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Farmers Protest: कृषि कानूनों को रद करवाने की जिद पर अड़े हैं प्रदर्शनकारी

कृषि कानूनों के विरोध में 51 दिनों से किसान सिंघु बार्डर पर डटे हुए हैं। बढ़ती ठंड के बीच भी किसानों का जोश देखने लायक है। अपनी मांग पर अड़े किसान हर नारे की हुंकार से दिल्‍ली हिलाने को तैयार हैं।

By Prateek KumarEdited By: Updated: Fri, 15 Jan 2021 04:40 PM (IST)
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सिंघुु बॉर्डर पर जमे किसान। फाइल फोटो।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। एक तरफ जहां दिल्ली ठंड से ठिठुर रही है, वहीं दूसरी ओर कृषि कानूनों के विरोध में 51 दिनों से किसान सिंघु बार्डर पर डटे हुए हैं। बढ़ती ठंड के बीच भी किसानों का जोश देखने लायक है। अपनी मांग पर अड़े किसान हर नारे की हुंकार से दिल्‍ली हिलाने को तैयार हैं। हालांकि, इस ठिठुरती सर्दी में गुरुवार को ज्यादातर किसान अपनी ट्रालियों में ही बैठे रहे। धरना स्थल पर भी किसानों की काफी कम संख्या रही।

नेता मंच से किसानों को धरना स्थल पर आने की अपील करते भी नजर आए। दरअसल डेढ़ महीने से प्रदर्शन कर रहे किसान अब मायूस होने लगे हैं। उनके प्रदर्शन का कोई हल न निकलने की मायूसी उनके चेहरे पर साफ दिखाई दे रही है। किसान इन कानूनों को रद करवाने की जिद पर अड़े हुए हैं। मंच से भी किसानों को यही कहकर रोका जा रहा है कि जब तक कानूनों को रद नहीं किया जाता तो वह यहां से न उठें।

हालांकि, शुक्रवार को किसान नेता सरकार के साथ वार्ता करने गए हैं। इस वार्ता को लेकर भी किसानों को कुछ आस है। उधर सिंघु बार्डर से लेकर हरियाणा की सीमा में सात किलोमीटर अंदर तक बैठे किसानों ने राष्ट्रीय राजमार्ग एक पर पूरी तरह से कब्जा कर रखा है। इस वजह से आसपास के दुकानदारों, होटल मालिकों, गांव वालों व राहगीरों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। लोगों को गांवों के रास्ते से अपने गंतव्य तक पहुंचना पड़ रहा है।

बता दें कि किसान आंदोलन कर केंद्र की सरकार से यह मांग कर रहे है कि जो नए कृषि बिल को लागू किया गया है उसे फौरन रद किया जाए। किसानों के अनुसार इस कानून से मंडिया खत्‍म हो जाएंगी और किसान को एमएसपी का फायदा नहीं मिलेगा। वहीं कांट्रेक्‍ट फॉर्मिंग के कारण जमीन पर भी उद्योगपतियों के द्वारा कब्‍जा करने की बात किसान कर रहे हैं।

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