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EXCLUSIVE: ओम प्रकाश चौटाला को तिहाड़ से जल्द रिहा कर सकती है केजरीवाल सरकार

हरियाणा के पूर्व सीएम ओम प्रकाश चौटाला को तिहाड़ से छोड़ने की संभावना पर दिल्ली सरकार के सूत्रों का कहना है कि उनकी उम्र और खराब स्वास्थ्य को देखते हुए ये फैसला लिया जा सकता है।

By JP YadavEdited By: Updated: Sun, 24 Feb 2019 07:45 AM (IST)
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EXCLUSIVE: ओम प्रकाश चौटाला को तिहाड़ से जल्द रिहा कर सकती है केजरीवाल सरकार
नई दिल्ली [बिजेंद्र बंसल]। दिल्ली की तिहाड़ जेल में सजा काट रहे हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और इंडियन नेशनल लोक दल (INLD) प्रमुख ओम प्रकाश चौटाला बहुत जल्द बाहर आ सकते हैं। दिल्ली सरकार के सूत्रों के मुताबिक, ओम प्रकाश चौटाला को तिहाड़ जेल से रिहा करने पर विचार किया जा रहा है।

हरियाणा में मुख्यमंत्री रह चुके ओम प्रकाश चौटाला को तिहाड़ से छोड़ने की संभावना पर दिल्ली सरकार के सूत्रों का कहना है कि उनकी उम्र और खराब स्वास्थ्य को देखते हुए ये फैसला लिया जा सकता है। इस संबंध में दिल्ली सरकार, कानूनी सलाह ले रही है। अगर कानूनी सलाह में दिल्ली सरकार को राय मिलती है कि ओम प्रकाश चौटाला को रिहा किया जा सकता है, तो बहुत जल्द वह तिहाड़ से बाहर आ जाएंगे।

इससे पहले, दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को दिल्ली सरकार को हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला को 60 वर्ष से अधिक उम्र के पुरुषों को विशेष छूट देने के प्रावधान के तहत तिहाड़ जेल से रिहा करने की याचिका पर विचार करने को कहा है।

केंद्र सरकार की जुलाई 2018 की विशेष माफी संबंधी नोटिफिकेशन के अनुसार, 70 फीसदी दिव्यांग होने के साथ यदि किसी की उम्र 60 साल से ज्यादा है और वह कोर्ट से मिली सजा को आधा समय जेल में काट चुका है तो राज्य सरकार उसकी रिहाई के लिए विचार कर सकती है। चौटाला के वकीलों ने न्यायालय में कहा है कि चौटाला दिव्यांग होने के साथ 84 साल के हो चुके हैं और सजा भी काट चुके हैं।

दिल्ली सरकार के सूत्रों का ये भी कहना है कि दिल्ली सरकार नियमों का सख्ती से पालन कर रही है लेकिन न्यायालय के निर्देशों और केंद्र सरकार के जुलाई, 2018 के नोटिफिकेशन के आधार पर सरकार ये भी विचार कर रही है कि उम्र दराज, बीमार और अपनी आधी से ज्यादा सजा काट चुके लोगों के मामलों को संवेदनशीलता से देखा जाए। इस संबंध में कानूनी सलाह ली जा रही है। कानूनी सलाह के आधार पर फैसला लिया जाएगा।

उल्लेखनीय है कि इनेलो प्रमुख और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला जेबीटी शिक्षक भर्ती घोटाले में दोषी करार दिये गये थे और वह तिहाड़ में सजा काट रहे हैं।

  • शिक्षक भर्ती घोटाले में ओमप्रकाश चौटाला और उनके बड़े पुत्र अजय सिंह चौटाला को 16 जनवरी 2013 को दस वर्ष की सजा सुनाई गई थी।
  •  जेल में रहते हुए ओमप्रकाश चौटाला ने 5 जुलाई 2017 को नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूल से 12वीं कक्षा की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की थी। तब उनकी उम्र 82 साल थी। इसके बाद उन्होंने स्नातक के लिए भी तैयारी शुरू कर दी थीं। उन्होंने अपने पौत्र दिग्विजय सिंह से स्नातक की किताबें भी मंगवाई थीं।
  • चौटाला जेल में अखबार पढ़ने और टीवी पर देश-विदेश खासतौर पर हरियाणा से संबंधित न्यूज चैनल भी देखते हैं।
  • केंद्र सरकार की अधिसूचना के आधार पर जल्द रिहाई की मांग करते हुए चौटाला ने हाईकोर्ट में अर्जी थी कि उन्हें जेल से जल्द रिहा किया जाए।
  • जल्द रिहाई के लिए चौटाला का आधार था कि केंद्र सरकार की 18 जुलाई 2018 की अधिसूचना के अनुसार 60 साल से जयादा उम्र पार कर चुके पुरुष, 70 फीसदी दिव्यांग व बच्चे अगर अपनी आधी से अधिक सजा काट चुके हैं तो राज्य सरकार उनकी रिहाई पर विचार कर सकती है।
  • याचिका में चौटाला ने बताया कि 83 साल के हो चुके हैं और भ्रष्टाचार के मामले में दस में से छह साल से ज्यादा सजा काट चुके हें।
  • जन्म के बाद से ही पोलियोग्रस्त ओमप्रकाश चौटाला अप्रैल 2013 में 60 फीसद दिव्यांग थे और जून 2013 में पेसमेकर लगने के बाद वे 70 फीसद दिव्यांग हो गए थे।
  • इसके बाद हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को उनकी याचिका पर चार सप्ताह में निर्णय लेने का आदेश दिया था।
  • वर्तमान में चौटाला तीन सप्ताह की पैरोल पर जेल से बाहर हैं।
जेबीटी घोटाला : क्या था पूरा मामला
जेबीटी शिक्षक भर्ती घोटाले को उजागर करने में अहम भूमिका तत्कालीन प्राथमिक शिक्षा निदेशक संजीव कुमार ने निभाई थी। संजीव कुमार ने ही इस मामले में उच्चतम न्यायालय में एक अर्जी दायर की थी। उच्चतम न्यायालय के आदेश पर सीबीआइ ने प्रारंभिक जांच वर्ष 2003 में शुरू की। जांच में शिक्षकों की नियुक्ति में बरती गई अनियमितताओं का मामला सामने आने के बाद सीबीआइ ने जनवरी 2004 में राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला, उनके विधायक पुत्र अजय सिंह चौटाला, मुख्यमंत्री के तत्कालीन विशेष कार्य अधिकारी आइएएस विद्याधर, मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार रहे शेर सिंह बड़शामी, राज्य के प्राथमिक शिक्षा निदेशक संजीव कुमार सहित कुल 62 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। सबसे ताज्जुब की बात यह रही कि मामले को उजागर करने में अहम भूमिका निभाने वाले संजीव कुमार को भी सीबीआइ ने इस मामले में आरोपी बनाते हुए उनके खिलाफ भी मामला दर्ज किया। सीबीआइ के अनुसार संजीव कुमार भी इस घोटाले में बराबर शामिल रहे थे। सीबीआइ के अनुसार उनका अन्य लोगों से विवाद होने पर ही उन्होंने घोटाले के खिलाफ आवाज उठाई।

मामले में सीबीआइ ने वर्ष 2008 में आरोपियों के खिलाफ अदालत में आरोपपत्र पेश कर दिया। सीबीआइ ने आरोपपत्र में कहा कि वर्ष 1999- 2000 में राज्य के 18 जिले में हुई 3206 जेबीटी शिक्षकों की भर्ती के मामले में मानदंडों को ताक पर रखकर मनचाहे अभ्यर्थियों की बहाली की गई थी। इसके लिए शिक्षकों की भर्ती की जिम्मेवारी कर्मचारी चयन आयोग से लेकर जिला स्तर पर बनाई गई चयन कमेटी को सौंपी गई थी। जिसने फर्जी साक्षात्कार के आधार पर चयनित अभ्यर्थियों की सूची तैयार की गई। इसके लिए जिलास्तरीय चयन कमेटी में शामिल शिक्षा विभाग के अधिकारियों पर मनचाहे अभ्यर्थियों के चयन के लिए दिल्ली के हरियाणा भवन व चंडीगढ़ के गेस्ट हाउस में बैठकों में दबाव भी बनाया गया था।

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