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Nature And Wildlife News: 500 किलोमीट का सफर तय कर दिल्ली से कैसे राजस्थान पहुंच गई चील, पड़ताल में जुटे विशेषज्ञ

Nature And Wildlife News दिल्ली से भारतीय प्रजाति की चील 500 किलोमीटर का सफर तय कर बीकानेर पहुंच गई है। चील की टैगिंग दिल्ली के चिड़ियाघर में की गई थी। यह कैसे हुआ? इसके बारे में विशेषज्ञ जानकारी जुटाएंगे।

By Jp YadavEdited By: Updated: Fri, 10 Sep 2021 11:25 AM (IST)
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Nature And Wildlife: 500 किलोमीट का सफर तय कर दिल्ली से कैसे राजस्थान पहुंच गई चील, पड़ताल में जुटे विशेषज्ञ
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से भारतीय प्रजाति की चील 500 किलोमीटर का सफर तय कर बीकानेर पहुंच गई है। चील की टैगिंग दिल्ली के चिड़ियाघर में की गई थी। अमूमन कुछ किलोमीटर के दायरे में रहनी वाली भारतीय प्रजाति की चील के इतनी लंबी दूरी तय करने के मामले ने विशेषज्ञों को चकित कर दिया है। वह इसके कारणों की पड़ताल में जुटे हैं।

इस संबंध में ब्लैक काइट प्रोजक्ट से जुडे़ व आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से पीएचडी करने वाले डा. निशांत कुमार ने बताया कि चीलों पर तकरीबन 10 वर्षों से चल रहे शोध में इस तरह का यह पहला मामला है। इस शोध में चील पर ट्रांसमीटर और जियो टैगिंग कर उसकी गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है।

निशांत कुमार ने बताया कि सैकड़ों चीलों पर जीओ टैगिंग की गई है, लेकिन इतनी लंबी दूरी तय करने वाली यह पहली चील है। यह शोध देहरादून स्थित भारतीय वन्य जीव संस्थान और मुंबई के रैप्टर रिसर्च कंजरवेशन फाउंडेशन के सहयोग से चल रहा है।

वहीं, यमुना बायोडायवर्सिटी के प्रभारी डा. फैयाज ए खुद्सर ने कहा कि भारतीय प्रजाति की चील एक सीमित दायरे में रहती हैं। महानगरों में ही उन्हें पर्याप्त भोजन मिल जाता है। ऐसे में इस चील के मामले में किसी कारण पर पहुंचना जल्दबाजी होगी।

गौरतलब है कि सामान्य तौर पर एक चील चीड़िया की लंबाई 2 फीट होती है, जिसकी दुम लंबी ओर दोफंकी रहती है। इसका सारा बदन कलछौंह भूरा होता है, जिसपर गहरे रंग के सेहरे से पड़े रहते हैं। चोंच काली और टांगें पीली होती हैं। मादा चील अंडा देने के पहले घोसला बनाती है। ये अपना घोसला काफी ऊंचाई पर बनाते हैं।

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