पुराना किला में फिर ढूढे जाएंगे इंद्रप्रस्थ के साक्ष्य, एएसआई से मिली मंजूरी; लिडार सर्वेक्षण से होगा काम पूरा
पुराना किला में इंद्रप्रस्थ के साक्ष्य का पता फिर से लगाया जाएगा। इसके लिए अक्टूबर में काम शुरू होगा। एएसआई मुख्यालय ने इस कार्य के लिए सैद्धांतिक रूप से मंजूरी दे दी है। इस साल पहले से हुई खुदाई वाले स्थल के अब पश्चिम और उत्तर दिशा में नए ट्रेंच (गड्ढे) बनाए जाने की योजना है। इस कार्य को शुरू करने से पहले लिडार सर्वेक्षण का सहारा लिया जाएगा।
वी के शुक्ला, नई दिल्ली। पुराना किला में पांडवों की राजधानी इंद्रप्रस्थ के साक्ष्य ढूंढने के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) एक बार फिर खुदाई कराने जा रहा है। अक्टूबर से फिर कुुंती मंदिर वाले खुदाई स्थल पर इस कार्य को विस्तार दिया जाएगा। एएसआई मुख्यालय ने इस कार्य के लिए सैद्धांतिक रूप से मंजूरी दे दी है।
इस साल पहले से हुई खुदाई वाले स्थल के अब पश्चिम और उत्तर दिशा में नए ट्रेंच (गड्ढे) बनाए जाने की योजना है। इस कार्य को शुरू करने से पहले लिडार सर्वेक्षण का सहारा लेने पर भी विचार किया जा रहा है ताकि जमीन में दबे अवशेषों पर आसानी से पहुंचा जा सके। लिडार सर्वेक्षण के माध्यम से जमीन के अंदर दबे अवशेषों के बारे में पता लगाया जाता है। दो साल पहले इस बारे में केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने निर्देश दिए थे।
शेर मंडप स्थल पर मिले थे मौर्य काल के साक्ष्य
यहां 2022 में दो स्थानों पर खुदाई हुई है। शेर मंडप स्थल पर हुई खुदाई में अभी तक मौर्य काल तक के साक्ष्य मिल चुके हैं। मगर अभी तक इंद्रप्रस्थ तक नहीं पहुुंचा जा सका है या हों कहें कि ऐसा कोई मजबूत साक्ष्य नहीं मिल सका है जिससे एएसआई कह सके कि महाभारत के समय तक पहुंचा जा चुका है।पुराना किला में इंद्रप्रस्थ ढूंढने के लिए फिर होगी खुदाई
वैसे 2022 में हुई खुदाई में वे कई चित्रित मृदभांड मिले हैं, जिन्हें महाभारत कालीन माना जाता है। बहरहाल अक्टूूबर से पुराना किला में इंद्रप्रस्थ ढूंढने के लिए फिर से खुदाई शुरू होगी। पुराना किला में दो साल पहले अभी तक हो चुकी खुदाई स्थल को बांस और पोलिथिन लगाकर ढंक दिया गया है और सुरक्षाकर्मी तैनात रहते हैं।
अभी तक नौ सांस्कृतिक काल के प्रमाण मिले
यहां 2022 में जनवरी से जून तक कुंती मंदिर स्थल पर हुई खाेदाई में प्रारंभिक कुषाण काल तक की संरचनाएं मिली हैं। जिसमें 5.50 मीटर की गहराई तक खुदाई की जा चुकी है। एएसआई इस गड्ढे में भी और नीचे जाना चाहता है। इस उत्खनन से इंद्रप्रस्थ के प्राचीन शहर के बारे में जानकारी मिलने की उम्मीद है। यहां अभी तक नौ सांस्कृतिक काल के प्रमाण मिले हैं।महाभारत काल से जुड़ा एकमात्र पुरातात्विक स्थल
इसमें पूर्व मौर्य काल, मौर्य काल, शुंग, कुषाण काल, गुप्त, उत्तर गुप्त, राजपूत काल, सल्तनत व मुगल काल के अवशेष प्राप्त हो चुके हैं। यहां अभी तक पांच बार उत्खनन किया गया है। दिल्ली में ये एकमात्र पुरातात्विक स्थल है जिसका संबंध महाभारत काल से है। जल्द ही यहां ओपन एयर संग्रहालय भी बनाया जाएगा। ताकि लोग राजधानी में उत्खन्न स्थल का अनुभव कर सकें।
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- कुंती मंदिर स्थल पर वैकुंठ विष्णु भगवान की 900 साल पुरानी राजपूत काल की प्रतिमा
- गुप्तकाल की लगभग 1200 वर्ष पुरानी गजलक्ष्मी की एक टेराकोटा की प्रतिमा
- राजपूत काल की भगवान गणेश की एक छोटी प्रतिमा
- सिक्के व मुहरें मिली हैं, जिन्हें पढ़ा जा चुका है। इन पर ब्राह्मी लिपि में लिखा हुआ है।
शेर मंडल के पास वाली खुदाई में
- मौर्य काल से पहले के संरचनात्मक अवशेष
- टेराकोटा का कुआं, ड्रेनेज सिस्टम
- शुंग-कुषाण काल से भी पुराने चार कमरों का परिसर
- तांबे के कई सिक्के
- कई चित्रित मृदभांड मिले हैं, जिन्हें महाभारत कालीन माना जाता है।