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Farmers Protest : केजरीवाल का केंद्र पर निशाना, कहा- कृषि कानूनों पर खुले में बहस कराए सरकार

मुख्यमंत्री ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने व फसलों की खरीद के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी संबंधी कानून की मांग को दोहराते हुए कहा कि 70 सालों में सभी पार्टियों ने किसानों को केवल धोखा दिया है।

By Prateek KumarEdited By: Updated: Mon, 28 Dec 2020 01:08 PM (IST)
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किसानों के बच्चों को नौकरी देंगे, लेकिन अब तक किसी ने ऐसा नहीं किया।
नई दिल्‍ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्र सरकार को तीनों कृषि कानूनों को लेकर खुले में बहस कराने की चुनौती दी। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार आरोप लगा रही है कि किसानों को गुमराह किया जा रहा है, ऐसे में केंद्र सरकार के सबसे बडे़ मंत्री व किसान नेताओं के बीच पूरे देश के सामने खुले में बहस करा दी जाए तो दूध का दूध व पानी का पानी हो जाएगा। वह रविवार शाम सिंघु बॉर्डर स्थित गुरु तेग बहादुर मेमोरियल में दिल्ली सरकार की ओर से माता गुजरी कौर व गुरु गोविंद सिंह के साहिबजादों की शहादत को समर्पित कीर्तन दरबार सफर-ए-शहादत में भाग लेने पहुंचे थे। उनके साथ उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया भी थे।

मुख्यमंत्री ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने व फसलों की खरीद के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी संबंधी कानून की मांग को दोहराते हुए कहा कि 70 सालों में सभी पार्टियों ने किसानों को केवल धोखा दिया है। चुनावों से पहले सभी पार्टियां यह कहती हैं कि किसानों के कर्ज को माफ करेंगे। किसानों के बच्चों को नौकरी देंगे, लेकिन अब तक किसी ने ऐसा नहीं किया।

अब केंद्र सरकार तीन कानून लेकर आई है, जिसके जरिये वह किसानों की खेती छीनना चाहती है। केंद्र सरकार उनकी खेती को देश के दो-चार बड़े पूंजीपतियों के हाथों सौंपना चाहती है। किसानों की खेती चली गई तो वह कहां जाएंगे, क्या करेंगे। केजरीवाल ने आंदोलन के दौरान हुई किसानों की मौत को शहादत करार दिया और कहा कि अब तक 40 से ज्यादा लोगों की शहादत हो चुकी है।

धरने पर बैठे किसान अपने देश के लोग हैं। यहां बुजुर्ग बैठे हैं, महिलाएं बैठी हैं। केंद्र सरकार और कितनी शहादत लेना चाहती है। केंद्र सरकार से विनती है कि वह तीनों कानूनों को वापस ले और किसानों के संघर्ष को यहीं समाप्त करे। उन्होंने कहा कि जब हम अन्ना आंदोलन में थे तो हमें भी बदनाम किया गया था। यह सभी सरकारों का एक तरह का हथियार होता है। बड़े दुख की बात है कि किसानों को आतंकवादी व राष्ट्रद्रोही कहा जा रहा है। अगर किसान राष्ट्रद्रोही हो गए तो हमारा पेट कौन भरेगा। हमें रोटी कौन देगा।

केवल पूंजीपतियों को होगा फायदा

मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने अपने बड़े-बडे़ नेताओं को मैदान में उतार दिया जो कानूनों के फायदे बता रहे हैं। मैने सबके भाषण सुने, लेकिन कोई किसानों को क्या फायदा होगा, यह नहीं बता रहा है। इन कानूनों से केवल पूंजीपतियों को फायदा होगा। उन्होंने कि आज पूरा देश दो भागों में बंटा हुआ है। एक वे लोग हैं, जो इन करोड़ों किसानों का नुकसान करके कुछ पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाना चाहते हैं और दूसरे वे लोग हैं, जो इन करोड़ों किसानों के साथ खड़े हैं। अगर करोड़ों किसानों का फायदा हो रहा है तो चार-पांच पूंजीपतियों को नुकसान होने से क्या फर्क पड़ता है। पूरा देश किसानों के साथ खड़ा है।

मुख्यमंत्री को किसानों की चिंता : मनीष सिसोदिया

उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को धरने पर बैठे किसानों की चिंता है। किसानों को क्या-क्या सुविधाएं दी जाएं, वह चौबीसों घंटे इसकी निगरानी रखते हैं। केंद्र सरकार दिल्ली आ रहे किसानों को स्टेडियम में जेल बनाकर बंधक बनाना चाहती थी, लेकिन मुख्यमंत्री ने ऐसा नहीं होने दिया। इतना ही नहीं दिल्ली विधानसभा में कृषि कानूनों की प्रतियां फाड़कर यह बता दिया कि दिल्ली सरकार किसानों के साथ है।

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