नकली कैंसर दवा रैकेट: अस्पतालों से डेटा लेकर तीन तरीके से मरीजों को बनाते थे शिकार, बिन दुकान ऐसे चल रहा था धंधा
जानलेवा बीमारी कैंसर के इलाज में उपयोगी कीमोथेरेपी की नकली दवाओं के कारोबार करने वाले मॉड्यूल का भंडाफोड़ होने से इस मामले की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है दिल्ली पुलिस को चौकाने वाली जानकारी मिल रही है। गिरफ्तार आरोपितों में दो कोमल तिवारी व अभिनव कोहली वर्तमान में रोहिणी स्थित राजीव गांधी कैंसर संस्थान एवं अनुसंधान केंद्र के कीमोथेरेपी विभाग में ही काम कर रहे थे।
राकेश कुमार सिंह, नई दिल्ली। जानलेवा बीमारी कैंसर के इलाज में उपयोगी कीमोथेरेपी की नकली दवाओं के कारोबार करने वाले मॉड्यूल का भंडाफोड़ होने से इस मामले की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है दिल्ली पुलिस को चौकाने वाली जानकारी मिल रही है।
गिरफ्तार आरोपितों में दो कोमल तिवारी व अभिनव कोहली वर्तमान में रोहिणी स्थित राजीव गांधी कैंसर संस्थान एवं अनुसंधान केंद्र के कीमोथेरेपी विभाग में ही काम कर रहे थे। इनमें कोमल कीमोथेरेपी विभाग का इंचार्ज था, जबकि अभिनव इस विभाग में मरीजों को कीमोथेरेपी देने यानी ग्लूकोज में कीमोथेरेपी की दवा मिलाने का काम करता था।
नीरज दवा बनाने के बाद बेचने का करता था काम
तीसरा आरोपित नीरज चौहान, नकली दवा बनाने के बाद उसे बेचने का काम करता था। वह पहले धर्मशिला, पारस व बीएलके जैसे कैंसर अस्पतालों में काम कर चुका है।कई अस्पतालों में काम करने, बी फार्मा करने व मेडिकल सेक्टर से जुड़े होने के कारण गिरफ्तार आठों आरोपित एक दूसरे के संपर्क में आए थे, जिससे दिल्ली-एनसीआर के कैंसर अस्पतालों में इनके अच्छे संपर्क हैं।
अपने संपर्कों का फायदा उठाकर आरोपित कैंसर मरीजों का डेटा हासिल कर तीन तरीके से अपने नापाक धंधे को अंजाम दे रहे थे।
इन तीन तरीकों से मरीजों से करते थे संपर्क
पहला:- आरोपित कैंसर के मरीजों व उनके तीमारदारों से सीधे संपर्क कर उन्हें सस्ती कीमत में दवा मुहैया कराने का झांसा देकर नकली दवा बेच देते थे।दूसरा:- आरोपित नकली दवा बनाकर उसे बाजारों में बेचते थे। दिल्ली-एनसीआर के अलावा हरियाणा, यूपी,बिहार व पुणे में दवा विक्रेताओं को कीमोथेरेपी की नकली दवा बेचने की अबतक पुष्टि हो चुकी है।
तीसरा:- अफ्रीकी देशों, नेपाल व अन्य देशों से कैंसर के इलाज के लिए दिल्ली आने वाले मरीजों को नकली दवा बेचते थे। हर कैंसर अस्पताल में विदेश से इलाज के लिए आने वाले मरीजों के लिए अलग से एक-एक शाखा बनाया हुआ है जिसमें अस्पताल के कई कर्मचारियों की तैनाती रहती है।कुछ आरोपित अलग-अलग अस्पतालों में इस सेक्शन में काम कर चुके हैं जिससे हास्पिटल टूरिज्म में उनकी अच्छी पकड़ है। जिससे ये लोग विदेशी मरीजों से सीधे संपर्क कर उन्हें सस्ती कीमत का झांसा देकर नकली दवा बेच देते थे।
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