक्षिण के समूह द्वारा उसे पहुंचवाने में सक्रिय रूप से शामिल थे।
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