Farmers Protest 100 Days: बर्बादी की ओर ले जा रहा है आंदोलन, क्या किसान ही किसान के दुश्मन हो गए?
Farmers Protest 100 Days टीकरी बार्डर पर चार पेट्रोल पंपों पर तैनात 12 तकनीकी कर्मचारियों की नौकरी छूट गई है। आंदोलन के कारण ये पंप बंद हैं। पांच पेट्रोल पंपों के डीलरों का दो करोड़ से ज्यादा नुकसान हो चुका है।
By Sanjay PokhriyalEdited By: Updated: Sat, 06 Mar 2021 10:58 PM (IST)
नई दिल्ली, जेएनएन। Farmers Protest 100 Days आंदोलनहठ। किसानों के नाम पर शुरू हुए इस हठ ने हरियाणा की इंडस्ट्री को बर्बादी की राह पर खड़ा कर दिया है। सबसे ज्यादा रोजगार देने वाला टेक्सटाइल सेक्टर आंसू बहा रहा है। देश में डर के माहौल के कारण व्यापारी पानीपत नहीं आए। ट्रांसपोर्टरों ने सप्लाई नहीं की। कंबल की फैक्ट्रियां बंद हो गई हैं। बहादुरगढ़ की फुटवियर इंडस्ट्री पर ताला लग रहा है। सोनीपत से हजारों कामगार पलायन कर गए हैं।
इंडस्ट्री ही क्यों, जिन किसानों के नाम पर आंदोलन हो रहा है, उन किसानों का भी तो भला नहीं हो रहा। उन्हें अपनी सब्जी की फसल खेत में ही तबाह करनी पड़ रही है। क्योंकि इसे बेच नहीं पा रहे। कहानियां हजारों हैं...प्रभावित हजारों हैं, पर आंदोलनकारियों पर कोई असर नहीं पड़ रहा। कृषि कानूनों के विरोध के नाम पर सौ दिन से चल रहे आंदोलन के कारण हालात क्या से क्या हो गए, इसी पर एक रिपोर्ट।
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दर्द यूं भी समझें
- 80 ट्रक रोजाना निकलते थे किसान आंदोलन से पहले यमुनानगर से
- 30 ट्रक ही अब दिल्ली पहुंच पा रहे हैं किसान आंदोलन के बाद से
रोजी-रोटी पर संकटसोनीपत के मधेपुरा के कृष्णदेव कहते हैं, वह कुंडली के बर्तन बनाने की फैक्ट्री में काम करते थे। आंदोलन के कारण रास्ता बंद है और फैक्ट्री तक आने-जाने की भी परेशानी है।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।- पानीपत की कंबल इंडस्ट्री दम तोड़ने लगी: चीन के पोलर कंबल को मात देकर पानीपत ने आयात पूरी तरह से खत्म कर दिया था। पर इस किसान आंदोलन ने उन्हीं उधमियों की कमर तोड़ दी है। जो फैक्ट्रियां मार्च तक पूरे उत्पादन के साथ चलती थी, वो फरवरी आते-आते बंद होने लगीं। अब उत्पादन पूरी तरह से बंद है
- पोलर कंबल एसोसिएशन के प्रधान जगदीप जैन बताते हैं कि बाहर का व्यापारी डरा हुआ था। वो पानीपत तक आया ही नहीं। एसोसिएशन से जुड़े भीम राणा ने बताया कि इसी साल यूनिट शुरू की थी। उम्मीद थी कि फायदा होगा, लेकिन आंदोलन ने सब चौपट कर दिया