देशभर में बढ़ रहा नकली नोटों का कारोबार, दो करोड़ की नकली करेंसी जब्त होने के बाद दिल्ली पुलिस अलर्ट; मास्टरमाइंड की तलाश जारी
रांची में दो करोड़ के नकली नोट पकड़े जाने के बाद दिल्ली पुलिस अलर्ट हो गई है। इस मामले में नीरज नामक एक व्यक्ति की तलाश जारी है जिसे गिरोह का सरगना बताया जा रहा है। शुरुआती जांच में पता चला है कि ये नोट कंप्यूटर से छापे गए थे और इन्हें ग्रामीण इलाकों में चलाया जा रहा था। पुलिस पाकिस्तान से कनेक्शन की भी जांच कर रही है।
जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। रांची में पकड़े गए दो करोड़ के नकली नोटों का कनेक्शन दिल्ली से होने की जानकारी मिलने पर दिल्ली पुलिस न केवल सतर्क हो गई है, बल्कि पूरे गिरोह के मास्टरमाइंड बताए जा रहे नीरज की तलाश भी शुरू कर दी है।
दिल्ली पुलिस रांची पुलिस से संपर्क कर नीरज के बारे में जानकारी जुटा रही है, ताकि उसके पूरे नेटवर्क को ध्वस्त किया जा सके। दिल्ली पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि शुरुआती जांच में पता चला है कि बरामद नकली नोट कंप्यूटर प्रिंटेड हैं, नीरज इन कंप्यूटर प्रिंटेड नकली नोटों को पूरे देश में चलाता है।
नकली नोटों के मास्टरमाइंड नीरज का नाम रांची में पकड़े गए आरोपी मोहम्मद साबिर और साहिल कुमार से पूछताछ में सामने आया है।
पुलिस अधिकारी का कहना है कि आमतौर पर ऐसे कंप्यूटर प्रिंटेड नकली नोट हूबहू असली नोटों जैसे नहीं छपते। महानगरों और बड़े शहरों में इन नोटों का प्रचलन मुश्किल होता है, इसीलिए ऐसे नोट ग्रामीण इलाकों में भेजे जाते हैं। कंप्यूटर प्रिंटेड नोटों के कागज की गुणवत्ता अच्छी नहीं होती।
मशीन प्रिंटेड नकली नोटों में विदेश से आयातित उच्च गुणवत्ता वाले कागज का इस्तेमाल होता है और इसीलिए ये नोट असली जैसे दिखते हैं। नीरज अपने नेटवर्क के ज़रिए पाकिस्तान से नकली नोट मँगवाता है या अपने देश में मशीनों से छपवाता है या फिर खुद कंप्यूटर से नकली नोट छापने का धंधा करता है। पुलिस ने उसके बारे में पता लगाना शुरू कर दिया है।
उत्तराखंड में भी कंप्यूटर प्रिंटेड नोट गिरोह पकड़ा
पुलिस अधिकारी का कहना है कि अगर कोई कंप्यूटर का इस्तेमाल करके नकली नोट तैयार कर रहा है तो यह कहीं से भी हो सकता है। पुलिस के लिए इसका पता लगाना बहुत मुश्किल है।
पुलिस अधिकारी का कहना है कि कुछ समय पहले उत्तराखंड पुलिस ने नकली नोटों की तस्करी के आरोप में कुछ स्थानीय लोगों को गिरफ्तार किया था। गिरफ्तार आरोपी कंप्यूटर प्रिंटेड नकली नोटों को देहात में चला रहे थे। सभी नोटों के नंबर एक ही होने के कारण गिरोह पकड़ा गया।
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल का कहना है कि करीब ढाई से तीन दशक पहले मुजफ्फरनगर के कैराना निवासी इकबाल काना और महाराष्ट्र के इकबाल भटकी देश के सबसे बड़े नकली नोट तस्कर माने जाते थे। जाँच एजेंसियों का दबाव बढ़ने पर दोनों पाकिस्तान भाग गए और पाकिस्तान से भारत में नकली नोटों की सप्लाई कर रहे हैं।
काना ने 90 के दशक में और भटकी ने संसद हमले से पहले 2001 में नकली नोटों का धंधा शुरू किया था। सेल का कहना है कि उसने इन तस्करों के नेटवर्क से जुड़े दर्जनों तस्करों को गिरफ्तार करके इनकी कमर तोड़ दी है, जिसके बाद से दिल्ली में नकली नोटों की सप्लाई कुछ दशकों से बंद है।
पुलिस अधिकारी का कहना है कि पाकिस्तान भारत की आर्थिक स्थिति को कमज़ोर करने की साज़िश रच रहा है। इसीलिए वह तस्करी के ज़रिए भारत में नकली नोट भेज रहा है। उस कमाई से वहाँ आतंक फैलाने के लिए हथियार खरीदे जाते हैं। नेपाल और बांग्लादेश के रास्ते पाकिस्तान से भारत में नकली नोट भेजे जाते हैं।
पाकिस्तान में छपे नकली नोट बिल्कुल असली जैसे दिखते हैं क्योंकि वहाँ ISI यह काम करवाती है। वहाँ, सरकारी संस्थानों में असली नोट छापने वाली उन्हीं मशीनों में नकली नोट छापे जाते हैं ताकि भारत भेजे जाने पर कोई एजेंसी उन्हें पकड़ न सके।
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