दिल्ली में किसानों के लिए 50 फीसद तक सब्सिडी का मौका, फसल अवशेष प्रबंधन में उपयोगी मशीनें खरीदकर उठाएं लाभ
जो भी किसान इन मशीनों की खरीद करना चाहते हैं वे 30 सितंबर तक आवेदन जमा कराएं। स्वीकृत होने पर किसान इन मशीनों की खरीद पर 50 फीसद तक की सब्सिडी पा सकते हैं। वे क्षेत्र के प्रखंड विकास अधिकारी के कार्यालय में आवेदन जमा कराएं।
By Mangal YadavEdited By: Updated: Tue, 28 Sep 2021 04:17 PM (IST)
नई दिल्ली [गौतम कुमार मिश्र]। फसल अवशेष प्रबंधन हमेशा से एक समस्या रही है। विज्ञानियों का कहना है यदि किसान थोड़ी सजगता का परिचय दें तो फसल अवशेष समस्या न होकर संसाधन के रूप में मिट्टी की उर्वरता बढ़ाएगी। अच्छी बात यह है कि अवशेष प्रबंधन से जुड़ी मशीनों की खरीद पर सरकार की ओर से सब्सिडी भी दी जा रही है। जो भी किसान इन मशीनों की खरीद करना चाहते हैं वे 30 सितंबर तक आवेदन जमा कराएं। स्वीकृत होने पर किसान इन मशीनों की खरीद पर 50 फीसद तक की सब्सिडी पा सकते हैं। वे क्षेत्र के प्रखंड विकास अधिकारी के कार्यालय में आवेदन जमा कराएं।
ऐसा नहीं है कि किसान इस योजना के प्रति सजग नहीं है। जानकारी के अनुसार फसल अवशेष प्रबंधन से जुड़ी मशीनों की खरीद की योजना का वर्ष 2019 में 119 किसानों ने लाभ उठाया था। इसके अगले वर्ष यह संख्या 51 हो गई।वहीं इस वर्ष की बात करें तो अभी तक सरकार को 60 किसानों की ओर से आवेदन प्राप्त हो चुका है। योजना का लाभ अधिक से अधिक किसान उठाएं, इसके लिए सरकार की ओर से प्रयास किए जा रहे हैं। उजवा स्थित कृषि विज्ञान केंद्र के विज्ञानी किसानों के बीच जाकर बात कर रहे हैं। योजना की जानकारी देने के साथ ही उन्हें यह भी बताया जा रहा है कि फसल अवशेष प्रबंधन किन मशीनों से मदद मिलती है।
हैप्पी सीडरजहां धान की कटाई कंबाइन से होती है, वहां हैप्पी सीडर से गेहूं की सीधी बोआई कर सकते हैं। इस मशीन में ब्लेड लगे होते हैं, जो जो जमीन पर फैले व खड़े अवशेषों को छोटे छोटे टुकड़ों में करते हुए गेहूं की सीधी बोआई कर देती है।
सुपर सीडरइस मशीन का भी इस्तेमाल गेहूं की सीधी बोआई के लिए किया जाता है। इस मशीन पर रोटावेटर लगा होता है जो जमीन की बुवाई करते हुए अवशेषों को मिट्टी में मिला देता है।
मल्चरधान की कटाई के बाद अवशेष को छोटे छोटे टुकड़ों में काटने के लिए इस मशीन का इस्तेमाल किया जाता है। अवशेष के छोटे-छोटे टुकड़े कर देती है सुपर एसएमएसयह मशीन कंबाइन के पीछे लगी होती है, जो अवशेष के छोटे-छोटे टुकड़े कर उसे जमीन पर बिखेर देती है। राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण के आदेश के अनुसार किसी भी कंबाइन का इस्तेमाल बिना सुपर एसएमएस (स्ट्रो मेनेजमेंट सिस्टम) के बिना नहीं किया जा सकता है।
कृषि विज्ञान केंद्र के विज्ञानी कैलाश कुमार ने बताया कि किसानों को इन मशीनों के बारे में लगातार जागरूक किया जा रहा है। अच्छी बात यह है कि किसान अब फसल अवशेष प्रबंधन को लेकर पहले से अधिक जागरूक हैं।संयुक्त निदेशक, कृषि एपी सैनी ने बताया कि फसल अवशेष प्रबंधन से जुड़ी मशीनों की खरीद पर सब्सिडी का किसानों को लाभ उठाना चाहिए। जो भी किसान इच्छुक हों वे अपने नजदीकी प्रखंड विकास अधिकारी के कार्यालय में जाएं और आवेदन व जरूरी कागजात जमा कराएं। किसानों को योजनाओं का लाभ लेना चाहिए।
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