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Delhi: आनंद विहार में स्मॉग टावर की बुनियाद बनाने के लिए खोदाई शुरू

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने इस परियोजना के निर्माण कार्य का जिम्मा टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड को सौंपा है। इस एजेंसी ने आनंद विहार मेट्रो स्टेशन के सामने खोदाई कार्य शुरू कर दिया है। अभी कई दिनों तक खोदाई होगी।

By Mangal YadavEdited By: Updated: Sun, 06 Dec 2020 10:30 AM (IST)
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आनंद विहार बस अड्डा परिसर के आसपास का इलाका राजधानी के सबसे प्रदूषित क्षेत्रों में शामिल हैं।
पूर्वी दिल्ली, जागरण संवाददाता। प्रदूषण की समस्या से जूझ रही राजधानी को राहत देने के लिए आनंद विहार बस अड्डा परिसर में देश के सबसे बड़े स्मॉग टावर की बुनियाद बनाने के लिए शनिवार को खोदाई शुरू कर दी गई। करीब 500 मीटर गहरी बुनियाद बनाई जाएगी। उस पर कंक्रीट और लोहे से 78 मीटर ऊंचे स्मॉग टावर का निर्माण किया जाएगा।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने इस परियोजना के निर्माण कार्य का जिम्मा टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड को सौंपा है। इस एजेंसी ने आनंद विहार मेट्रो स्टेशन के सामने खोदाई कार्य शुरू कर दिया है। अभी कई दिनों तक खोदाई होगी। आइआइटी बॉम्बे की तकनीक और उनके द्वारा तैयार डिजाइन पर स्मॉग टावर बनाया जाएगा। इसके निर्माण पर 18.53 करोड़ रुपये की लागत आएगी। अगले वर्ष जून तक यह बनकर तैयार होगा। सीपीसीबी के अधिकारियों का कहना है कि यह टावर प्रयोग के तौर पर लगाया जा रहा है। इसके परिणाम अच्छे मिले तो राजधानी में अन्य स्थानों पर इस तरह के स्मॉग टावर बनाने की परियोजना पर काम किया जाएगा।

बता दें, आनंद विहार बस अड्डा परिसर के आसपास का इलाका राजधानी के सबसे प्रदूषित क्षेत्रों में शामिल हैं। यहां वाहनों का दबाव ज्यादा होने और औद्योगिक क्षेत्र की वजह से प्रदूषण रहता है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर यहां स्मॉग टावर लगाने की योजना बनाई गई थी।

सीपीसीबी ने प्रदूषण के कारकों को लेकर सख्ती बरतने के दिए निर्देश

वहीं, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण के बढ़े हुए स्तर को नियंत्रित करने के लिए स्थानीय कारकों के प्रति सख्त रवैया अपनाने का निर्देश दिया है। इसके लिए दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान सरकार को पत्र लिखने के साथ-साथ इन सभी राज्यों के स्थानीय निकायों को भी पत्र की प्रति भेजी गई है।

सीपीसीबी के डिविजनल हेड (एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग) की ओर से लिखे गए इस पत्र में कहा गया है कि दिल्ली एनसीआर के प्रदूषण में पराली के धुएं की हिस्सेदारी शून्य पर आ गई है, लेकिन प्रदूषण का स्तर अब भी काफी ज्यादा है। पिछले कई दिनों से यह बहुत खराब श्रेणी में चल रहा है। ऐसे में अब उन सभी कारकों पर नियंत्रण के लिए सख्त कदम उठाए जाने की जरूरत है, जिनकी वजह से यह प्रदूषण कम नहीं हो रहा।

सीपीसीबी ने पत्र में कहा है कि 50 टीमें 15 अक्टूबर से लगातार राजधानी में प्रदूषण के कारणों को चिह्नित कर रही हैं। इस टीम ने पाया है कि कचरा जलाने, निर्माण स्थल पर नियमों के उल्लंघन होने व सड़कों पर भारी धूल जमा होने के कारण प्रदूषण के स्तर में इजाफा हो रहा है। सड़कें टूटी हैं एवं कचरा को खुले स्थानों पर जमा किया जा रहा है।

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